Wednesday, January 22, 2025
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लेख/विचार

भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए कार्यपालिका, न्यायपालिका सहित हर नागरिक का योगदान जरूरी – एड किशन भावनानी

संभावित दृष्टिकोण और केवल करेंसी नोटों की बरामदगी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध कायम करने के लिए पर्याप्त नहीं – सुप्रीम कोर्ट
भ्रष्टाचार एक वैश्विक महामारी है जिससे करीब-करीब हर देश पीड़ित है। बात कहीं छोटे तो कहीं बड़े पैमाने पर है, और इसे जड़ से मिटाने के लिए हर स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं।अगर हम भारत देश की बात करें तो यहां भी इस महामारी से पीड़ित हैं। यह तो सभी जानते होंगे और प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से भी हम देखते सुनते वह पढ़ते आ रहे हैं, कि किस तरह निचले स्तर से बड़े स्तर तक इस महामारी ने घर कर लिया है। बिना भ्रष्टाचार के करीब करीब कोई काम मुश्किल से होता है। करीब-करीब हर स्तर पर इस महामारी ने पैर फैला रखे हैं। और इसका अलग अलग तरीके, कोडवर्ड, पासवर्ड, भाषा, लेखन, कलर, इत्यादि अनेक तरीकों से लेनदेन किया जाता है।

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बजट 2021 और भारत की जीडीपी विकास दर में होने वाला परिवर्तन

पिछला पूरा वर्ष 2020 कोविड-19 की भेंट चढ़ गया और इसलिए 1 फरवरी 2021 को पेश होने वाला बजट मुख्यतः स्वास्थ्य पर केंद्रित रहा। इसे हम रिकवरी वाला बजट भी कह सकते हैं, क्योंकि जैसे लंबी बीमारी से रिकवर होने के लिए मरीज को अपनी डाइट का विशेष ध्यान रखना पड़ता है और अनुशासन में रहना पड़ता है उसे रिकवरी के लिए कुछ समय चाहिए होता है और इस दौरान उसकी जीवन शैली में भी बड़े बदलाव होते हैं, इसी प्रकार इस बजट में भी देश के नागरिकों के स्वास्थ्य, देश की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य और देश के शहरों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस बार का टोटल हेल्थ बजट 2 लाख 23 हजार करोड़ रुपए है जो पिछली बार की तुलना में 137% ज्यादा है। आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ाने के लिए इसमें पूरी तैयारी की गई है। कैपिटल एक्सपेंडिचर को बहुत ज्यादा बढ़ाने की बात की गई है यानी कि इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बड़े निवेश करने की तैयारी है।

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बजट 2021-2022 आत्मनिर्भर भारत का बुनियादी ढांचा साबित होगा !

बजट में मिडिलक्लास के लिए कुछ नहीं – कृषि सेस आम करदाताओं पर नहीं – एड किशन भावनानी
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार दिनांक 1 फरवरी 2021 को संसद के पटल पर 64 पृष्ठों का 2021-2022 का बजट प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया, जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से करोड़ों लोगों ने देखा व सुना, बजट कॉपी के अनुसार बजट को 3 भागो पार्ट ए, बी, सी, तथा 6 स्तंभों में विभाजित किया गया था। अगर हम बजट का विश्लेषण करें, तो यह बजट आत्मनिर्भर भारत का बुनियादी ढांचा साबित होगा। क्योंकि इस बजट में इंफ्रस्ट्रक्चर पर बल दिया गया है। हमने कोविड-19 महामारी से बहुत कुछ सबक सीखा, इसी की परिणति है कि स्वास्थ्य बजट में 137 परसेंट याने 2.38 लाख करोड़, सरकारी बैंकों में 20 हज़ार करोड, बैंकों को एनपीए में से पीछा छुड़ाने एसेट स्कीम, वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ एलआईसी का 2022 में आईपीओ, इत्यादि अनेक बुनियादी ढांचे में विनियोग की बात कही गई है।

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महिलाओं का शराब और सिगरेट पीना उचित या अनुचित?

नशा कोई भी हो यदि अच्छी बातों या चीजों का है तो फायदेमंद ही है और नशा बुरी बातों या चीजों का है तो स्त्री या पुरुष सबके लिए यह नुकसानदायक ही होता है। जहां तक बात है कि स्त्रियों का नशा करना कहां तक उचित है तो मैं कहना चाहूंगी कि अपने परिवार की केंद्र होती है एक स्त्री ही अपने पति और बच्चों को बुराइयों व नशा से बचाने में सक्षम होती है यदि किसी परिवार की स्त्री ही नशा से पीड़ित हो शराब या सिगरेट की आदत हो उसे तो वह अपने पति और बच्चों को नशे से बचाने में कैसे सक्षम होगी?

