Saturday, September 21, 2024
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बहरावली में होली पर युवक की गोली मार कर हत्या

दो पक्षों में हुए झगडे में चली गली में गई जान
मथुरा। छाता क्षेत्र के गांव बहरावली में होली के रंग में भंग पड़ गया। गुलाल लगाने को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया। जिसमें एक युवक के सर में गोली लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। परिवारजनों ने छाता थाने में घटना की शिकायत कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। बताया जा रहा है कि छाता के गांव बहरावली में गुलाल लगाने को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि हथियार निकल आए और आरोपियों ने होरी लाल के सिर में गोली मार दी। जिसकी इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। घटना से गांव में सन्नाटा पसर गया। घटना की सूचना पाकर छाता पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। गोविंद बृजवासी ने बताया कि आरोपियों से कोई भी दुश्मनी नहीं थी।

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जस्टिस फॉर चिल्ड्रन एंड वूमेन सोसाइटी ने किया कामकाजी महिलाओं का सम्मान

⇒जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैः सतीश
मथुरा। जस्टिस फॉर चिल्ड्रन एंड वूमेन सोसाइटी ने 11 कामकाजी महिलाओं को सम्मानित किया। सामाजिक कार्यकर्ता सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण के लिए संचालित संस्था जस्टिस फॉर चिल्ड्रन एंड वूमेन सोसाइटी द्वारा कामकाजी महिलाओं को उनके कार्य स्थल पर जाकर सम्मानित किया गया। इस तरह के कार्यक्रम संस्था कामकाजी महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए करती है। जिससे समाज में उनकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो सके। संस्था अध्यक्ष सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है श्यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता अर्थात् जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।

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सब जग होरी या ब्रज होरा, दाउजी मंदिर में बरसा अनूठा रंग

⇒हुरंगा देखने को देश विदेश से पहुंचे लोग, अद्भुत था नजारा
मथुरा। बृज के राजा बलदाऊ की नगरी बलदेव में हजारों लोग अलौकिक हुरंगे का साक्षी बने। बलदेव के मुख्य दाऊजी मंदिर प्रांगण में खेले गये इस हुरंगे में हुरियारिनें हुरियारों के कपडे फाड़कर उसके कोड़ा बनाती हैं और हुरियारों पर कोडों की प्यार भरी मार मारती हैं। इस बीच प्यार भरी तीखी नोक झोंक भी होतो है। हुरंगे को कपड़ा फाड़ होली भी कहा जाता है। इस अद्भुत होली को देखने के लिए देश विदेश से हजारों श्रद्धालु दाऊजी पहुंचे। बृज में होने वाले 40 दिन के होली उत्सव के दौरान बृज के राजा बलदाऊ जी की नगरी बलदेव में हुरंगे का आयोजन किया गया। मंदिर प्रांगण में खेली जाने वाली इस होली का यहां व्यापक रूप देखने को मिलने की वजह से इसे हुरंगा कहा जाता है, इस होली की परम्परा ये रही है कि इसमें महिलाएं और पुरुष ही शामिल होते हैं। सबसे पहले मंदिर प्रांगण में इकठ्ठा हुई हुरियारिन और हुरियारों ने बलदाऊ जी के मुख्य भवन की परिक्रमा की।

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स्ट्रीट स्कूल के बच्चों के साथ खेली होली

⇒स्ट्रेंजर फ्रेंड्स हैल्पिंग हैंड्स सोसाइटी ने किया आयोजन
मथुरा, श्याम बिहारी भार्गव। स्ट्रेंजर फ्रेंड्स हैल्पिंग हैंड्स सोसाइटी द्वारा एस.एफ स्ट्रीट स्कूल का संचालन किया जा रहा है। निःशुल्क शिक्षा सेंटर की दोनों शाखा के बच्चों और दिशा इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन एंड टेक्नोलॉजी की छात्राओं के साथ हर वर्ष की तरह होली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। ं कार्यक्रम की शुरुआत संस्था की अध्यक्ष और दिशा इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन एंड टेक्नोलॉजी की डायरेक्टर शिखा अग्रवाल द्वारा स्ट्रीट स्कूल में निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों को ओर फैशन इंस्टीट्यूट की छात्राओं के गुलाल लगा कर की गई। बच्चों द्वारा होली के गीत प्रस्तुत किए गए। वरिष्ठ सदस्य पीयूष बंसल ने बच्चों से इस पर्व को मनाने के पीछे का उद्देश्य बताते हुए कहा कि ब्रज की होली देश विदेश में विख्यात है। जिसका मुख्य कारण हमारे श्री कृष्ण हैं। होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में मनाया जाता है। उसी तरह हमें भी हर वक्त हर समय लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए और अच्छाई के रास्ते पर निरंतर अग्रसर रहना चाहिए।

