हाथरस। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन ने मंडी समिति में स्थित उत्तर प्रदेश कॉपरेटिव फैडरेशन कृषक सेवा केंद्र द्वारा गेहूं खरीद केंद्र का निरीक्षण किया। गेहूं खरीद केंद्र का निरीक्षण करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन ने कहा कि 15 जून को गेहूं खरीद का अंतिम दिन था और किसान ये अपेक्षा करते थे कि अन्य दिनों की तुलना में आज गेहूं की खरीद ज्यादा होगी। लेकिन सत्यता बिल्कुल इसके विपरीत रही। इस केंद्र पर अब तक प्रतिदिन 600 कुंतल गेहूं खरीदा जाता था, लेकिन 15 जून को 348 कुंतल गेहूं ही खरीदा जा सका। कई किसान कई दिन से अपना गेहूं ट्रैक्टर-ट्रौली में भरकर खरीद केंद्र पर खड़े रहे लेकिन उनका गेहूं नहीं खरीदा गया। अफसोस की बात ये है कि जो किसान ट्रैक्टर और ट्रौली में गेहूं भरकर खरीद केंद्र पर आते थे उनकी परेशानी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसान को गाँव से मंडी तक 30 रुपया प्रति कुंतल का भाडा देना पड़ता है, यदि किसी तरह से उसका गेहूं नहीं खरीदा गया तो उसे एक रात का 1500 रुपए से लेकर 2 हजार रुपए तक का अतिरिक्त भाडा देना पड़ता है।
किसान भगवान सिंह ग्राम-हलैया, नन्द कुमार व लाल सिंह भदामई, तोताराम रढावली, बच्चन बाबू गना डांडा, राकेश कुमार नगला अडू आदि ये सभी किसान 5-7 दिन से खरीद केंद्र पर अपने गेहूं के साथ दस्तक दिए बैठे हैं। लेकिन उनके गेहूं की खरीद नहीं हुयी। जिन किसानों ने राज्य सरकार के आदेशानुसार गेहूं बेचने के लिए अपना पंजीकरण करा लिया था उसमें से भी हजारों किसान ऐसे हैं जिनके गेहूं की खरीद नहीं हो पायी। हालात से तंग आकर कई केन्द्रों पर किसानों के द्वारा खुदकुशी किये जाने की भी नौबत आ गयी।
सुमन ने कहा है कि गेहूं खरीद केन्द्रों पर सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में एक काकश बना हुआ है, यहाँ इन केन्द्रों पर व्यापारियों के गेहूं खरीदने पर प्राथमिकता होती है। मजेदार बात ये है कि जनपद में जिन क्षेत्रों में सर्वाधिक आलू की पैदावार होती है वहां स्थापित गेहूं खरीद केंद्र का सबसे ज्यादा कीर्तिमान होता है। यहाँ यह उल्लेख करना बहुत जरुरी है कि न सिर्फ हाथरस जनपद के व्यापारी अपितु एटा, मैनपुरी, अलीगढ एवं अन्य जिलों के व्यापारियों का गेहूं भी हाथरस के क्रय केन्द्रों पर खरीदा जाता है। किसान अत्यधिक परेशान हैं, किसानों की आय दुगुनी करने का ढिंढोरा पीटने वाली ये सरकार किसानों का शोषण तो कर ही रही है साथ ही उनकी परेशानियों में इजाफा करने का काम व्यवस्थित रूप से किया जा रहा है। इन खरीद केन्द्रों पर क्या हो रहा है उसकी निगरानी का कोई तंत्र विकसित नहीं किया गया। परिणाम ये हुआ है कि इन खरीद केन्द्रों पर सेवारत कर्मचारियों ने अपनी मनमानी की है। सरकारी गेहूं क्रय केन्द्रों पर गेहूं खरीदने की सीमा 22 जून कर दी गयी है, लेकिन ये अत्यधिक अव्यावहारिक है। कम से कम किसानों के गेहूं खरीदने की तिथि 30 जून तक बढाई जाये, किसानों का जो शोषण हुआ है उसकी समीक्षा की जाए और विभाग से सम्बंधित आला अफसरान एवं जिला अधिकारी खरीद केन्द्रों की निगरानी हेतु एक मजबूत तंत्र विकसित करने का काम करें, जिससे किसानों के शोषण पर विराम लग सके। निरीक्षण के समय चोधरी बिजेन्द्र सिंह, गौरीशंकर बघेल, आलोक कुमार, सतेंद्र कुमार, शंकरपाल पवन कुमार आदि थे।