Saturday, November 16, 2024
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बीएलओ की लापरवाही से मतदान से वंचित हुए मतदाता

ऐसा लग रहा है वोटर लिस्ट का काम शिक्षित कर्मचारियों के हाथ में नहीं है
प्रयागराज, वी. डी. पाण्डेय। एक तरफ चुनाव आयोग वोट प्रतिशत बढाने के लिए स्कूली बच्चों को भी धूप में खड़ा करके वाहवाही लूटता है। वही जिन्हे वोट देना है उनका नाम ही वोटर लिस्ट में नहीं है बीएलओ किसका नाम जोड़ते है किसका नाम काटते है यह किसी को पता नहीं चलता, बीएलओ खुद मान रहे है कि गड़बड़ी हुई और करायी भी गयी है।
बीएलओ ग्राम प्रधान के घर पर बैठकर प्रधान की मर्जी के अनुसार नाम जोड़़ते और घटाते है बेटी का नाम है या मां का नाम गायब है, छोटे भाई का नाम है बड़े का गायब है। वोटर यह बता रहे है कि बीएलओ खुद काम नहीं करती है दूसरे लोगों के द्वारा घर पर बैठकर जिम्मेदारी निभायी जाती है।

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छत से गिर कर भाई बहन घायल

चकिया/चन्दौली, दीपनारायण यादव। स्थानीय क्षेत्र के सिकन्दरपुर निवासी इंतियाज खां के दो बच्चें मुमताज 12वर्ष व शकीना 6 वर्ष मंगलवार की सुबह छत से गिर कर घायल हो गये। इस सम्बन्ध में बताया गया कि सुबह दोनों नींद खुलने के बाद छत से उतने के लिए जैसे ही अपने कदम बढ़ायें एक झटके के साथ नीचे गिर गये, दो बच्चों को एक साथ गिरने से मुहल्लें में हड़कंप मच गया, परिजनों द्वारा आनन फानन में दोनों बच्चों को जिला संयुक्त चिकित्सालय लाया गया जहां तैनात डाक्टर ने शकीना को गम्भीर चोट के कारण ट्रामा सेन्टर वाराणसी के लिए रेफर कर दिया।

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अवैध टेंपो स्टैंड की व्यवस्था करें नगर निगम

कानपुर, जन सामना ब्यूरो। आज कानपुर प्रेस क्लब में संयुक्त टेंपो टैक्सी संघ की वार्ता हुई। जिसमें विष्णु शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में कानपुर में लगभग 2100 टेंपो टैक्सी व 3959 ऑटो संचालित हो रहे हैं। महानगर निरंतर आबादी और एरिया के अनुपात में बढ़ रहा है। महानगर में आम आदमी के यातायात के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर सिर्फ टेंपो, टैक्सी, ऑटो ही एकमात्र सुलभ साधन है। सरकारी परिवहन व्यवस्था बस या तो विभिन्न रूटों पर चल नहीं रही स्थिति दयनीय और किराया टेंपो टैक्सी के मुकाबले में ज्यादा इधर कुछ स्वार्थी राजनीतिक तत्वों ने टेंपो टैक्सी के संचालन के संबंध में वसूली के झूठे आरोप लगाकर टेंपो, टैक्सी, ऑटो स्टैंड पर संचालन को ठप कर रखा है पूरे शहर में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। आशिक पुलिस चरमरा रही यातायात व्यवस्था को संभाल नहीं पा रही और टेंपो स्टैंड संचालन जो बीपीओ वर्ष से नगर निगम द्वारा चिन्हित स्थानों से टेंपो स्टैंड ओवर संचालन कर रहे हैं।

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महात्मा सूरदास जन्म उत्सव पर दृष्टि बाधित दिव्यांगजनों का एवं नेत्र दानियों के परिजनों का सम्मान

