कानपुर, राघवेन्द्र सिह। लगभग1500 वर्षों से भी ज्यादा पुराना है मंदिर, शारदीय नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री स्वरुप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले ही दिन माता के दर्शन के लिए भक्तों की लम्बी कतार लगी है।कानपुर का बारा देवी मंदिर प्राचीनतम मंदिरो में से एक है। इस मंदिर का सही इतिहास तो किसी को नहीं मालूम, लेकिन कानपुर और आस.पास के जिलों में रहने वालो लोगों में इस मंदिर की देवी के प्रति गहरी आस्था है। तभी साल के बारह महीनों और खासतौर पर नवरात्रि में लाखों भक्तों की अटूट आस्था बारा देवी मंदिर में भीड़ के रूप में उमड़ती है। शहर के दक्षिण में स्थित बारा देवी मंदिर का इलाका, बारा देवी के असली नाम से जाना जाता है। बता दें कानपुर दक्षिण के ज्यादातर इलाकों के नाम बारा देवी मंदिर के नाम पर ही रखे गए हैं। इन इलाकों में बर्रा 01 से लेकर बर्रा 09 तक, बिन्गवा, बारासिरोही आदि। बर्रा विश्व बैंक का नाम भी देवी के नाम पर ही रखा गया है।यूं तो मंदिर के इतिहास के बारे में सही.सही ज्ञात नहीं होता लेकिन मंदिर में रहने वालों का कहना है कि कुछ समय पहले एएसआइ की टीम ने इस मंदिर का सर्वेक्षण किया था जिसमें पता चला था कि मंदिर की मूर्ति लगभग 14 से 17 सौ वर्ष पुरानी है।मंदिर के पुजारी दीपक का कहना है मंदिर से जुड़ी एक कथा बेहद प्रसिद्ध है, एक बार पिता से हुई अनबन पर उनके कोप से बचने के लिए घर से एक साथ 12 बहनें भाग गई। सारी बहनें किदवई नगर में मूर्ति बनकर स्थापित हो गई। पत्थर बनी यही 12 बहनें कई सालों बाद बारादेवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुई। कहा जाता है कि बहनों के श्राप से उनके पिता भी पत्थर हो गए थे।