Friday, May 17, 2024
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ऊंचाहार में स्वामी समर्थकों ने नहीं छोड़ी भाजपा

कहीं शामिल हुए समर्थकों द्वारा पार्टी में सेंध लगाने की योजना तो नहीं

रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता। विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर कई लोगों ने अपनी अपनी पार्टी के प्रति नाराजगी जताई और इस्तीफा भी दे दिया। इसी क्रम में रहे मौर्य समाज के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य, जो कि करीब 20 साल तक बसपा में अहम पदों पर रहे स्वामी ने 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा की सदस्यता ली थी। उस समय वह बसपा में नेता प्रतिपक्ष थे। 2017 में पडरौना से भाजपा विधायक चुने जाने के बाद उन्हें श्रम व सेवायोजन मंत्री बनाया गया था। 2017 में उनके बेटे उत्कृष्ट मौर्य भी ऊंचाहार से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए। मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने अपने स्तर से उसका भरपूर लाभ उठाया और समर्थकों और हितैषियों को भी लाभ दिलाया। जैसे-जैसे स्वयं का और पार्टी का कार्यकाल समाप्त होने लगा। वैसे वैसे प्रदेश में कुछ जगह पर पार्टी की छवि भी धूमिल होती देख कर उन्हें एक बार फिर से भाजपा में अपना भविष्य खतरे में नजर आया। जिसके चलते उन्होंने अपने दर्जनों विधायक साथियों और कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा को छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद से उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला, प्रदेश सरकार की नीतियों के खिलाफ भी हमलावर रहे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ भी बोलने से वह नहीं चूंके। यहां तक कि उन्होंने कहा कि इस बार प्रदेश में समाजवादी की सरकार होगी और प्रदेश की सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने का एक यह कारण भी सामने आ रहा था कि भाजपा द्वारा उनके बेटे उत्कृष्ट मौर्य को ऊंचाहार विधानसभा 183 की सीट से टिकट नहीं दिया जा रहा था, जिसके चलते भी उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दिया। स्वामी प्रसाद मौर्य की विरासत कही जाने वाली ऊंचाहार विधानसभा में आजकल उनके कट्टर समर्थक और मौर्य समाज भी उनके नक्शे कदम पर चलता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब से भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे तो उनके साथ ही यह भी कयास लगाए जा रहे थे कि ऊंचाहार विधानसभा में उनके जितने भी समर्थक हैं और पूरा मौर्य समाज उनके इशारे पर उन्हीं के साथ हो चलेंगे और जिस पार्टी में वह रहेंगे उसी पार्टी के नेता को अपना समर्थन देंगे, परंतु ऊंचाहार विधानसभा में ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है। यहां पर तो स्वामी प्रसाद मौर्य के कट्टर समर्थक भी आजकल भाजपा का झंडा लिए हुए दिखाई दे रहे हैं और अधिकतर मौर्य समाज भी, अपनी-अपनी पार्टी अलग से तलाश कर रहा है। अब आश्चर्य की बात यह है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया और बड़े नेताओं को ऊंचाहार विधानसभा 183 का जातिगत परिवर्तन क्यों नहीं दिखाई दे रहा है। यदि इसमें समाजवादी पार्टी के स्टार प्रचारक बने स्वामी प्रसाद मौर्य का हस्तक्षेप नहीं हुआ तो ऊंचाहार विधानसभा से सपा को मौर्य समाज का और स्वामी समर्थकों का वोंट नहीं मिल सकेगा। जहां तक अनुमान लगाया जा रहा है कि ऊंचाहार का मौर्य समाज बसपा को और स्वामी समर्थक भाजपा की पूरी तरह से समर्थन देने को तैयार हैं। हालांकि इस तरह के जातिगत समीकरणों के मामले को समय पर न सुलझा लेने से, पार्टियों को दलबदल करने वाले नेताओं से कोई लाभ नहीं मिल सकेगा। चर्चाएं और भी कई तरह की हो रही हैं, जिन पर देखते हैं बाद में आखिर क्या होता है।