Thursday, May 2, 2024
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पुरुष की सुलझी दृष्टि

राधा पढ़ाई में होनहार होने और बाहर रहने की वजह से रसोई घर से थोड़ी दूर रही। जब विवाह तय होने वाला था तो वह मन ही मन अपने आने वाले गृहस्थ जीवन एवं अपने जीवन साथी के दृष्टिकोण को लेकर चिंतित थी। पर जब उसके विवाह के लिए बातचीत हुई और वह मोहन से मिली तो पूरी सच्चाई से उसने मोहन को अपने बारे में बताया। मोहन बहुत ही सुलझी हुई सोच वाला व्यक्ति था। उसने उसकी हर बात को ध्यान से सुना और अपने विचार व्यक्त किए। जब राधा ने कहा की वह रसोईघर के कार्यों में निपुण नहीं है तब मोहन ने सहर्ष ही कहा की तुम वक्त के साथ सब कुछ सीख जाओगी और तुम मुझे प्रेम पूर्वक अपने हाथों से जो भी खिलाओगी वह मेरे लिए स्वादिष्ट ही होगा। तुम्हें मेरी ओर से कोई मीन-मेख वाला व्यवहार नहीं मिलेगा। राधा मोहन की बात सुनकर आश्वस्त हुई।
चुकी परिवार परम्पराओं के निर्वहन वाला परिवार था वहाँ रहन-सहन और परिवेश को लेकर बहुत सारे प्रतिबंध थे, पर मोहन एकदम खुले विचारों वाला और सबकी खुशियों को मान देने वाला था। मोहन ने कहा की मेरी ओर से तुम्हारे पहनावे और शौक पर कोई रोकटोक और प्रतिबंध नहीं होगा। मेरे साथ तुम विवाह के बंधन में जरूर बँधोगी पर मैं तुम्हारी स्वतन्त्रता, इच्छाओं और अभिलाषाओं का हमेशा ध्यान रखूँगा। हमारे समाज की सोच होती है की यदि लड़की उच्च शिक्षित है तो वह लड़के को ताने मारेगी, कुछ ओछी बात कहेंगी यह प्रश्न भी राधा के मन मैं था जो उसने मोहन से किया। उसने कहा क्या आपकी सोच भी मेरे बारे मैं यहीं होगी। तब मोहन ने उत्तर दिया नौकरी तुम्हारे आत्मविश्वास के लिए जरूरी है। व्यस्त रहना वैसे भी सुखी जीवन के लिए जरूरी है और तुम्हारी उच्च शिक्षा का उपयोग हम समाज और हमारे परिवार के लिए कर सकते है और विवाह के पश्चात हम पति-पत्नी होंगे एवं हममें कोई भी बड़ा-छोटा, ऊंचा-नीचा जैसे कोई भी मापदंड नहीं होंगे। तुम्हें मेरी अच्छाई और बुराई दोनों को अपनाना होगा और मुझे भी तुम्हारी कमियों को दूर करना एवं गुणों को निखारना है। यह सुनकर राधा के मन में मोहन के प्रति सम्मान और आदर के भाव थे।
राधा के मन में एक सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न था की वह केवल दो बहनें है, क्या मोहन के राधा के परिवार को जब भी जरूरत होगी तो उसे जाने की अनुमति देगा। राधा के मन में थोड़ी चिंता हुई की मोहन क्या उत्तर देगा पर मोहन के अगले वाक्य ने राधा के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी क्योंकि मोहन ने कहा की ऐसे समय मैं खुद तुम्हें साथ लेकर जाऊंगा और तुम्हारे परिवार के साथ खड़ा रहूँगा। राधा का मोहन के प्रति आदर और सम्मान बढ़ता ही जा रहा था।
कई बार पुरुष की उदार सोच और सुलझी हुई दृष्टि त्वरित ही स्त्री की उलझनों को न्यून कर देती है। इस लघुकथा से यह शिक्षा मिलती है की यदि समाज में पुरुष अपनी सोच थोड़ी उदार कर ले तो कई समस्याओं से क्षण भर में छुटकारा पाया जा सकता है। बहुत सी महिलाएं केवल पुरुष की संकुचित सोच के कारण केवल अपनी जिंदगी काटती है जीती नहीं है। तो क्यों न हम बेहतर समाज के निर्माण के लिए पुरुषों को सुलझी दृष्टि अपनाने के लिए प्रेरित करें और वैवाहिक जीवन की खूबसूरती को महसूस करें।
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)