कानपुर, जन सामना ब्यूरो। महात्मा सूरदास जन्म उत्सव के अवसर पर सक्षम द्वारा दृष्टि बाधित दिव्यांगजनों का एवं नेत्र दानियों के परिजनों का सम्मान के कार्यक्रम का उद्घाटन के युग कवि सूरदास जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ आरती लालचंदानी, डॉ0 शालिनी मोहन, डॉ0 शरद बाजपाई अनिल कुमार मिश्रा द्वारा किया गया। जय शंकर पांडे ने कहा कि सक्षम द्वारा दिव्यांग जनों के के हित के लिए भारत में कार्य कर रहा है वर्तमान समय में कहानियां अंधत्व मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत दृष्टिबाधित दिव्यांग ता को रोकने के लिए चंदवारा जलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत कानपुर नगर व आसपास के जिलों में नेत्र सुरक्षा 1 नेत्रदान हेतु संगोष्ठी का आयोजन किया गया है जिससे लोगों ने नेत्र सुरक्षा व नेत्रदान हेतु लोगों में जागरूकता आई है इस कारण से आज जनमानस के सहयोग से अप्रैल माह से अभी तक 44 लोगों का नेत्रदान हुआ है जिस कारण से कालिया से दृष्टि बाधित दूर हुई है।

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खूनी संघर्ष में 05 लोग घायल

इटावा, राहुल तिवारी। इटावा जनपद में आज रुपये के लेनदेन को लेकर एक गांव में खूनी संघर्ष देखने को मिला, बताया जा रहा है कि जसवंतनगर के चाँदनपुर गांव में एक ही परिवार के लोग रुपये के लेनदेन को लेकर आपस में भिड़ गए और लड़ाई इतनी बढ़ गयी कि देखते ही देखते खूनी संघर्ष शुरू हो गया जिस वक्त परिवार में लड़ाई हो रही थी उस वक़्त गांव का प्रधान भी मौजूद थे। जिनके इशारे पर इतनी लड़ाई हुई। लड़ाई के वीडियो में देखा जा सकता है कि लड़ाई के दौरान लोग एक दूसरे पर लाठी डंडों से वार कर रहे है और पास में ही ग्राम प्रधान भी खड़ा है। इस खूनी लड़ाई में 5 लोग घायल हुए है जिसमे 3 महिला और 2 पुरुष है। जिनका जिला अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। इस खूनी संघर्ष में पुलिस ने कार्यवाही करते हुए सभी आरोपियों की धड़पकड़ शुरू कर दी है लेकिन अभी तक पुलिस को कोई भी आरोपी पकड़ नहीं आया है।

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ग्लोबल आई0टी0 चैलेंज प्रतियोगिता हेतु इच्छुक दिव्यांगजन करें आवेदन

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। कोरियन सोसाइटी फाॅर रिहैबिलिटेशन ऑफ डिसेबिलिटी एवं यूनिस्कैप के संयुक्त तत्वाधान में 13 से 21 आयुवर्ग के दिव्यांगजन के लिए ग्लोबल आई0टी0 चैलेंज प्रतियोगिता का आयोजन जून/जुलाई 2019 में नेशनल इस्टीट्यूट फाॅर टेक्नोलाॅजी, कुरुक्षेत्र में प्रस्तावित है। जिसमें दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित, अस्थि जनित एवं मानसिक दिव्यांग प्रतिभाग कर सकते हैं।
उक्त जानकारी देते हुए जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी ने बताया कि आवेदन कर्ता को विद्यालय में अध्ययनरत् अथवा विद्यालय ड्राप आउट एवं कम्प्यूटर में इंटरनेट एक्सप्लोरर ब्राउजर, एम0एस0 ऑफिस एवं स्क्रेच प्रोग्राम की जानकारी होना आवश्यक है। इच्छुक आवेदन कर्ता अधिक जानकारी के लिए जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी, कानपुर देहात से विकास भवन भू-तल कक्ष संख्या- 105 माती में सम्पर्क करें।