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स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रित पंचायत चुनाव में आरक्षण के हकदार नहीं – हाईकोर्ट

भारतीय संविधान में हर मुद्दे की व्याख्या – कार्यपालिका व न्यायपालिका द्वारा सख्ती से पालन सराहनीय – एड किशन भावनानी
भारतीय नागरिकों के लिए भारतीय संविधान एक अनमोल रत्न स्वरूपी है। जिसके बल पर हर नागरिक को अनेक अधिकार मिले हुए हैं, जिनकी स्पष्ट व्याख्या भी संविधान के हर अनुच्छेद में दी है और साथ ही साथ अनेक कर्तव्य और जिम्मेदारियां भी सौंपी गई है। जिसे हर नागरिक को निभाना उसकी जवाबदारी है। भारत वर्ष के हर राज्य केंद्र व केंद्रशासित प्रदेशों की कार्यपालिकाएं संविधान को सख्ती के साथ पालन कर खूबसूरती के साथ शासन चलाने में पूरी तरह कामयाब होती हैं और अपने शासन क्षेत्र में हर व्यक्ति पर हर आदेश समानता के साथ लागू करने और कुछ वर्गों को संविधान द्वारा प्राप्त सुविधाएं और प्राथमिकताओं को सजगता के साथ लागू करने में सफल हैं। साथ ही साथ न्यायपालिका क्षेत्र भी अपना हर निर्णय संविधान में उल्लेखित नियमों विनियमों और व्याख्या के अनुसार ही देते हैं।

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कोलगेट कंपनी पर उपभोक्ता फोरम कोर्ट द्वारा ₹ 65 हजार का जुर्माना

मामला 10 ग्राम ₹ 20 में तो 150 ग्राम ₹ 92 में क्यों?
उपभोक्ताओं को जागरूक होने की जरूरत है- उपभोक्ता फोरम कोर्ट और उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग उपभोक्ताओं के लिए कारगर मंच – एड किशन भावनानी
भारत में सभी प्रकार के उपभोक्ताओं के हित व समर्थन में अनेक नियम, विनियम, व अनेक न्यायिक मंच हैं। उसमें भी जिला स्तर पर उपभोक्ता फोरम कोर्ट, और राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग बने हैं, जो उपभोक्ताओं के हित में पूरी तरह से खड़े हैं और, केवल और केवल न्याय दिलाने में पूरी तरह से सक्षम और संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं। बस जरूरत है उपभोक्ताओं को जाग्रत होने की और इन मंचों, न्यायालयों की सहायता लेने की। विशेष बात यह है कि इस प्रकार के फोरम या आयोग में जाने के लिए किसी वैधानिक विशेषज्ञ की सहायता की भी अनिवार्यता नहीं होती। एक सामान्य आदमी भी अपनी शिकायत दाखिल करवा सकता है।

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जो बाइडेन की चुनौतियां…….

जो बाइडेन अब अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति बन चुके हैं। इसी के साथ अब अमेरिका में बाइडेन युग की शुरुआत हो गई है। अमेरिका के लोगों को बाइडेन से बहुत सी उम्मीदें हैं। जिनको पूरा करने की चुनौतियों का सामना अब अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति को करना है। पहली चुनौती को स्वीकार करते हुए जो बाइडेन को कोरोना वायरस से निपटने के लिए अब बहुत बड़े और कड़े कदम उठाने होंगे क्योंकि अमेरिका अभी तक कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटने में बहुत असफल रहा है। बाइडेन के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की और उसे पटरी पर लाने की है। अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाने के कारण अमेरिका का मध्यमवर्गीय समाज प्रभावित हुआ है और इस कारण समाज में बंटवारे और आय की असमानता को दूर करना बाइडेन के लिए तीसरी बड़ी चुनौती बन गया है। अमेरिका की चौथी बड़ी समस्या रंगभेद का मुद्दा है जिसने अमेरिकी समाज को दो वर्गों में बांट दिया है। जिससे वहां सामाजिक सौहार्द बिगड़ चुका है। इस समस्या को दूर करना और अमेरिका में सामाजिक सौहार्द स्थापित करना जो बाइडेन के लिए चौथी बड़ी चुनौती होगा। अभी हाल ही में अमेरिकी संसद में हुई हिंसा के कारण दुनिया के अन्य देशों में अमेरिका की छवि बहुत धूमिल हुई है और अमेरिका की छवि सुधारने की पांचवी चुनौती जो बाइडेन के लिए सबसे कठिन होगी। अब जो बाइडेन को पुनः पूरी दुनिया के सामने अमेरिकी लोकतंत्र का सही स्वरूप पेश करना होगा तभी पिछले दिनों हुई अमेरिका की बदनामी को कुछ हद तक मिटाया जा सकता है। कोरोनाकाल में अमेरिका में बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हुए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2020 में करीब 66 लाख लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया था‌। बेरोजगार हुए और नौकरी गंवा चुके लोगों को रोजगार देना बाइडेन के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में कोरोना संकटकाल में अमेरिका की जनता की नाराजगी देखने को मिली है। इसका फायदा डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन को मिला और अब अमेरिकी नागरिकों के विश्वास पर खरा उतरना भी जो बाइडेन के लिए एक बड़ी चुनौती है।

