Monday, November 18, 2024
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मंत्रिमंडल ने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में पारेषण और वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए संशोधित लागत अनुमानों को मंजूरी दी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम राज्यों के आर्थिक विकास की दिशा में एक बड़े कदम के तहत, अंतर-राज्य पारेषण और वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए 9129.32 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ संशोधित लागत अनुमान (आरसीई) को मंजूरी दी है। यह अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम राज्यों में पारेषण और वितरण को सुदृढ़ बनाने की व्यापक योजना है।
सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के सहयोग से विद्युत मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) पावरग्रिड के माध्यम से योजना को कार्यान्वित किया जा रहा है और स्वीकृत कार्यों के लिए दिसंबर 2021 तक तथा गैर-स्वीकृत कार्यों के लिए आरसीई की मंजूरी से 36 महीने बाद तक चरणबद्ध तरीके से कार्य पूरा करने (कमीशनिंग) का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कमीशनिंग के बाद, नव-निर्मित पारेषण और वितरण प्रणाली का स्वामित्व और रखरखाव संबंधित राज्य के उपक्रमों द्वारा किया जाएगा।
योजना, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के समग्र आर्थिक विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और इसका उद्धेश्य दूरदराज के स्थानों में ग्रिड कनेक्टिविटी प्रदान करके अंतर-राज्य पारेषण और वितरण अवसंरचना को मजबूत करना है।
इस योजना के कार्यान्वयन से एक विश्वसनीय पावर ग्रिड का निर्माण होगा और नए भार केंद्रों (लोड सेंटर) के साथ कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इस प्रकार अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के दूरदराज और सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों और कस्बों के लाभार्थियों समेत उपभोक्ताओं की सभी श्रेणियों को ग्रिड से जुड़ी बिजली का लाभ मिलेगा।
यह योजना इन राज्यों की प्रति व्यक्ति बिजली खपत को बढ़ाएगी और समग्र आर्थिक विकास में योगदान देगी।
कार्यान्वयन एजेंसियां ​​अपने निर्माण कार्यों के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय श्रमशक्ति को काम पर रख रही हैं। इससे कुशल और अकुशल स्थानीय लोगों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।
काम पूरा होने के बाद, नयी परिसंपत्तियां के संचालन और रखरखाव के लिए मानक मानदंडों के अनुसार अतिरिक्त स्थानीय श्रमशक्ति की आवश्यकता होगी। इससे राज्यों में स्थानीय रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा होंगे।
पृष्ठभूमि:
इस योजना को दिसंबर, 2014 में विद्युत मंत्रालय की केंद्रीय योजना के रूप में मंजूरी दी गयी थी और योजना की पूरी लागत का वहन विद्युत मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है।