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मातृ दिवस

माँ का स्थान सबसे श्रेष्ठ माना जाता है और माँ शब्द में ही संपूर्ण सृष्टि का बोध होता है। शब्दकोश में अनेकों शब्द है लेकिन माँ के शब्द में जो आत्मीयता व मधुरता होती है वोे अन्य किसी शब्द में नहीं होती है। माँ के रिश्ते के आगे सभी रिश्ते बौने पड़ जाते हैं। माँ न केवल अपनी संतानों को अच्छे से सहेजती है बल्कि आवश्यकता के अनुसार उनका सहारा बन जाती है। माँ का सम्मान जितना किया जाये उतना कम है फिर भी मातृ दिवस को सभी माताओं का सम्मान करने के लिए मनाया जाना शुरू है। ऐसा कहा जाता है कि एक संतान का पालन-पोषण करने में माताओं द्वारा सहन की जाने वालीं कठिनाइयों के लिये आभार व्यक्त करने के लिये यह दिन मनाया जाता है। जबकि वास्तविकता यह है कि माँ का आभार किसी भी तरह से व्यक्त नहीं किया जा सकता है।
‘माँ!’ वह अलौकिक व अनूठा शब्द है, जिसके स्मरण मात्र से ही हर व्यक्ति का रोम-रोम पुलकित व प्रफुल्लित हो उठता है। ‘माँ’ वो अमोघ मंत्र है, जिसके उच्चारण मात्र से ही हर पीड़ा का नाश हो जाता है। ‘माँ’ की के आंचल की महिमा को किन्हीं भी शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है, सिर्फ उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है।
हर संतान को उसकी मां से ही संस्कार मिलता है और संस्कार के साथ-साथ शक्ति भी मिलती है। हमारे देश में मां को शक्ति का रूप माना गया है और सनातन वेदों में माँ को सर्वप्रथम पूज्यनीय कहा गया है। माँ हमारी भावनाओं के साथ कितनी खूबी से जुड़ी होती है, ये समझाने के लिए कोई शब्दाबली नहीं हैं।
गौर करने वाला तथ्य है कि ठोकर लगने पर या मुसीबत की घड़ी में माँ ही याद आती है। वो माँ ही होती है जो हमें तब से जानती है जब हम अजन्मे होते हैं। बचपन में हमारा रातों का जागना, जिस वजह से कई रातों तक माँ सो भी नहीं पाती थी। वह गीले बिस्तर में सोती थी और हमें सूखे में सुलाती थी जितना माँ ने हमारे लिए किया है उतना कोई दूसरा कर ही नहीं सकता।
मां के अंदर प्रेम की पराकाष्ठा है या यूं कहें कि मां ही प्रेम की पराकाष्ठा है। प्रेम की यह चरमता केवल माताओं में ही नहीं, वरन् सभी मादा जीवों में देखने को मिलती है। कितनी दयनीय बात है कि हमारे देश ने स्त्री की शक्ति के रूप में अवधारणा दी, फिर भी माँ को देवी का सम्मान दिलाना वर्तमान युग की सबसे बड़ी आवश्यकता में से एक है। सभ्यता के विकास क्रम में इंसानों के आकार-प्रकार में, रहन-सहन में, सोंच-विचार में अभूतपूर्व बदलाव हुए है लेकिन मातृत्व के भाव में बदलाव नहीं आया। पुराने युग में भी माँ ही संतानों का पालन-पोषण करती थी और आज भी कर रही है।
माँ को धरती पर विधाता का प्रतिनिधि कहा जा सकता है और माँ विधाता से कम भी नहीं है। कण-कण में व्याप्त परमात्मा के रूप में माँ हर किसी को हर जगह नजर आती है।
माँ अपनी संतान की पहली किलकारी से लेकर आखिरी सांस तक उसका साथ नहीं छोड़ती है। माँ ही अपनी संतानों के भविष्य का निर्माण करती हैं और इसीलिए उसको बच्चे का प्रथम गुरु कहा जाता है। उसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वह कभी लोरियों में, कभी झिड़कियों में, कभी प्यार से तो कभी दुलार से बालमन में भावी जीवन के संस्कार को पनपने की आशा रखती है। लेकिन, आज कन्या भ्रूणों की हत्या का जो सिलसिला बढ़ रहा है, वह नारी-शोषण का आधुनिक वैज्ञानिक रूप है। हालांकि इसके लिए पितृवर्ग के साथ साथ मातृत्व वर्ग भी जिम्मेदार है। परिस्थितियां कुछ भी हों लेकिन माँ अपने अजन्मे, अबोल शिशु को अपनी सहमति से समाप्त करा देती है, क्यों? इसलिए कि वह एक लड़की है! ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या उसकी ममता का स्रोत सूख गया है? कन्याभ्रूणों की बढ़ती हुई हत्यायें एक ओर स्त्रियों की संख्या में भारी कमी का कारण बन रही है तो दूसरी ओर मानविकी पर्यावरण में भारी असंतुलन उत्पन्न कर रही है।

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अमरीका के नौसेना प्रमुख एडमिरल जॉन माइकल रिचर्डसन भारत के दौरे पर

