Friday, May 17, 2024
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अग्नि-5 मिसाइल से भयभीत हुआ चीन

सम्प्रति देश की सामरिक तैयारियां तेजी से मजबूती की ओर बढ़ रही हैं। 28 अक्टूबर को भारत ने अपनी मिसाइल मारक क्षमता में इजाफा करते हुए सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलता पूर्वक परीक्षण किया। इस बार का परीक्षण रात में किया गया जिससे रात्रिकालीन मारक क्षमता को परखा जा सके। अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ओडिशा में एपीजे अब्दंुल कलाम द्वीप से रात्रि में 8 बजे से कुछ समय पहले यह परीक्षण किया गया जो कि सफल रहा। रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण उस प्रामाणिक न्यूनतम प्रतिरोध वाली नीति के अनुरुप है जिसमें पहले उपयोग नहीं करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है। इसकी मारक क्षमता में अन्दर चीन का सुदूर उत्तरी हिस्सा आता है। इस मिसाइल का परीक्षण ऐसे समय पर किया गया है जब भारत का पूर्वी लद्दाख, उत्तराखंड एवं अरुणाचल में चीन के साथ लगने वाली सीमा पर गतिरोध चल रहा है। इसीलिए चीन चिन्तित हो गया है।
भारत अग्नि-5 के परीक्षण में सफल होने के बाद उन देषों के प्रतिश्ठित समूह में षामिल हो गया है जिनका आयुध भंडार अन्तरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइलों से लैस है। यह सामरिक क्षमता विष्व में कुछ ही देषों के पास है। अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के बाद भारत दुनिया का ऐसा पांचवां देष है जिसके पास अन्तर्महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल है और वह मिसाइल सुपर पावर कहलाने वाले देशों की श्रेणी में आ गया है। अमेरिका के पास दुनिया की सबसे शक्तिषाली मिसाइल मिनुटमैन-3 है जो 13000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है। इसके बाद इस्राइल की मिसाइल जेरिको-3 का नम्बर आता है जिसकी मारक दूरी 11500 किलोमीटर है। आर.एस.-24 यार्स दुनिया की तीसरे नम्बर की रूसी मिसाइल है जो 11000 किलोमीटर की दूरी तक मार करती है। संसार की चौथे की नम्बर चीनी मिसाइल चीन की डीएफ-41 मिसाइल है जिसकी रेंज 12000 किलोमीटर की दूरी तक की है। इसके बाद चीन की ही डी.एफ.-31 है जो 8000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है।
भारत की सबसे ताकतवर स्वदेष निर्मित मिसाइल अग्नि-5 का प्रथम सफल परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को किया गया था। रक्षा मंत्रालय की योजना थी कि नाभिकीय हमला करने में सक्षम इस मिसाइल को सन् 2014-15 तक भारत के मिसाइल बेड़े में सम्मिलित किया जाए। अग्नि-5 मिसाइल के अचूक निषाने के लिए लेजर सेंसर से लेकर वातावरण में वापस आने के बाद वार करने वाले री-एंट्री व्हीकल की सतह पर कार्बन कंपोजिट मैटेरियल का विकास भी स्वदेषी तकनीक से किया गया है। अग्नि-5 मिसाइल 17.5 मीटर लम्बी है और इसकी गोलाई लगभग 02 मीटर है। इसका वजन 50 टन है। इसमें सात किलोमीटर लम्बी वायरिंग है। यह मिसाइल तीन स्थितियों में मार करेगी। सबसे पहले इसे रॉकेट इंजन 40 किलोमीटर उपर ले जाता है। दूसरी स्थिति में यह 150 किलोमीटर तक जाएगी। तीसरे स्टेज में यह 300 किलोमीटर तक जाती है। इसके बाद यह 800 किलोमीटर की उंचाई तक जाकर लक्ष्य की ओर जाती है। यह मिसाइल यदि एक बार छूट गई तो रोकी नहीं जा सकती।
