हिमाचल प्रदेश। ऐतिहासिक नगरी पांगणा में इस सर्द मौसम मे तीसरी बार बर्फबारी हुई। प्रातःकाल से रूक-रूक कर बर्फबारी का क्रम जारी है।पांगणा के चारो तरफ बर्फ ही बर्फ फैली है। बर्फ के गिरते फाहों का नजारा
ऐसा आभास दिलाता है
मानों आसमान से चांदी बरस रहा हो।
धरती आभरण और आभूषणों का
श्रृंगार कर रही हो।सुकेत संस्कृति साहित्य एवं जन कल्याण मंच पांगणा के अध्यक्ष हिमेन्द्रबाली’हिम”जी का कहना है कि हिमाचल “हिंऊंचल” का ही पर्याय है। हिंऊंचल से ही हिमाचल का जन्म हुआ है.
हिमाचल “हिमाय” का भी पर्याय है। जो पर्वतराज भी है और माता पार्वती के पिता और सदाशिव के श्वसुर भी। “हिंऊंचल” बर्फ का लिबास ओढ़े सौंदर्य का आगार है।इसलिये हिम का लिबास लिये हिमाचल (हिमालय) विस्मयकारी है। यही कारण है कि हिमालय से सृष्टि का उद्भव होता है।सभ्यता व संस्कृति विश्व में विस्तार पाती है।हिम का आंचल हिमाचल के प्राकृतिक सौंदर्य की विशेषता हिम ही है।
बर्फ के गिरते फाहों का सुन्दर नजारा है
पुलकित है धरती देखो सौंदर्य ये न्यारा है।