कानपुर, जन सामना। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्षा डॉ0 नीलम मिश्रा ने बताया की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा आगामी 14 फरवरी को गांधी प्रतिमा फूलबाग में भारत सरकार कि नई स्वास्थ्य नीति जितने चिकित्सा से जुड़ी तमाम रिमाओं जैसे एलोपथी, होमियोपैथी, आयुर्वेद, सिद्धा 4 यूनानी आदि को बढ़ावा देने के बजाय इन सभी विधियों से मिश्रित मिक्सीपैथी चिकित्सा तैयार करना चाहती है। विरोध में चिकित्सकों द्वारा उपवास का आयोजन किया गया है। कानपुर आई.एम.ए के डॉक्टरों द्वारा किये जाने वाले इस सांकेतिक अनशन य विरोध का उद्देश्य आम जन के स्वास्थ्य पर सरकार की इस नीति से होने वाले दुष्परिणामों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है।इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एक्शन कमेटी के चेयरमैन डॉ0 शिवाकांत मिश्र ने बताया कि इस क्रमिक अनशन का आयोजन आई एम.ए. हेड क्याटर के निर्देश पर पूरे देश में 1 फरवरी से 14 पारवरी तक विभिन्न शहरों में किया जा रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में कानपुर आई. एम. ए चिकित्सकों के आलावा आई.एम.ए की राष्ट्रीय व प्रादेशिक इकाई के प्रतिनिधियों को मी भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन चिकित्सा शिक्षा में खिचड़ी तंत्र का विरोध करता है। चिकित्सा शिक्षा एक गुणवत्तापूर्वक शिक्षा होती है। जिसमें सिकिररावा को अच्छा हुनर दिया जाता है। हर छोटी से छोटी विद्या को विज्ञान सम्मत तरीके से विकसित किया जाता है। महिने मेडिसिन पूरी तरह से रिसर्च पर आधारित विद्या है। जिसमें हर म्ज का इलाज आधुनिक तरीके से किया जाता है। यह विया हर महामारी के नियन्त्रण में सक्रिय भूमिका निभाती है। देश में कोई नई दवा आई है, या नयी तकनीक विकसित करनी हो या बीमारी को रोकने की लिए वैक्सीन तैयार करनी है। भीड मे मंतिसिन के रिसर्थ से ही यह सम्भव हो पाता है। कोविड में जो भी नयी दवाआयी हो, या अभी जो वैक्सीन आ रही हो आपने मॉडर्न मेडिसिन के चिकित्सकों का योगदानदेखा होगा।इसी तरीके से इंडियन मेडिसिन को देश में वैज्ञानिक तरीके से विकासित किया जा सकता है। मॉडर्न मेडिसिन में खिचड़ी तंत्र लाने से पूरी विद्या का हास होगा और भविष्य में देश को उच्चस्तरीय इलाज मिलने में बहुत कठिनाई होगी। आपको विदित होगा कि भारतीय चिकित्सक पूरे विश्व में श्रेष्ठ चिकित्सक साबित हुए है। विदेशां में 50 प्रतिशत चिकित्सक भारतीय है आपने सुना होगा कि एक भारतीय चिकित्सक ने पहला फेफले का प्रत्यारोपण करने में सफलता पायी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन हर विद्या को स्वतंत्र रूप से विकसित करने की पक्षयर है।आईएमए सचिव डॉ. दिनेश सचान ने बताया की इस युद्ध को हमारे देश की स्वास्थ्य रक्षा के लिए लड़ेगा।