Thursday, November 28, 2024
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देखो बदल गया जमाना,लगता है अब विकास के पैसे से मनेगी अधिकारियों के घर में होली

जमाना बदला अधिकारी लेते हैं त्योहारी

*लाखों के वेतन भोगी अधिकारियों को अधीनस्थ कर्मियों ने पेश की होली की त्योहारी*

*विकास के पैसे से बनेगी अधिकारियों के घर में गुजिया पापड़ बच्चों को आएगी पिचकारी व सफेद कुर्ता पजामा*

रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता। देखो बदल गया जमाना बड़े रेस्टोरेंट और मिठाई की दुकान को छोड़कर अधिकारियों ने छोटे दुकानदारों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। कहीं बड़े दुकानदारों से अधिकारियों को बड़ा फायदा तो नहीं मिलता। बीते दिन ऊंचाहार क्षेत्र में देखा गया कि खाद्य विभाग के अधिकारियों ने गुणवत्ता की जांच करने के लिए छोटे दुकानदारों पर शिकंजा कसते दिखाई दिए लेकिन क्षेत्र में ही खुले तमाम बड़े रेस्टोरेंट पर कभी कोई जांच होती है या नहीं यह भी नहीं सुनाई पड़ता। खैर इसके अतिरिक्त इस समय लोगों की जुबान पर कुछ बड़ी बातें चर्चा का विषय बन रही है जैसे कि पहले गरीब लोग अमीरों के घर से त्योहारी लेते थे।लेकिन अब अमीर लोग गरीबों की त्योहारी पर होली का त्यौहार मना रहे है।बताते चलें कि भारत एक धार्मिक एवं सामाजिक देश के नाम से जाना जाता है। यहां साल के 12 महीनों में कोई न कोई त्यौहार बना ही रहता है। जिसमें होली दीपावली दशहरा देश के प्रमुख त्योहारों में मनाए जाने वाले त्योहार हैं।हमारे देश में मनाया जाने वाला त्यौहार सभी वर्गों के लोगों के साथ प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है। समाज में जो अमीर वर्ग है वह गरीब मजदूरों को सहानुभूति रूप में रुपए पैसे सामान देकर त्यौहार को मनाने में सहयोग करते थे। जिस प्रथा का चलन मीडियम क्लास के लोगों के बीच अधिक देखने को मिला करता है।मध्यम श्रेणी के आय वाले लोगों में त्योहार के आते ही देखने को मिला करता था कि जो उनके सहयोग में मजदूर वर्ग जिन्हें प्रजा मानकर त्योहारी के रूप में पैसा मिठाई भोजन इत्यादि सामग्री देने का चलन रहा है।इस चलन को रायबरेली जनपद के कुछ उच्च अधिकारियों द्वारा शर्मसार करते हुए अपने से छोटे अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाव बनाकर होली के त्यौहार आते ही त्योहारी के रूप में प्रति ग्राम पंचायतों से त्योहारी राशि मांगी गई है। जिसे अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा उच्च अधिकारियों को पेश कर दी गई है।जिसकी चर्चा जनपद के लोगों की जुबान से सुनने को मिल रहा है।सूत्रों की माने तो सभी विकास खंडों के गांव से त्योहारी राशि मांगी गई थी।जिसे ग्राम पंचायत अधिकारियों द्वारा कलेक्शन करके उच्च अधिकारियों को त्योहार के रूप में देना पड़ा है।इस तरह के खुले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना अति आवश्यक है।इस तरह के भ्रष्टाचार की स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा जांच कराना समाज हित में अति आवश्यक है। वह अधिकारी कौन है जो अधीनस्थ कर्मचारियों से त्योहारी के नाम पर धन वसूली कर रहा है।यह बड़ी जांच का विषय है और जांच हुई तो बड़े चेहरे बेनकाब होंगे।