Monday, May 20, 2024
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लेख/विचार

 वोट के महत्व

 वोट में ऐइसन का बा

सत्ता परिवर्तन के ई अधिकार बा

पाँच साल में उ नजर ना अइले

चुनववा में वोट खातिर नेता रउवे द्वार बा

भैया लोग आपन वोट के किम्मत पहचानेके बा

काम पडेला त नेताजी ना मिलेनी

हर समय बिजी-बिजी रहेनी

पर काम होत कुछ ना दिखेला

खाली चुनववा में वोट के महत्व पता चलेला

सत्ता परिवर्तन के ई अधिकार बा

माता-बहिन, चाचा-चाची, भैया-भाभी से इहे हमार एक अपील बा

वोट के सही उपयोग करेके बा

रजनीश कुमार अम्बेडकर

पी-एच.डी., रिसर्च स्कॉलर, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)

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कामुकता ही कामयाबी का मापदंड

पहले के ज़माने में शादीशुदा स्त्री के कुछ दायरे और बहू के औधे की गरिमा हुआ करती थी। किसी खानदान की इज्जत और शाख होती है बहूएं। ससुराल वाले कितने भी मार्डन क्यूँ न हो, अपने घर की लक्ष्मी को पूरी दुनिया के सामने गैर मर्द के साथ हर सीमाएं पार करते कामुक हरकतें करते हुए कैसे देख सकते है। भले ही उनके प्रोफ़ेशन का हिस्सा हो। आज के आधुनिक ज़माने में कुछ लोगों को ऐसी बातें दकियानुसी और पुराने खयालात वाली लग सकती है। पर क्या हम खुद अपने घर की बहू बेटियों को ऐसी हालत में देख सकते है। कई हीरोइनों ने शादी के बाद क्षेत्र सन्यास ले लिया है। कहने का मतलब ये नहीं की शादी के बाद काम छोड़ दो, पर आप किसी के घर की मर्यादा हो इज्जत हो इस बात को याद रखकर एक सीमा तय करते काम करना चाहिए।

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विवाह की बढ़ती उम्र से जूझता युवा वर्ग, समाज की खामोशी पर सवालियाँ निशान !

आज हर वर्गों एक चिंताजनक दौर साफ़ नजर आ रहा है; अधिक उम्र तक युवक-युवतियों की शादी न होना। इसको लेकर आज सभी समाज काफी चिंताग्रस्त है। लड़के की उम्र 30 के पार जाने लगी है परन्तु शादी की बात करे तो इस उम्र तक उनकी शादी न होना एक सामाजिक समस्या बनकर उभर रही है। यह समस्या इतनी विकराल होती जा रही है कि लड़के एवं लड़कियों की उम्र 30-35 पार करने पर भी वे कुँवारे बैठे है; यही कारण है कि लड़के-लड़कियों में एक अवसाद की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है। इसका एक मुख्य कारणों में तेजी से समाज में परम्पराओं का बदलता दौर शामिल है।

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ये आपकी पसंद है या परंपरा

स्कूल में हिजाब पहनकर आने की ज़िद्द सरासर गलत है, मुद्दा इतना बड़ा नहीं जितना खिंचा जा रहा है। आप कुछ भी पहनने के लिए आज़ाद हो। बुर्का, हिजाब, सलवार-कमीज, या फटी हुई जीन्स कहीं पर कुछ भी पहनिए किसीने कभी नहीं रोका, पर स्कूल का एक अनुशासन होता है, स्कूली बच्चो के लिए यूनिफॉर्म बहुत जरूरी है। सभी की यूनिफॉर्म एक जैसे होती है तो बच्चो के अंदर हीन भावना जन्म नहीं लेती। सभी बच्चे जब यूनिफॉर्म में होते है तो यह पता नहीं चलता है की कौन अमीर का बेटा है कौन गरीब का। कौन हिन्दु, कौन मुसलमान सब एक समान लगते है।

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लता जी के जीवन से सीख : भावी पीढ़ी के लिए

माँ शारदे की वृहद पुत्री स्वर कोकिला लता जी के जीवन का विश्लेषण हमें जीवन के बहुत सारे पक्षों पर सोचने और सीखने को प्रेरित करता है। वह लता जी जो सबके दिलों में चीर-स्थायी विराजमान रहेंगी। आइये हम उनके जीवन के कुछ पक्षों को उजागर कर उनसे सीखने का प्रयास करते है।
ज़िम्मेदारी उठाना सीखे:- लता जी के पिताजी ने अपने अंतिम समय में उन्हें घर की बागडोर दी थी। उस तेरह वर्ष की किशोरी ने छोटे-छोटे चार भाई-बहनों के पालन की ज़िम्मेदारी को सहज स्वीकार किया। जीवन पर्यंत अविवाहित रही और अपना पूरा जीवन उन चारों को समर्पित किया। आज उनके परिवार की जगह समाज के प्रतिष्ठित परिवारों में से एक है। यह भी उनकी सफलता का एक महत्वपूर्ण आयाम है।

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मेरी ख़्वाहिशों की लिस्ट में ‘तुम’

