Wednesday, April 24, 2024
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समीर

2017.04.06. 1 ssp pragay tivari
PRAGYA TIWARI

क्यूँ समीर तू रुका हुआ है छोड़ सभी बांधा मग में।
मुझको भी गतिवान बना तू तीव्र चलूँ उजले पथ में।
क्यूँ समीर …………..
मंद मंद शीतलता से तू शीतल राहे कर देता।
निज स्वभाव को इस जीवन में थोड़ा सा ही भर देता।
क्यूँ समीर…………….
सरसर की मृदु ध्वनियों से तू सांसो की साँस बढ़ा देता।
सदृश तेरे मैं भी हो जाऊ अंतर का सुख दे देता।
क्यूँ सम…………….
तरु पल्लव में गति भरता तू जीव जंतु में भरता प्राण।
मंद मंद सुख सबको दे तू तन मन हर्षित कर देता।
क्यों समीर……………..