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जेसीआई मथुरा कालिंदी ने आयोजित किया होली मिलन समारोह

मथुरा। छटीकरा स्थित कृष्णा फार्म पर जेसीआई मथुरा कालिंदी द्वारा होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया जिसमें संस्था की सदस्यों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। मंच संचालन जेसी रूपाली और जेसी अलका ने किया। सर्वप्रथम सर्कस थीम पर तंबोला कराया गया। उस के बाद सभी पूर्व अध्यक्षों द्वारा खलनायक थीम पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसी क्रम में पप्पू का भांग का ठेका भूकंपेश्वरी, ठरकी पंडित और देवरानी जेठानी की भोजपुरी लड़ाई, नाटिका प्रस्तुत की गई। रूपा गोपाल ने पति का मुरब्बा नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। महिला दिवस के अवसर पर अध्यक्ष जेसी रजनी मालपानी ने अपने विचार रखे। सभी पूर्व अध्यक्षों को हास्य भरे स्लोगन भी दिए गए।

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शिशु सदन में बच्चों के साथ बांटी होली की खुशियां

मथुरा। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के कार्यकर्ताओं ने होली का महापर्व मथुरा कलेक्ट्रेट स्थित राजकीय बाल गृह शिशु सदन में बच्चों को मिष्ठान, फल, चिप्स, गुलाल पिचकारी बांटकर मनाया। इसके बाद जिला अस्पताल में मरीजों को फल वितरण किए गये। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के कार्यकर्ताओं का होली मिलन समारोह हुआ। इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन टिकैत के निवर्तमान जिलाध्यक्ष देवेंद्र कुमार रघुवंशी, पवन चतुर्वेदी, लोकेश कुमार राही ने संयुक्त रूप से कहा कि मथुरा जनपद केे सभी समाजसेवी एवं राजनीतिक दल जनपद के पूंजीपति अपने त्योहार जरूरतमंद बच्चों के साथ मनाएं। यह एक परंपरा बननी चाहिए, जिससे हर चेहरे पर मुस्कान लौट सके। यह बच्चे देश का भविष्य हैं।

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जयगुरुदेव आश्रम में नौ मार्च तक चलेंगे होली के कार्यक्रम

मथुरा। ब्रज में इस समय होली महोत्सव की धूम है। इसी क्रम में पारम्परिक रूप से बाई पास स्थित जयगुरुदेव आश्रम में होने वाला जयगुरुदेव होली सत्संग मेला 7 से 9 मार्च तक आयोजित है। यहां भी होली की विशेषता यह है कि यहां रंग की होली से भिन्न पावन ब्रजरज से तिलक लगाकर खेली जाती है। मेला परिसर श्रद्धालुओं के आगमन से गुलजार होने लगा है। कार्यक्रम के अनुसार प्रातःकाल व सायंकाल साधना का अभ्यास, प्रातः 6 व सायं 3.30 बजे से सत्संग, समयानुसार सत्संग गोष्ठियां, पूजन व संस्थाध्यक्ष पूज्य पंकज जी महाराज का सत्संग 8 को प्रातः 6 बजे से होगा। दहेज रहित विवाह रात्रि 9 बजे से होगा। आज सत्संग का शुभारम्भ बाबूराम यादव व रा. उपदेशक ने सत्संग प्रारंभ करते हुये त्योहारों के महत्व पर प्रकाश डाला।

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हर नुक्कड़ चौराहे पर होली, रंगोली, इठलाई कान्हा की नगरी

