Friday, May 17, 2024
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सोशल मीडिया : संबंधों का सबसे बड़ा दुश्मन

प्रकृति का नियम है, जो पैदा होता है, वह मरता है। यह तमाम संदर्भों में सच साबित होता है। थोड़ा दूर तक सोचें तो यह भी कहा जा सकता है कि मोबाइल भी कुछ ऐसा ही है। समझबूझ कर उपयोग करें तो मोबाइल बहुत काम की चीज है। पर बुद्धि को ताक पर रख कर इसका धड़ाधड़ उपयोग करें तो पतन के लिए यह काफी है। अभी कुछ दिनों पहले ह्वाटसएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम 7-8 घंटे बंद रहा तो हाहाकार मच गया। थोड़ी देर के लिए लोगों को लगा कि जैसे ऊनका सर्वस्व लुट गया है। मजा तो तब आया, जब वह फिर से चालू हुआ। उसके बाद जो मिम्स फैलने लगा, वह मजेदार था। पर कुछ हद तक सटीक भी था। एक तो कुछ इस तरह था कि सोशल मीडिया बंद रहने के बाद पत्नी ने भी काफी लंबे समय बाद पति से शांति से बात की और उसने अच्छे स्वभाव की होने का दावा किया। यह तो हुई मजाक की बात। पता चला है कि रियल लाइफ में भी सोशल मीडिया के कारण पति-पत्नी बहुत कम बातें करते हैं। पति-पत्नी साथ बैठे होते हैं, तब भी अपने अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं। कभी कुछ इंटरेस्टिंग लगता है तो एकदूसरे को बताते हैं। बाकी तो दोनों अपनी-अपनी मस्ती में ही रहतें हैं।
मोबाइल और सोशल मीडिया के कारण अपने देश सहित पूरी दुनिया में डिवोर्स के मामले बढ़ रहे हैं। अमेरिका की फैमिली लाॅ प्रैक्टिशनर मेकेनली इरविन मोबाइल के कारण होने वाले डिवोर्स को ‘डिजिटल डिवोर्स’ कहती हैं। यूनिवर्सिटी आफ होस्टन की डा. हेलन ली लिन कहती हैं कि अमेरिका में पिछले दस सालों में डिवोर्स के मामलों में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इनमें से आधे मामलों में डिवोर्स का कारण मोबाइल और सोशल मीडिया है। अपने यहां इस तरह के अध्ययन कम होते हैं। अपने यहां लोग जैसेतैसे निभा लेते हैं और जिंदगी जिस तरह तरह चल रही हो, उस तरह चला लेते हैं। अपने यहां डिवोर्स भले न हो रहे हों, पर मोबाइल के कारण घरों में लड़ाई-झगड़ा तो हो ही रहा है। अमेरिका में अब अपने लव व मैरिज लाइफ को मोबाइल से कैसे बचाएं, इसके लेशन दिए जाने लगे हैं। लगता है, हम सब को भी यह काम करना चाहिए। रिलेशनशिप एक्सपर्ट का कहना है कि एक तो लोगों के पास संबंधों के लिए बहुत कम समय बचता है। जितना समय होता है, उसका भी उपयोग करना उन्हें नहीं आता। लोग जानबूझ कर अपने संबंधों को दांव पर लगा रहे हैं। एक सीधासादा सवाल यह है कि आप लोगों के लिए आप का मोबाइल आप की पत्नी, पति या स्वजनों से अधिक महत्वपूर्ण है? इसका जवाब हर किसी को खुद से पूछना चाहिए।मोबाइल किस तरह दांपत्यजीवन को बरबाद कर रहा है, इसके बारे में तो अब लगभग हर किसी को पता हो गया है। अब इसमें अधिक पड़ने की जरूरत भी नहीं है। इसकी अपेक्षा इससे बचें किस तरह इसकी थोड़ी बातें करते हैं। थोड़ी टिप्स हैं, हो सके तो ट्राई करना। सब से पहली बात तो यह है कि घर जाते ही डाटा आफ कर दें। घर वालों को समय दें। इसके लिए दलील यह दी जा सकती है कि घर जाने पर ही तो समय मिलता है। नौकरी पर होने पर सोशल मीडिया का उपयोग थोड़े ही हो पाता है? इसका हल यह हो सकता है कि एक निश्चित समय तय कर दें, आधे घंटे या एक घंटे से अधिक समय न दें। एक युवक तो अलार्म लगा कर मोबाइल देखता है। अलार्म बजते ही मोबाइल रख देता है। बहुत से ऐसे लोग हैं, जो धंधे या काम की दुहाई दे कर कहते हैं कि बिना मोबाइल देखे उनका काम चलता ही नहीं है। जबकि ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं होता है। पर मानलीजिए कि ऐसा है तो जितना जरूरत हो उतना ही देखें। आप मोबाइल का उपयोग करना बंद करेंगे या कम करेंगे तो लोग अपनेआप समझ जाएंगे कि यह अवलेबल नहीं है। ज्यादातर