अग्नि-5 मिसाइल 1000 से 1500 किलोग्राम तक का परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम है। इस मिसाइल की आक्रामक क्षमता अत्यन्त घातक है। इसकी अधिकतम गति 29000 किलोमीटर प्रति घण्टा अर्थात 24 मैक है। यह मात्र 10 मिनट में 5000 किलोमीटर की दूरी तय कर लेगी और डेढ़ मीटर के लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। इसे उपग्रहों से जोड़ सकते हैं और दुष्मन पर अन्तरिक्ष से हमला किया जा सकता है। यह भारत के मिसाइल तरकष में सबसे लम्बी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल है। अग्नि-5 मिसाइल तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में चीन द्वारा मिसाइल तैनात किए जाने का जवाब होगी और देष की सामरिक रणनीति में एक विषेश प्रकार का बदलाव लाएगी क्योंकि समस्त एषिया, अफ्रीका महाद्वीप व यूरोप के अधिकांश हिस्से इसकी मारक जद में होंगे।
5000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने वाली यह पहली सचल मिसाइल होगी जिसकी मारक जद में चीन के सभी इलाके आएंगे। भारत के पूर्वोत्तर सीमान्त से अगर इसे छोड़ा जाए तो यह चीन की उत्तरी सीमा पर स्थित हरबिन को अपनी चपेट में ले लेगी। यह मिसाइल चीन की डोंगफोंग-31 ए व अमेरिका की परशिंग मिसाइल की बराबरी वाली है। देष के विभिन्न भागों में तैनात किए जाने के बाद कमोवेष सारा संसार इसकी मारक दूरी में आ जाएगा। या यूं कहिए कि उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका को छोड़कर दुनिया का प्रत्येक क्षे़़त्र इसके निषाने में होगा। यदि इसे अमृतसर से छोड़ा जाए तो स्वीडन की राजधानी को भी निषाना बनाया जा सकेगा और यदि इसे अण्डमान से छोड़ा जाए तो यह आस्टेलिया तक पहुंच जाएगी। वैसे भारतीय वैज्ञानिकों का पूरा ध्यान अग्नि श्रेणी की मिसाइलों को दुष्मन की बैलेस्टिक मिसाइल रोधी प्रणालियों को भेदने में सक्षम बनाने पर लगा हुआ है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन इन मिसाइलों को अधिक संहारक एवं घातक बनाने के लिए ऐसे पेलोड पर काम रहा है जो एक साथ कई नाभिकीय हथियार ले जा सके।
तीन चरणों वाली यह मिसाइल देश की पहली कैमिस्टर्ड मिसाइल है। यह तीन से दस परमाणु अस्त्र को ले जाने में सक्षम है और इसमें प्रत्येक अस्त्र से सैकड़ो किलोमीटर दूर अलग-अलग निषाने लगाए जा सकने की खूबी है। इस मिसाइल का वारहेड मल्टीपल है और इसमें एंटी बैलेस्टिक मिसाइल की भी क्षमता होगी। इसमें अब तक के सबसे आधुनिक सिस्टम हैं। नैविगेशन और गाइडेंस से जुड़ी कई नई तकनीकों से लैस अग्नि-5 मुखास्त्र व इंजन के मामले में भी आगे है। इसमें रिंग लेजर गीरो आधारित इनर्सियल नैविगेषन सिस्टम तथा सबसे आधुनिक व सटीक माइक्रो नैविगेशन सिस्टम लगे हैं जिससे मिसाइल एक छोटे स्थान पर भी हमला करने में सक्षम होगी। दूसरे देशों के हमले से बचाव के लिए यह मिसाइल कवच प्रणाली से लैस होगी।
इसे मोबाइल लांचर, रेल मोबाइल लांचर व कनस्तर युक्त मिसाइल पैकेज से भी दागी जा सकता है। कनस्तर लांच में मिसाइल को एक पाइपनुमा डिब्बे में डाल दिया जाता है। यह पाइप लांच पैड से जुड़ा होता है। मिसाइल जब इसमें से छूटती है तो वह बन्दूक की गोली की तरह ज्यादा ताकत से निकलती है। इससे उसे डेढ़ गुना ज्यादा रेंज मिलती है। इस तकनीक का इस्तेमाल ब्रह्मोस और शौर्य मिसाइलों में किया जा चुका है। अग्नि-5 को लांच करने के लिए स्टील का एक खास कनस्तर बनाया गया है जो 400 टन तक वजन सह सकता हैै। 50 टन भार वाली मिसाइल जब दागी जाएगी तो यह भारी दबाव को झेल सकेगा। इसके तीन खण्डों में प्रयुक्त किए जाने वाले राकेट मोटर, साफ्टवेयर तथा अन्य आवश्यक पुर्जे उच्च कोटि के हैं।
लेखक -डॉ0 लक्ष्मी शंकर यादव सैन्य विज्ञान विशय के प्राध्यापक रहें हैं