Thursday, November 28, 2024
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हाथरस की गलियों में सजी होलिका

हाथरस। गली मोहल्लों में होलिका दहन के लिए होलिका को तैयार कर दिया है। तो होलिका दहन के समय जौ का खास महत्व होता है, उसके लिए भी लोग दुकान सजाए बैठे है। होलिका दहन के बाद नगर में रंगों की बरसात होगी उससे पहले सभी होलिका की पूजा पाठ में जुटे है। इस होली के त्यौहार पर हिन्दू मुस्लिम एक साथ चलते है इसका भी प्रमाण मिलता है।होली मेले में दुकान सजाने वाले मुस्लिम भी इंतजार करते है होली का।हाथरस को ब्रज की धहरी कहा जाता है, होली के आते ही शहर होली के रंग में रंग जाता है। रंगों की होली से पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के लिए नगर की सभी गली मोहल्लों में होलिका को तैयार कर दिया गया है। जिसकी जितनी संभाई उसने उतना ही बड़ा रूप होलिका को दे दिया। आप देख सकते है गली मोहल्लों के चौराहों पर सजी होलिका को ये छोटी जरूर है पर इसमें लोगों की आस्था बहुत बड़ी है। होलिका दहन के बाद जौ देकर आशिर्वाद लेने का रिवाज हाथरस ही नही पूरे ब्रज क्षेत्र में सदियों से चला आ रहा है, जिसके लिए नगर में जगह जगह लोग जौ का ढेर लगा कर बेच रहे है। होली का त्यौहार सिर्फ मनोरंजन या रस्म की अदायगी नही तमाम लोगों का रोजगार वही लेकर आता है। इस मौके पर आपको लिए चलते है नगर की सबसे बड़ी होली पर जो मधु गढ़ी में सजाई गई है। जिसकी पूजा पाठ करने के लिए सुबह से महिलाओं का आना शुरू हो जाता है। वहीं पूजा के साथ यहां मेला भी लगता है, जिससे फुटपाथ पर रोजगार करने वालों का रोजगार बन जाता है। फुटपाथ पर बच्चों के खिलौने बेचने वालों का कहना है कि, हम हर साल होली के दिन यहां अपनी फड़ लगा कर समान बेचते है। वही जाती धर्म को किनारे कर गले लगने का त्यौहार होती है होली। तभी तो हाथरस के रहने वाले महोम्मद इंतियाज होली के इस पर्व का इंतजार करते है और हर बर्ष अपना फड़ लगा कर व्यापार करते है, उनका कहना है यहां से अच्छा रोजगार हो जाता है।