Sunday, May 19, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » मोटा अनाज पोषण के लिए उपयोगी-डीपीओ

मोटा अनाज पोषण के लिए उपयोगी-डीपीओ

हाथरस। जनपद में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा पोषण पखवाड़े के तहत विभिन्न गतिविधियां की जा रहीं हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी धीरेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि स्वस्थ जीवन के लिए उचित पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। शरीर की आहार संबंधी आवश्यकताओं के तहत पोषक तत्वों की प्राप्ति के लिए अच्छा पोषण या उचित आहार सेवन महत्वपूर्ण है। नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ पर्याप्त, उचित एवं संतुलित आहार अच्छे स्वास्थ्य का आधार है।
डीपीओ ने बताया कि खराब पोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और रोग के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है। शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है। पोषण माह के तहत विभिन्न प्रकार की जानकारियां दी जा रहीं है। पोषण वाटिका भी लगाई जा रहीं हैं। आंगनबाड़ी केंद्र से पोषाहार मुहैया कराया जा रहा है। इसके आलावा इम्यून सिस्टम अच्छा रहे इसके लिए योग और एक्सरसाइज भी कराई जा रही है और उसके फायदे बताए जा रहे हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि मोटे अनाज पोषण के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। इनमें फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स होते हैं जो शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं। मोटे अनाज में फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो भूख को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा मोटा अनाज शरीर के विभिन्न भागों के लिए जरूरी विटामिन और मिनरल्स का स्रोत भी होते हैं।
सही पोषण न मिलने के प्रभाव-
सरकार द्वारा भी शिशुओं के सही पोषण के लिए शुरुआती एक हजार दिन को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसके अंतर्गत जन्म से लेकर शिशु के दो साल तक के समय में सबसे ज्यादा पोषण पर ध्यान देने की जरुरत होती है। जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार का कहना है कि यदि बच्चे के जन्म के एक घंटे के अन्दर माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये तो ऐसे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जब यही मां का दूध लगातार 6 महीने तक लगातार बच्चे को दिया जाता रहे बिना किसी अन्य पेय पदार्थ जैसे पानी, घुट्टी, शहद, गाय या भैंस का दूध के तो यह बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए सम्पूर्ण आहार के रूप में काम करता हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-21) के अनुसार जनपद में 67.4 प्रतिशत बच्चे छः माह तक स्तनपान करते हैं। वहीं, छः माह से 23 माह तक के सिर्फ 5.3 प्रतिशत बच्चों को स्तनपान के साथ पूरक आहार दिया जा रहा है। लाभार्थी बताते हैं कि आंगनबाड़ी केंद्र पर हर महीने बच्चे का वजन लिया जाता है, साथ ही पोषाहार भी मिलता है। दयानतपुर निवासी गर्भवती लाभार्थी निशा ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हमें हरी पत्तेदार सब्जियां, आयरन की गोली खाने के लिए बताती हैं। जिसका वह पालन करती हैं।
पोषण क्यों जरूरी?
एक अच्छा पोषण रोगों से बचाता है, शरीर की ऊर्जा को बढ़ाता है, मनोदशा को बेहतर बनाता है और एक स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है। यह शरीर के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है, खासतौर पर बच्चों के लिए जो शारीरिक और मानसिक विकास की शुरुआत कर रहे होते हैं।
डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि सही पोषण न मिलने पर, शरीर पर बहुत से चिकित्सीय प्रभाव पड़ते हैं जैसे कि आंतों में संक्रमण, पोषक तत्व को अवशोषित करने में समस्या, मांसपेशियों की हानि, त्वचा में संक्रमण, पेनक्रियाज में समस्या, शुगर जोखिम में वृद्धि, लीवर व प्रतिरक्षा प्रणाली में समस्या, श्वासप्रणाली में संक्रमण, हृदय रोग सम्बन्धी समस्या, भूख में कमी, सुस्ती, दीर्घकालिक विकासात्मक प्रभाव, थायरॉयड, तनाव, शारीरिक विकास, हार्माेनल असंतुलन आदि।
स्वीकार्य आहार
अनाज, कन्द व मूल, गाढ़ी पकी हुई दालें व फलियाँ, दूध व दुग्ध पदार्थ, अंडा, मांस व मछली, पके हुए नारंगी, पीले रंग के गूदेदार फल एवं सब्जियां, हरी एवं पत्तेदार सब्जियां आदि।