हम खुद ही दूसरे लोगों को अपना पर्सनल स्पेस देने की छूट देते हैं। कोई भी व्यक्ति जब चाहे वीडियो काल कर ले, कहीं इस तरह चलता होगा? अपने यहां एक नया ट्रेंड देखने को यह मिल रहा है कि कोई महिला खाना बना रही होती है तो किचन में वीडियो काल जोड़ कर फोन सामने रख लेती है और खाना बनाते हुए बातें करती रहती है। इस तरह करने वाले दूसरे का समय तो बरबाद करते ही हैं और अपना काम भी इन्जॉय नहीं कर पाते। बेहतर यह होगा कि ऐसे समय में आप अपना मनपसंद संगीत सुनें और खुद के साथ रहने का प्रयास करें।
वैवाहिक जीवन स्वस्थ रखने के लिए जो सब से बड़ा उपाय कहा जाता है, वह यह है कि बैडरूम में मोबाइल न ले जाएं। हम देर रात तक मोबाइल में ही लगे रहते हैं। कपल्स अब फिजिकल रिलेशन के बाद सोने के पहले मोबाइल चेक करते हैं। एक समय तय कर लें कि उस समय डाटा बंद कर देना है। अपने नजदीकी लोगों से भी प्रेम से कह दें कि इस समय के बाद मैं मैसेज नहीं देखता/देखती। फोन पर बात करना हो तो सिर्फ मतलब की ही बातें करें। अपने यहां लोग फोन पर घंटो-घंटो बातें करते रहते हैं। कुछ लोग तो बात शुरू करने के पहले हो कान में इयर प्लग खोंस लेते हैं, बाकी तो कान पर फोन लगाए रहने से कान दर्द करने लगता है।
एक दूसरी बात, आप जब भी अपने पार्टनर से बातें करें, तो हाथ में फोन न रखें। उसकी आंख मे आंख डाल कर और हो सके तो हाथ में हाथ ले कर बात करें। आप को उसकी बात में रुचि है, आप उसकी बात ध्यान से सुन रहे हैं, इस तरह का नाटक न करें। सचमुच ध्यान से उसकी बात सुननी है। नाटक पकड़ा जाता है। सुखी और स्वस्थ लवलाइफ के लिए एकदूसरे को इस तरह का अहसास होना जरूरी है कि मेरी लाइफ में तुम से ज्यादा इम्पार्टेंट दूसरा कुछ नहीं है। मानलीजिए कि अगर कुछ इम्पार्टेंट है और फोन पर मैसेज या कोई दूसरा काम करना है तो उसके बारे में अपने पार्टनर से खुले दिल से सच्ची बात बताएं कि आप क्या कर रहे हैं। पति-पत्नी चुपचाप कुछ कर रहे हों तो जरूर शंका होगी कि किसी के साथ चैट कर रहे हैं या कर रही है। शंका का कीड़ा एक बार दिमाग में घुस जाए तो जल्दी निकलता नहीं। और फिर यह एकदूसरे का फोन चैक करने तक पहुंच जाता है। अब तो बात हैक करने तक पहुंच गई है।
आज के कपल में ज्यादातर झगड़ा मोबाइल को ले कर होने लगा है। अब तुम इस मोबाइल को रख दो? क्या मिल जाता है तुम्हें समय और दिमाग खराब कर के? तुम्हें तो हम लोगों में रुचि ही कहां है। मोबाइल से दूर रहने की बातें दोनों पर लागू होती हैं। कहीं पत्नी फोन से चिपकी रहती है तो कहीं पति फोन लिए बैठा रहता है। मनोवैज्ञानिक तो यह भी कहते हैं कि आप जैसा करेंगे, वैसी ही आदत आप की संतानों की भी पड़ेगी। अगर आप चाहते हैं कि आप की संतानें फोन से दूर रहें तो पहले आप फोन से दूर रहें। अब हम सभी को डिजिटल डिसिप्लिन सीखनी होगी। हमारे संबंधों की गाड़ी कहीं पटरी से न उतर जाए, उसके पहले ही चेत जाना समझदारी है।
ये उपाय आजमाएं
* एक ऐसा समय तय कर लें कि जिस दौरान आप फोन या इंटरनेट से दूर रहेंगे या रहेंगी। पहले यह समय कम रखिए, फिर धीरे धीरे समय बढ़ाते जाइए।
* नियम बना लीजिए कि खाते समय घर का कोई भी सदस्य फोन रिसीव नहीं करेगा और न ही इंटरनेट का उपयोग करेगा।
* पति-पत्नी साथ बैठे हों या बाहर घूमने गए हों, उस समय क्वालिटी टाइम गुजारना जरूरी है। इसके लिए कुछ समय के लिए फोन-इंटरनेट भूल जाएं। सुबह-सुबह हाथ में फोन लेने के बजाय पार्टनर को प्यार से उठाएं, सिर पर हाथ फेरें और हो सके तो माथे पर धीरे से चुंबन लें।
* पति-पत्नी जब शारीरिक सुख ले रहे हों तो उस दौरान डिस्टर्ब न हो, इसके लिए फोन साइलेंट मोड पर या स्वीच आफ कर दें।
* वर्किंग वुमन हैं तो घर आने के बाद हो सके तो फोन एक किनारे रख दें और परिवार के लोगों के साथ इंटरेक्शन करें।
वीरेंद्र बहादुर सिंह