Saturday, April 20, 2024
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लापरवाही का नमूना परीक्षा होने के एक साल पहले ही दिखाया उत्तीर्ण

अंबेडकर विवि सन् 2017 में विद्यार्थियों ने एमकाम, फाइनल ग्रुप एकाउन्ट एण्ड लाॅ की दी परीक्षा
घोषित परीक्षा परिणाम में 2016 में उत्तीर्ण दिखाया गया है
छा़त्रों को होना पढ रहा है परेशान
फिरोजाबाद, एस. के. चित्तौड़ी। डाक्टर भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय द्वारा एम.काम. फाईनल गु्रप एकाउन्ड एण्ड लाॅ की परीक्षाएं सन 2017 में आयोजित हुई और एस.आर.के कालेज से नियमित तथा प्राईवेट छात्र जो एम.काम.फाईनल गु्रप एकाउन्ट एण्ड लाॅ की परीक्षा में शामिल हुए थे इन छात्र छात्राओं का जो रिजल्ट 26 जून 2017 को घोषित किया गया , जब परीक्षार्थियों को अपने रिजल्ड निकलने की जानकारी मिली और वे अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हो गये है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन अगले ही पल उनकी खुशी गम में बदलती नजर आने लगी क्योंकि जब उनकी नजर विश्वविद्यालय द्वारा नेट द्वारा घोषित मार्कशीट पर तिथि 26 अगस्त 2016 लिखी हुई दिखी तो उनके होश पुख्ता उड गए। लेकिन आश्चर्य है कि परीक्षा विभाग जैसी जिम्मेदारी पद पर बैठे किसी भी अधिकारी यहां तक रजिस्टार तथा क्लर्क का ध्यान इस ओर नहीं गया? और नेट पर रिजल्ट घोषित करने की तिथि 26 अगस्त 2016 डाल दी गई है। ऐसी नैट के द्वारा कम्प्यूटर पर निकली मार्कशीर्ट पर जब विद्यार्थियों के हाथ में आई और उनका ध्यान जब इस ओर गया तो वे अपने आप का ठगा सा महसूस करने लगे। वे अपनी अंक पत्र में परिणाम घोषित की तिथि को देख कर छात्र छात्राएं अचंभित है कि विश्वविद्यालय द्वारा इतनी घोर लापरवाही कर उनके जीवन के साथ खिलवाड क्यों किया जा रहा है । छात्र छात्राओं द्वारा कम्प्यूटर पर निकलवाई गई मार्कशीर्ट को लेकर वे दुविधा की स्थिति में है कि वे अब क्या करें ?कहीं ऐसी ही गल्ती उन्हें छह सात माह की इंतजारी के बाद प्राप्त होने वाली मार्कशीर्ट में भी यह गलती अंकित ना हो कर आ जावे और फिर उन्हें विश्वश्वविद्यालय के चक्कर काट काट कर परेशान होना पडे। शिक्षक शैलेन्द्र कुमार चतुर्वेदी ने कहा है कि अंबेडकर विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर हमेशा प्रश्न चिन्ह लगते ही रहते है। वैसे भी परीक्षा परिणाम निकलने में काफी देरी होने की बजह से छात्र छात्राएं बहुत परेशान है ऐसे में इस तरह का परिणाम निकलना छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड करना ही है। अन्य विद्याथियों को विचलित कर देता है और उनकी अंकपत्र संदेह के घेरे में आ जाते है। यहां तक जुलाई माह एक शैक्षिणिक माह तो है ही कई सरकारी तथा प्राईवेट विद्याालय की नौकरियों के आवेदन मांगे जाते है कहीं उससे भी वे वंचित ना हो जायें उसकी चिंता उन्हें सता रही है। श्री चतुर्वेदी ने विश्वविद्यालय के साथ ही साथ कालेज प्रशासन से भी मांग की है कि इस तरह की घोर लपारवाही पर परीक्षा विभाग पर कुलपति तथा रजिस्टार महोदय ध्यान दें ब़च्चों को सही मार्कशीट्र प्रदान करें ताकि उन्हें कालेज तथा विश्वविद्यालय के चक्कर ना काटना पड़े।