कानपुर नगर,जन सामना। जिला कृषि रक्षा अधिकारी आशीष कुमार सिंह ने बताया है कि रवी की प्रमुख फसलों गेंहूँ, आलू, में लगने वाले कीट, रोग एवं खरपतवारों से बचाव हेतु नियमित निगरानी करें। तापमान में आयी गिरावट के कारण लगने वाले कीटए रोग के लक्षण परिलक्षित होने पर तत्काल निम्नलिखित फसलों हेतु सुझाव एवं संस्तुतियों को अपनाकर फसल को बचा सकते हैं। गेंहूँ में चैडी एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारों जैसे गुल्ली डंडा, जंगली जई, मटरी, चटरी, बथुआ, कृष्णनील, आदि की समस्या देखी जाती है। सकरी पत्ती वाले खरपतवारों जैसे गेहुँसा गुल्ली डंडा एवं जंगली जई के नियंत्रण हेतु सल्फोसल्फयूरान 75प्रतिशत डब्लू0जी0 33 ग्राम 2.5यूनिट मात्रा को 300लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से प्रथम सिचाई के बाद 25.30 दिन की अवस्था पर फ्लैट फैन नाजिल से छिडकाव करें। चैडी पत्ती वाले खरपतवारों हेतु सल्फयूरान मिथाइल 20 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 0.020किग्रा0 मात्रा 500लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से प्रथम सिंचाई के बाद 25.30 दिन की अवस्था पर फ्लैट फैन नाजिल से छिडकाव करें। गेंहूँ की फसल में मकोय खरपतवार के नियंत्रण हेतु कारफेन्ट्राजोन इथाइल 40प्रतिशत डी0एफ0 की 50ग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करना चाहिए। सकरी एवं चैडी पत्ती दोनों प्रकार वाले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु सल्फोसल्फयूरान 75प्रतिशत$ मेट सल्फयूरान मिथाइल 5प्रतिशत डब्लू0जी0 40ग्राम 2.5यूनिट अथवा मैट्रीब्यूजिन 70प्रतिशत डब्ल0पी0 की 0.250किग्रा० मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से प्रथम सिंचाई के बाद 25.30 दिन की अवस्था पर फ्लैट फैन नाजिल से छिडकाव करें।
राई/सरसों. मौसम के तापमान में गिरावट होने पर राई-सरसों की फसल में माहूँ कीट के प्रकोप होने कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर 5प्रतिशत प्रभावित पौधे से अधिक हो तो निम्नलिखित रसायनों में से किसी एक को प्रति हैक्टेयर की दर से 500.600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें। 1.एजाडिरेक्टिन नीम आयल 0.15प्रतिशत ई0सी0 2.500 लीटर 2.डाईमेथोएट 30प्रतिशत ई0सी0 1.000लीटर 3.आक्सी डिमेटान मिथाइल 25प्रतिशत ई0सी0 1000लीटर, आलू. आलू की फसल में वर्तमान में कम तापमान रहने के कारण अगेती/पिछेती झुलसा रोग का प्रकोप होता हैए जिस कारण पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बनते हैं ज्यादा तीव्र प्रकोप होने पर सम्पूर्ण पौधा झुलस जाता है। रोग के प्रकोप की दशा में कापर आक्सीक्लोराइड 50प्रतिशत डब्लू०पी० की 2.500किग्रा० अथवा मैंकोजेब 75प्रतिशत डब्लू०पी० 2.000किग्रा० अथवा जिनेब 75प्रतिशत डब्लू0पी0 2.500किग्रा० मात्रा को 600.700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करें। साथ ही कृषक बन्धु लगातार अपने खेत की निगरानी करते रहें किसी अन्य कीट.व्याधि की समस्या होने पर एस०एम०एस० या वाट्सएप से 9452247111, 9452257111 पर समस्या लिखकर फोटो खिंचवाकर भेजकर निदान प्राप्त करें।
Home » मुख्य समाचार » इस समय रवी की फसलों पर बीमारियां और कीटों के लगने का रहता है खतरा-आशीष कुमार सिंह (कृषि रक्षा अधिकारी)