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दिशाविहीन हुए किसान आन्दोलन की उग्रता ने खड़े किये सवाल पर सवाल

ट्रेक्टर की ट्राली पर प्रायः लिखा होता है ‘कृषि कार्य हेतु’| परन्तु 26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर ट्रेक्टर का एक और हेतु भी देखने को मिला| ट्रेक्टर सिर्फ खेत की जुताई और अनाज की ढुलायी के ही काम नहीं आता, बल्कि उससे कानून की दीवारें ढहाकर, कानून के रखवालों को रौंदा भी जा सकता है| गणतन्त्र दिवस की परेड में, जिस समय दिल्ली के आसमान पर राफेल और जगुआर जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके, दुश्मन देशों को हद में रहने की चेतावनी दे रहे थे| राजपथ पर दौड़ती पिनाक मिसाइल देशवासियों का आत्मविश्वास बढ़ा रही थी| ठीक उसी समय, दिल्ली की सड़कों पर अन्नदाता के ट्रेक्टर वैरियर तोड़कर पुलिस के जवानों को कुचलने के लिए सरपट दौड़ रहे थे|

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देश का मेहनतकश, सच्चा किसान कभी जयचंद नहीं हो सकता

किसान आंदोलन और लाल किले पर ऐसे खालिस्तानी झंडा फहराना भारत की प्रभुसत्ता को ललकारना है. यह बात तो सच है कि आज इन प्रोटेस्टर्स की काली करतूत देश के सामने आ गई. आज ये आंदोलन पूरी तरह से नंगा हो गया. इनके प्रति इतने दिनों से देश की जो सहानुभूति थी वह सब खत्म हो गई. सारा देश अब इन पर थु-थू कर रहा है. जब हम सब सारे भारतवासी राष्ट्रीय पर्व मनाने में व्यस्त थे तब ये घटिया मानसिकता के लोग, देश की राजधानी में हिंसा और अराजकता फैला रहे थे.
किसान आंदोलन की आड़ में 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जो कुछ भी हुआ है उसे जायज नहीं करार दिया जा सकता है. कृषि कानूनों के विरोध में गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों का ट्रैक्टर मार्च हिंसक हो गया. कई जगहों पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई. पिछले करीब दो महीने से दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित सिंघू बॉर्डर पर जमे किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली, इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच जमकर हिंसक झड़प हुई. प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर बैरेकेडिंग तोड़ते हुए दिल्ली के अंदर घुस गए और जबरन तोड़फोड़ की.

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आत्मसम्मान की रक्षा करें

गणित में बहुत कमजोर विद्यार्थी गणेश को एक दिन अध्यापक ने फिसड्डी कह दिया। बस, फिर क्या था? विद्यार्थी गणेश का अभिमान आहत हो गया। इस अपमान से, इस लज्जा से हमेशा के लिए बचने का एक उपाय ढूंढने लगा और पूरी लगन से गणित के अध्ययन में जुट गया। बहुत जल्द ही गणेश ने अपनी कमजोरी को दूर कर डाला और फिसड्डी कहलाने वाला वह विद्यार्थी एक दिन विश्वविख्यात गणितज्ञ बन गया। ऐसे कई महापुरुषों के जीवनवृत्त इतिहास के पृष्ठों पर हमें पढ़ने को मिल जाएंगे जो आत्मसम्मान के आहत होने पर ही अपने को प्रतिष्ठित करने के लिए प्रयत्नशील हुए थे।
जीवन में ऐसे बहुत से अवसर आते हैं जब हमारे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है, हमारा मानस आहत होता है, हम ग्लानि से भर जाते हैं और अपमान महसूस करते हैं। अगर हम अपने आत्मसम्मान की रक्षा नहीं कर पाते तो इसकी परिणति बहुत बुरी होती है। कई तो आत्मघाती कदम उठा बैठते हैं, आत्महत्या तक कर लेते हैं।

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