कहते है दाम्पत्य जीवन से गहरा कोई बंधन नहीं होता। प्रेम से शुरू होकर करुणा की यात्रा वाला सफर, पर जब प्रेम की अभिव्यक्ति को अपने हमसफर का सुंदर एहसास मिल जाता है तो दुनिया वाकई बहुत खूबसूरत हो जाती है। एक ऐसा हमदर्द जो आपके मौन और मनोभावों को पहचानने की क्षमता रखता हो तो मन-बसंत के नवीन प्रसून खिलने लग जाते है। तेरा मेरे जीवन में होना मेरे जीवन की बगियाँ को महका देता है। तेरा होना मुझे संजने-सँवरने और कुछ नया करने को प्रेरित करता है। तू ही तो मेरे जीवन में खुशियों की सुनहरी चाबी है। तेरे साथ ही तो मैं रूठना, मनाना, गुनगुनाना, इतराना, इठलाना जैसी भावनाओं को व्यक्त करना चाहती हूँ। तेरे होने से हृदय के एक कोने में सुखों की कल्पनाओं को सँजोये रखती हूँ।

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किस दिशा में जा रही है आज की युवा पीढ़ी

हिजाब, बनाम भगवा स्कार्फ़ किसके दिमाग की उपज है ये तो नहीं पता, पर अगर आज की युवा पीढ़ी ऐसे मामलों में अटकी और उलझी रहेगी तो देश का भविष्य धुँधला समझो। युवाओं की काबिलियत पर देश का भविष्य टिका होता, है देश की रीढ़ होता है युवाधन। पर आजकल देश में जो माहौल दिख रहा है वो देश के भविष्य पर एक प्रश्नार्थ खड़ा करता है। युवा स्वार्थी हो गया है या यूँ कहे की भटक गया है। वो देश की तरक्की के बारे में न सोच कर सिर्फ अपने बारे में सोचता है या नेताओं के भड़काऊँ भाषणों से प्रभावित होते अपने लक्ष्य से भटक रहे है। नारे और पत्थरबाज़ी में अटक गए है। डेमोक्रेसी का गलत फ़ायदा उठाते देश में अशांति और अराजकता फैलाने में लगी युवा पीढ़ी पर अंकुश लगाना होगा और सही दिशा में मूड़ना होगा।

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‘डीवर्मिंग-डे’ मनाइये, खुश और स्वस्थ रहिये

राष्ट्रीय डीवर्मिंग दिवस को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 10 फरवरी और 10 अगस्त को द्विवार्षिक रूप से मनाया जाता है। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 1- 19 वर्ष की आयु के सभी बच्चों में आंतों के कृमि संक्रमण के इलाज के लिए एक निश्चित दिन है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सलाह के अनुसार नियमित रूप से डीवर्मिंग करने से बच्चों और किशोरों में कृमि संक्रमण समाप्त हो जाता है, जिससे बेहतर पोषण और स्वास्थ्य प्राप्त करने में योगदान होता है। हेल्मिंथियासिस परजीवी कृमियों से होने वाला संक्रमण या रोग है। राष्ट्रीय डीवर्मिंग दिवस को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 10 फरवरी और 10 अगस्त को द्विवार्षिक रूप से मनाया जाता है। डीवर्मिंग का कार्यान्वयन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के नेतृत्व में, महिला और बाल विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ और तकनीकी भागीदारों से तकनीकी सहायता के सहयोग से किया जाता है। इसे 2015 में लॉन्च किया गया था।

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पर्वतमाला परियोजना, पहाड़ों की मुश्किल भौगोलिक स्थितियों के लिए वरदान साबित होगी

पर्वतमाला परियोजना से रोपवे के बुनियादी ढांचे संचालित प्रमुख कारकों परिवहन का किफायती माध्यम, तेज माध्यम पर्यावरण के अनुकूल लास्ट माइल कनेक्टिविटी का लाभ मिलेगा- एड किशन भावनानी
भारत तेज़ी के साथ अपने लक्ष्य विज़न 2047 सहित अनेक क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे को नए भारत, डिजिटल भारत के अनुसार बनाने, ढांचागत सुधार करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लिए अर्थव्यवस्था में जान फूंकने कौशलता विकास कार्यक्रमों, स्टार्टअप, एमएसएमई, डिजिटल कृषि सहित परिवहन क्षेत्र में सबसे बड़ी परियोजनाओं भारतमाला, सागरमाला और अभी बजट 2022 में प्रस्तावित पर्वतमाला परियोजनाओं को शामिल करके बुनियादी परिवहन ढांचे का आधुनिकीकरण कर दुर्गम पहाड़ी इलाकों में परिवहन कनेक्टिविटी से पर्यटन उद्योग और रोज़गार को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित होगी और वर्तमान प्रस्तावित पर्वतमाला परियोजना से रोपवे के बुनियादी ढांचे संचालित करने वाले प्रमुख कारकों में परिवहन का किफायती मध्यम, तेज माध्यम, पर्यावर अनुकूल, लास्ट माइल कनेक्टिविटी का अधिक लाभ मिलने की पूर्ण संभावना है।

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विश्व के लिए एक और खतरा

पिछले साल इजराइल और फिलिस्तान का युद्ध भी विश्व युद्ध का खतरे जैसी परिस्थितियों को पैदा कर चुका था लेकिन विश्व युद्ध से बच ही गया विश्व।
लेकिन अब क्या होगा जब रूस और यूक्रेन के बीच जो तनातनी चल रही हैं ये और भी ज्यादा खतरनाक हैं। यूक्रेन जो १९३९ के दौरान विश्व युद्ध में रशिया ने अपना बचाव यूक्रेन की और से ही किया था।पहले तक रशियन साम्राज्य था तब १९१७ में ये साम्राज्य बिखर गया और यूक्रेन स्वतंत्र हो गया लेकिन ३ साल बाद १९२० में वापस रशिया में शामिल हो गया।फिर १९९१ में विघटन हो रशिया १५ देशों में बंट गया। सोवियत यूनियन ऑफ रशिया में से अलग हुए देशों में से एक हैं।युद्ध के हालात का कारण क्या हैं?

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