Wednesday, April 23, 2025
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अफसर तीन बीघे में तो पुलिस कर्मी तीन गज जगह को मोहताज

पंकज बोले सरकारी सम्पत्ति के संरक्षण के अधिकार से किया निरीक्षण, बदहाली के सवालों पर बगलें झांकते रहे एएसपी
– पुलिस कर्मियों को मूलभूत सुविधाएं तक मयस्सर नहीं, एनएचआरसी ने छः हफ़्तों में तलब किया है ज़वाब
– मातहतों की लापरवाही और अव्यवस्थाओं से जूझते पुलिस कर्मी होते चिड़चिड़े
कानपुर/लखनऊ। शासन-प्रशासन की घोर लापरवाही पुलिस कर्मियों को चिड़चिड़ा बना रही है। चार माह पहले कानपुर पुलिस लाईन हादसा में जान गंवाने आरक्षी अरविन्द व गंभीर घायल हुए आधा दर्जन पुलिस कर्मी अपने ही मातहतों की उपेक्षा का शिकार हुए। पुलिसकर्मी की यथा स्थिति में टंगी वर्दी हादसे की भयाभयता खुद-ब-खुद बयां करती है कि हादसा कितना भयानक था। बता दें कि अगस्त माह में पुलिस लाईन की एक नम्बर बैरक की छत ढह गई थी।
हादसे से सिहर उठे शहर के कल्याणपुर केशवपुरम् निवासी इंजीनियर पंकज कुमार सिंह ने मामले को नेशनल ह्यूमन राईट्स कमीशन (एनएचआरसी) में उठाया है। पंकज की याचिका पर एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह को तलब करते हुए मामले में छः सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। जाँच सहायक पुलिस अधीक्षक सत्यजीत गुप्ता को सौंपी गयी। एएसपी सत्यजीत गुप्ता ने इंजीनियर पंकज सिंह के बयान दर्ज़ कराये। इस प्रकरण में पंकज ने शासन-प्रशासन के शीर्ष अफसरों पर सवाल उठायें है उन्होंने कहा की एक बैरक के एक कमरों में 20 से 50 पुलिस कर्मियों को रहने को मजबूर किया जाता है। अफसरों के बंगले तकरीबन तीन बीघे में और पुलिसकर्मी तीन गज जगह को मोहताज हैं और जगह ऐसी कि मौत के कुँए से कम नहीं प्रतीत होती। पंकज ने कर्नलगंज, बजरिया, कलक्टरगंज, सहित कई थानों की बदहाली का हवाला दिया। इन थानों के हालत ऐसे है कि यहाँ पुलिस कर्मी के साथ पीड़ित फरयादी भी सुरक्षित नहीं है। भवनों के बद्तर हालत एक दो महीनों से नहीं बल्कि दसियों वर्षों से है इससे साफ़ ज़ाहिर है कि जिम्मेदार अफ़सर इन बदहालियों से मुँह मोड़ते रहे है। बदहाली के सवालों पर एएसपी सत्यजीत गुप्ता पर बगलें झांकते रहे। पंकज ने अपने तीन पन्नों के बयान और साक्ष्यों के साथ कहा कि पुलिस कर्मियों को उनके मूलभूत अधिकारों से बंचित न रखा जाये। और संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का संरक्षण की व्यवस्था की जाये। पुलिस कर्मियों के कार्यस्थल भवनों का सुरक्षित परिसर उपलब्ध कराने हेतु प्रभावी कारवाही की मांग की है।
पंकज के जवाब पर मुँह बाँध गए एएसपी सत्यजीत गुप्ता
आयोग की जांच में जब इंजीनियर पंकज अपने बयान दर्ज करने पुलिस लाइन पहुंचे तो पंकज ने पुलिस परिसरों की बदहाली पर सवाल किये और बताया की उन्होंने अपने निरिक्षण में पुलिस कर्मियों के परिसर को बदहाल पाया है जिससे पुलिस कर्मी परेशांन होते है। जिस पर एएसपी सत्यजीत गुप्ता ने उल्टा पंकज से सवाल दाग दिया एएसपी सत्यजीत गुप्ता ने पूंछा कि आप किसके आदेश से निरीक्षण करके पुलिस संस्थानों की अव्यवस्थाओं पर सवाल कर रहे हो? तो पंकज ने तपाक से जवाब दिया कि भारतीय संविधान के तहत सरकारी सम्पत्ति की रक्षा करना और उसको सुरक्षित रखने के अधिकार से। पुलिस की खैरियत भी समाज के हर व्यक्ति के सरोकारों का विषय है एएसपी ने बताया कि बजट तैयार किया जा रहा है और शासन को भेजा जाएगा। नक्सा बन गया है।
लोगों की जान बचाने वालों की सरकार को चिंता नहीं
गत अगस्त माह में कानपुर पुलिस लाइन में अंग्रेजों के समय बने 115 वर्ष पुराने बैरक के ढह जाने से अरविंद नामक एक पुलिस कर्मी की मौत और तकरीबन आधा दर्ज़न पुलिस कर्मियों के गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बैरक में 250 से अधिक पुलिस कर्मी रह रहे हैं। इस घटना से आहत हुए शहर के आवास विकास केशव पुरम निवासी सूचना तकनीकी इंजिनियर पंकज कुमार सिंह ने नेशल ह्यूमन राइट्स कमीशन में जनहित याचिका दाखिल की थी। पंकज भारत सरकार की परियोजना में कार्यकारी अनुप्रयोग अभियंता है। आयोग ने कार्रवाई करते हुए कहा है कि यह बहुत दर्दनाक है कि पुलिस अधिकारी, जो दूसरों की जान बचाने के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें खतरनाक बैरकों में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है, और सरकार को उनकी सुरक्षा, संरक्षा और अन्य आवश्यक सुविधाओं की कोई चिंता नहीं है। आयोग ने अपने आदेश में गृह विभाग के प्रधान सचिव को याची की शिकायत की प्रति प्रेषित करने के निर्देश के साथ मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट की तलब की हैं, जिसमें मृतक पुलिसकर्मी के परिवार के साथ-साथ अन्य घायल पुलिसकर्मियों को मुआवजा और पुलिसकर्मियों को बैरक और अन्य आवश्यक सुविधाओं में सुधार के लिए उठाए गए कदम शामिल हैं, यह रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर मांगी गयी है।