रायबरेली, पवन कुमार गुप्ता । सुरक्षित प्रसव,सुरक्षित जच्चा-बच्चा का सरकारी संकल्प के लिए ऊंचाहार सीएचसी अपवाद है यहां स्वनमनी है। सीएचसी की महिला सफाई कर्मी प्रसव कराती है और आशा बहू मेडिकल स्टोर से दवाएं दिलवाती है।ये बड़ा सच उस समय सामने आया है जब एक पीड़ित ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द साझा किया है।
अभय कुमार नामक पीड़ित का कहना है कि ऊंचाहार सीएचसी की व्यवस्थाएं बद से बदतर है।यहां पर जो महिलाएं प्रसव के लिए आती है।उनके परिजनों से सौदेबाजी की जाती है।जब मनमाफिक रुपया नहीं मिलता है तो उसका प्रसव सीएचसी में तैनात दाई के जिम्मे छोड़ दिया जाता है।यदि प्रसूता के परिजन उसका विरोध करते है तो प्रसूता को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है।पीड़ित का यह भी कहना है कि यदि दाई ने प्रसव करा दिया तो आशा बहू अस्पताल के पास स्थित मेडिकल स्टोर पर जाकर अपने मन से दवाएं दिला देती है।यह दवाएं बहुत महंगी होती है।जिसमें सीएचसी के चिकित्सकों का हिस्सा भी शामिल होता है।इस प्रकार से सीएचसी में सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त है।हाल ही में एक नवजात की मौत इसी दुर्व्यवस्था के कारण हुई थी।जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ था।सीएचसी अधीक्षक डा.एम.के. शर्मा का कहना है कि ये बातें झूठ है और लोग सीएचसी को बदनाम कर रहे हैं। आशा बहू और पीड़ित के परिजन अधिकतर पीड़िता को 2 से 3 घंटे पहले हालत गंभीर होने की स्थित में ही लाते हैं।अपनी कमी को छुपाने के लिए वह सभी सारे आरोप सीएचसी स्टाफ पर ही लगा देते हैं।सीएचसी अधीक्षक का कहना है कि हम हर संभव पीड़ितों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं।यदि पीड़ित गंभीर अवस्था में है तो उसे तुरंत जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है।हमारे द्वारा समय-समय पर स्टॉफ को इन्हीं अब्यवस्थाओं को सुधारने हेतु प्रशिक्षण भी दिया जाता है।