मथुरा। कान्हा की नगरी में होली के रंग अनूठे हैं। यह अनूठा पन होली खेलने तक ही सीमित नहीं है। होलिका दहन भी यहां बेहद आकर्षक होता है। फालैन में धधकती होली से पंडा का निकलना सब को आश्चर्यचकित करता रहा है। वहीं दहन के लिए सजाई जाने वाली होलिका भी सबको आकर्षित करती है। होली के कान्हा की नगरी का रूप अलग ही नजर आ रहा था। हर तिराहे चौराहे पर गोद में प्रहदाल को बिठाये होलिका की प्रतिमा थी। जगह जगह सुंदर रंगोलियां नजर आ रही थीं। मंदिरों को आकर्षक ढंग से इस अवसर के लिए सजाया गया था। रात को ब्रज के मंदिर दूधिया और रंग बिरंगी रोशनी से जगमगा उठे। माना जाता है कि कान्हा की नगर में ही सबसे पहले होली की प्रतिमा का होलिका दहन के दिन स्थापित करने की परंपरा शुरू हुई थी। होली वाली गली का महत्व भी इससे जुड़ा हुआ है।

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होली पर असावधानियां न दें जिंदगी भर का दर्द

रंगों के त्यौहार होली पर भला कौन ऐसा व्यक्ति होगा, जो आपसी द्वेषभाव भुलाकर रंग-बिरंगे रंगों में रंग जाना नहीं चाहेगा। लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर, गुलाल लगाकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं लेकिन होली के दिन प्राकृतिक रंगों के बजाय चटकीले रासायनिक रंगों का बढ़ता उपयोग चिन्ता का सबब बनने लगा है। ज्यादातर रंग अम्लीय अथवा क्षारीय होते हैं, जो व्यावसायिक उद्देश्य से ही तैयार किए जाते हैं और थोड़ी सी मात्रा में पानी में मिलाने पर भी बहुत चटक रंग देते हैं, जिससे होली पर इनका उपयोग अंधाधुंध होता है। ऐसे रंगों का त्वचा पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ता है। शुष्क त्वचा वाले लोगों और खासकर महिलाओं व बच्चों की कोमल त्वचा पर तो इन रंगों का सर्वाधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। अम्ल तथा क्षार के प्रभाव से त्वचा पर खुजलाहट होने लगती है और कुछ समय बाद छोटे-छोटे सफेद रंग के दाने त्वचा पर उभरने शुरू हो जाते हैं, जिनमें मवाद भरा होता है। यदि तुरंत इसका सही उपचार कर लिया जाए तो ठीक, अन्यथा त्वचा संबंधी गंभीर बीमारियां भी पनप सकती हैं। घटिया क्वालिटी के बाजारू रंगों से एलर्जी, चर्म रोग, जलन, आंखों को नुकसान, सिरदर्द इत्यादि विभिन्न हानियां हो सकती हैं। कई बार होली पर बरती जाने वाली छोटी-छोटी असावधानियां भी जिंदगी भर का दर्द दे जाती हैं।

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हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ निकला भगवान शिव का डोला

फिरोजाबाद। श्री सनातन धर्म रामलीला महोत्सव समिति के द्वारा होली के अवसर पर बांके बिहारी महाराज मंदिर से गाजे-बाजे के साथ भगवान शिव का भव्य डोला निकाला गया। वही डोले के साथ चल रहे पदाधिकारी सड़क पर अबीर-गुलाल उड़ाते हुए चल रहे थे।
मंगलवार को श्री सनातन धर्म रामलीला महोत्सव समिति द्वारा श्री बांके बिहारी मंदिर से भगवान शिव का डोला धूमधाम से निकाला गया। डोला दूध वाली गली, नीम चौराहा, मौहल्ला दुली, डाकखाना चौराहा, गंज मौहल्ला, सदर बाजार, इमामबाड़ा चौराहा से होगर गली बोहरान होते हुए हुंडवाला बाग होते हुए पेमेश्वर गेट महादेव मंदिर पर पहुंचा। मंदिर पर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के बाद यह डोला वापस होकर बिहारी मंदिर पर पहुंचकर समाप्त हुआ।

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