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। अमरीका के नौसेना प्रमुख एडमिरल जॉन माइकल रिचर्डसन 12 से 14 मई, 2019 तक भारत की सरकारी यात्रा पर हैं। उनकी इस यात्रा का उद्देश्‍य भारत और अमरीका के बीच द्विपक्षीय नौसैनिक संबंधों को और मजबूत बनाने और नौसैनिक सहयोग की नई संभावना तलाशना है।
एडमिरल जॉन एम. रिचर्डसन ने आज भारत के नौसेना प्रुमुख सुनील लांबा से बातचीत की। उन्‍होंने रक्षा सचिव, वायुसेना प्रमुख और उपसेना प्रमुख सहित कई वरिष्‍ठ सैन्‍य अधिकारियों से भी मुलाकात की।
भारतीय और अमरीकी नौसेना द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्‍तर पर संयुक्‍त रूप से नियमित सुमुद्री अभ्‍यास करती रहती हैं। मालाबार और रिमपैक अभ्‍यास इसके उदाहरण हैं। विभिन्‍न क्षेत्रों में अंतर संस्‍थागत विकास के लिए भी दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच नियमित रूप से विषय संबधि विशेषज्ञताओं को साझा करने की प्रक्रिया चलती रहती है।

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विश्‍व व्‍यापार संगठन की मंत्रीस्‍तरीय बैठक का उद्घाटन सत्र आज से शुरु

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। बहुपक्षीय व्‍यापार प्रणाली से जुड़े अहम मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा के लिए विश्‍व व्‍यापार संगठन की मंत्रीस्‍तरीय बैठक का उद्घाटन सत्र आज नयी दिल्‍ली में शुरु हुआ। दो दिवसीय इस बैठक में विकासशील और बेहद कम विकसित देशेां के प्रतिनिधिमंडल हिस्‍सा ले रहे हैं। वाणिज्‍य सचिव डाक्‍टर अनूप वाधवन ने प्रतिनिधिमंडल में आए वरिष्‍ठ अधिकारियों का स्‍वागत किया।
बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री वाधवन ने कहा कि बहुपक्षीय नियमों पर आधारित व्यापार प्रणाली के समक्ष मौजूद चुनौतियों की प्रमुख वजह एकपक्षीय उपायों और इसकी प्रतिक्रिया में उठाए गए कदमों तथा प्रमुख मुद्दों से जुड़ी वार्ताओं और अपीलीय निकायों में आने वाला गतिरोध है। उन्‍होंने कहा कि अपीलीय निकाय में गतिरोध डब्‍ल्‍यूटीओ की विवाद निबटारा प्रणाली तथा संगठन के कार्यनिष्‍पादन के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्‍होंने कहा कि बढ़ते संरक्षणवाद वाला मौजूदा वैश्विक आर्थिक वातावरण, व्‍यवस्‍था के मूल सिद्धांतों के लिए परीक्षा की घड़ी है। विकासशील और कम विकसित देशों की सेहत के लिए यह कतई अच्‍छा नहीं है।

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सामाजिक विज्ञान शोधकर्ताओं को सामाजिक समस्‍याओं पर विशेष ध्‍यान देना चाहिए : उपराष्‍ट्रपति

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने सामाजिक विज्ञान शोधकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि उन्‍हें ऐसी समस्‍याओं के अभिनव समाधान प्रस्‍तुत करने चाहिए, जिनका सामना पूरी दुनिया कर रही है। इन समस्‍याओं में गरीबी हटाने से लेकर सतत विकास के उपाय आदि शामिल हैं।
भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के स्‍वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर अपने संबोधन में उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि प्रत्‍येक अनुसंधान का उद्देश्‍य लोगों के जीवन को बेहतर बनाना होना चाहिए। सामाजिक विज्ञान अनुसंधान का लक्ष्‍य गरीबों को बेहतर जीवन प्रदान करना होना चाहिए। इस प्रकार का कोई भी शोध अपूर्ण है, यदि शोधकर्ता ने लोगों के साथ समय व्‍यतीत नहीं किया है और क्षेत्रों में जाकर उनके जीवन को नहीं देखा है। उपराष्‍ट्रपति ने सामाजिक शोधकर्ताओं से आग्रह करते हुए कहा कि उन्‍हें समाज की समस्‍याओं के लिए समाधान ढूंढने चाहिए।

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