Saturday, March 29, 2025
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महंगी फीस वाले स्कूलों में भी ट्यूशन पर निर्भर बच्चों का भविष्य

रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता। जनपद के कुछ प्रसिद्ध विद्यालयों को छोड़कर यदि शिक्षा के बेहतर क्षेत्र को देखा जाए तो ऊंचाहार क्षेत्र में संचालित विद्यालयों को जनपद में अच्छी शिक्षा के लिए जाना जाता है।जहां पर विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए योग्य शिक्षक,पठन-पाठन के साथ साथ खेलकूद के लिए भी अच्छे संसाधन मौजूद हैं।सूत्रों की मानें तो यहां संचालित कुछ विद्यालय संस्थाओं के द्वारा भी चल रहे हैं इसके साथ ही विद्यार्थियों की उच्चतम शिक्षा के लिए इन विद्यालयों को समय-समय पर कुछ संगठनों द्वारा बेहतर संसाधन,बेहतर व्यवस्थाएं भी उपलब्ध कराए जाते हैं।साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।जिनमें की महंगी फीस और आने जाने के लिए अलग से वाहन शुल्क भी देना होता है लेकिन फिर भी अभिभावक अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए यह सब व्यवस्था करते हुए स्कूल भेजते हैं।इन महंगे स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापकों की भी फीस अच्छी खासी होती है और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल के अध्यापकों की अपेक्षा इन महंगे स्कूलों में अधिक योग्य अध्यापक भी होते हैं परंतु आज के समय में यह देखा गया है कि कुछ अध्यापक स्कूल में बच्चों को उतने लगाव के साथ नहीं पढ़ाते हैं जितना कि स्कूल समाप्त होने के बाद अलग से ट्यूशन पढ़ाने में लगाव होता है।इसका असर बच्चों पर तो कम पड़ता है लेकिन अभिभावकों पर ज्यादा होता है जिन्हें स्कूल की महंगी फीस के साथ-साथ बच्चों के ट्यूशन का खर्च अलग से उठाना पड़ता है।बताते हैं कि स्कूल के बाद उन्ही अध्यापकों से अलग से ट्यूशन ना लेने वाले बच्चों पर स्कूल के अंदर विशेष रुप से ध्यान नहीं दिया जाता है ऐसी स्थिति में बच्चे भी मानसिक तनाव में होते हैं और अध्ययन से दूर खींचे चले जाते हैं।यहां तक कि ट्यूशन पढ़ने का दवाब बच्चों पर भारी पड़ रहा है।स्कूल-कालेजों में स्टूडेंट्स को ट्यूशन न पढ़ने की वजह से फेल करने तक की बातें भी अध्यापकों द्वारा की जाती हैं और यही नहीं इन अध्यापकों से अलग से ट्यूशन पढ़ने के लिए अतिरिक्त फीस भी देनी पड़ती है।हालांकि शिक्षा के क्षेत्र में स्कूलों और अध्यापकों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होता है लेकिन फिर भी आज के समय में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर विद्यार्थियों को क्यों स्कूल के अतिरिक्त ट्यूशन की जरूरत पड़ती है..? और स्कूल के ही अध्यापक से क्यों..? ट्यूशन पढ़ने के लिए बाध्य करने वाले शिक्षकों के खिलाफ विद्यालय द्वारा ही कड़ी कार्रवाई किए जाने की जरूरत है तभी छात्र का उत्पीड़न बंद हो सकेगा।ट्यूशन के धंधे पर सख्ती से रोक लगाई जाए।बाल दिवस पर यदि यह नियम बनाए जाए तो स्कूल की छवि को धूमिल होने से बचाया जा सकेगा और साथ ही शिक्षा का व्यापार भी रुकेगा।