Friday, May 3, 2024
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पैसा जनता का और मुनाफा घपलेबाजों का

देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में बैंकों का अहम योगदान रहता है और बैंकिंग सिस्टम देश की अर्थव्यवस्था नींव होती है। बैंकों को ज्यादा नुकसान होने से देश के हर व्यक्ति पर असर पड़ता है क्योंकि बैंकों में जमाराशि नागरिकों की होती है और हर छोटा-बड़ा व्यक्ति बैंक में अपना पैसा निवेश करता है। भारत में सबसे बड़े बैंक घोटाले के मामले में सीबीआई की जांच पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। उधर एसबीआई भी सवालों के घेरे में हैं कि आखिर उसने कई साल बाद शिकायत क्यों की, ये घोटाला 22842 करोड़ का है। करोड़ों का यह घोटाला 2012 में सामने आया था, लेकिन 8 नवंबर 2019 में पहली शिकायत दर्ज कराई गई। यानी इस मामले में सीबीआई और शिकायत करने वाला एसबीआई दोनों ही सवालों के घेरे में हैं।
गुजरात की कंपनी एबीजी शिपयार्ड का 22842 करोड़ रुपयों का घोटाला सामने आया है। जानकारी के अनुसार गुजरात की कंपनी एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और एबीजी इंटरनेशनल लिमिटेड को 28 बैंकों के कंसोर्टियम ने कर्ज़ दिया था, एसबीआई बैंक के अफसरों की माने तो कंपनी के ख़राब प्रदर्शन की वजह से नवंबर 2013 में उसका खाता एनपीए बन गया। कंपनी को उबारने की कई कोशिश हुई हैं लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद कंपनी का फ़ॉरेंसिक ऑडिट कराया गया जिसकी रिपोर्ट 2019 में आई। इस कंसोर्टियम की अगुवाई आईसीआईसीआई बैंक कर रहा था, लेकिन सबसे बड़ा सार्वजनिक बैंक होने के नाते एसबीआई ने ही सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई। बैंकों को 22842 करोड़ का नुकसान हुआ जिसमें सबसे ज्यादा 7,089 करोड़ का नुकसान आईसीआईसी बैंक को हुआ।
इन बड़े घोटालों ने देश की अर्थव्यवस्था पर चोट किया :
पीएनबी घोटाला: नीरव मोदी, मेहुल चौकसी
11.400 करोड़ का घोटाला
इलाहाबाद बैंक घोटाला: 2000 करोड़ फंसा हुआ है
विजय माल्या: 13 बैंकों को 9,432 करोड़ का घोटाला
रोटोमैक पेन घोटाला: रोटोमैक के प्रमोटर विक्रम कोठारी पर सात बैंकों से 3,695 करोड़ का घोटाला
सहारा घोटाला भी चर्चा में रहा।
यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हमारे यहां बड़ी राशि एनपीए घोषित कर दी जाती है। वहीं कई बड़े कारोबारी जनता का पैसा लेकर फरार हो जाते हैं। हाल ही में पीएनबी घोटाला इसका उदाहरण है। इसी तरह विजय माल्या का उदाहरण भी सामने है। मजे की बात है कि अगर आम आदमी लोन की किस्त नहीं भरता है तो नोटिस आ जाता है तो ज्यादा समय बीतने पर कार्यवाही भी हो जाती है। इतने बड़े घोटाले पर बैंक के कर्मचारी सो रहे थे क्या कि इतने सालों से कुछ मालूम ही नहीं पड़ा? आम आदमी के लिए बड़े नियम कानून और उन्हीं शर्तों के मुताबिक लोन लेना और वसूली दोनों होती है तो फिर इन बड़ी कंपनियों पर इतनी दया भाव क्यों और दिवालिया हुई कंपनी या भगोड़े लोनकर्ता का कर्ज क्यों माफ हो जाता है?

प्रियंका वरमा माहेश्वरी {गुजरात}