Monday, November 25, 2024
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अमरमणि की रिहाई से किसे मिलेगा फायदा ?

लोकसभा के चुनाव की अवधि जैसे-जैसे निकट आती जा रही है वैसे वैसे राजनीतिक गलियारों में अनेक मुद्दों को लेकर चर्चायें शुरू होती दिखने लगी हैं। इसी क्रम में अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई की खबर आते ही राजनीति के गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है और कुछ लोग अमरमणि की रिहाई को लोकसभा के आने वाले चुनाव से भी जोड़कर देखने लगे हैं।
बताते चलें कि लगभग 20 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पेपर मिल कालोनी की रहने वाली कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या 9 मई 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस समय उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी और अमरमणि त्रिपाठी बसपा की माया सरकार के कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे। मधुमिता की हत्या का आरोप अमरमणि व उनकी पत्नी पर लगा था। हत्याकांड के बाद मधुमिता और अमरमणि त्रिपाठी के प्रेम प्रसंग की जानकारी सामने आई थी। अब लोगों का मानना है कि हत्या करने के आरोप में सजा काट रहे अमरमणि त्रिपाठी व उसकी पत्नी की रिहाई का फायदा भाजपा को मिल सकता है क्योंकि अमरमणि त्रिपाठी के बीजेपी के कई बड़े नेताओं से अच्छे सम्बन्ध हैं और वो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फायदा पहुंचा सकते हैं।
राजनीतिक क्षेत्र के जानकार भाजपा की योगी सरकार में अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई को उनकी पार्टी से करीबी के रूप में जोड़कर देख रहे हैं और इसका फायदा भाजपा को मिल सकता क्योंकि अमरमणि त्रिपाठी का गोरखपुर सहित आसपास के जिले में अच्छा खासा दबदबा है। वैसे भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा से बाहुबली नेताओं का दबदबा रहा है, फिर पार्टी चाहे कोई भी हो! अपने रसूख व बाहुबल के दम पर अनेक ‘माननीय’ चुनावी बयार का रुख अपनी तरफ मोड़ने में माहिर रहे हैं। उन्हीं माननीयों में अमरमणि त्रिपाठी भी शुमार रहे हैं। सूबे के पूर्वांचल क्षेत्र के तत्समय ‘डॉन’ कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी के राजनीतिक वारिस रहे अमरमणि त्रिपाठी का जलवा भी कुछ ऐसा था कि सरकार चाहे भाजपा की रही हो या सपा-बसपा की, वह हर कैबिनेट का जरूरी हिस्सा हुआ करते थे। इसके अलावा 6 बार विधायक रहे अमरमणि त्रिपाठी, सूबे के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल रहे हैं जिन्होंने जेल में रहते हुए चुनावी बयार का रूख अपने तरफ ही रखा और विजयश्री अपने पक्ष में रखी। किन्तु यह भी कहा जाता है कि जब समय का चक्र घूमता है तो फिर उसके आगे किसी की नहीं चलती, कुछ ऐसा ही हुआ था अमरमणि के साथ।…और अब इसके लिये अतीत पर नजर डालनी होगी जब अपने समय के हाई प्रोफाइल केस अर्थात कवयित्री मधुमिता शुक्ला के हत्याकांड पूरे सूबे में हो हल्ला मच गया था। हत्यारोपी बाहुबली थे और इस मामले में हत्या के आरोपियों को सजा तब मिल पाई थी जब सीबीआई ने अपनी जांच में हत्यारोपी अमरमणि और उनकी पत्नी को दोषी करार देते हुए माननीय न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। खास बात यह भी है कि इस हत्याकांड के सभी गवाह एक-एक कर मुकर गए थे। इसके अलावा कवयित्री मधुमिता शुक्ला के परिवार वालों को भी धमकाया जा रहा था, जिसके चलते बाद में इस हाईप्रोफाइल मामले को उप्र से उत्तराखंड में स्थानांतरित कर दिया गया था। जहां सुनवाई हुई अमरमणि त्रिपाठी और उसकी पत्नी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। इसके पश्चात यह दंपत्ति यूपी और उत्तराखंड की जेल में रहे।
अब तर्क दिया गया है कि दोनों की आयु, जेल में बिताई गई सजा की अवधि व जेल में अच्छे आचरण के चलते दोनों की शेष सजा को माफ कर दिया गया है।
अब हो कुछ भी लेकिन, राजनीतिक माहौल को देखते हुए सवाल उठना लाजिमी है कि अब अमरमणि त्रिपाठी, क्या फिर से राजनीति में आयेंगे और उनकी दूसरी पारी कहां से शुरू होगी, यह कोई नहीं जानता, लेकिन भाजपा के करीब जाने की चर्चा लोगों में कुछ ज्यादा ही है और उनका (लोगों का) मानना है कि इसका फायदा सत्तारूढ़ दल (भाजपा) को अवश्य मिलेगा क्योंकि उसके (भाजपा के) रहमोकरम से अमरमणि अब खुली हवा में सांस ले सकेंगे!