बछरावां, रायबरेली। खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बछरावां में हो रहे भ्रष्टाचार की अनेकों शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। इसका परिणाम यह है कि यहां कार्यरत कर्मचारी बेखौफ होकर नियमों की अनदेखी कर रहे हैं और खंड शिक्षा अधिकारी के संरक्षण में मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति का खुला उल्लंघन कर रहे हैं। कार्यालय में व्याप्त अनियमितताओं का आलम यह है कि आए दिन किसी न किसी शिक्षक को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। शिक्षा मित्रों और स्थानांतरित शिक्षकों के वेतन और मानदेय में जानबूझकर कटौती या देरी की जा रही है, जिससे उनके समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
पहला मामला प्राथमिक विद्यालय मलकिया रानी खेड़ा के शिक्षा मित्र सुशील मिश्रा का है। अप्रैल 2025 में उनके तीन दिन के मानदेय की बिना किसी उचित कारण के कटौती कर ली गई। जब 9 मई को उन्होंने अपने बैंक खाते में केवल ₹9000 जमा होने का संदेश पाया, तब उन्हें इसकी जानकारी हुई। सुशील मिश्रा का कहना है कि वह 15, 24 और 30 अप्रैल को ऑनलाइन माध्यम से आकस्मिक अवकाश पर थे, इसके बावजूद उनके ₹1000 की कटौती कर दी गई। वह बीते 15 दिनों से खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कार्यालय सहायक देशराज का कहना है कि वेतन का कार्य उनके नाम आवंटित है, लेकिन उसे अन्य लोग देख रहे हैं। वहीं खंड शिक्षा अधिकारी का रवैया यह है कि उनके पास और भी काम हैं, और शिक्षा मित्र को कम मिले मानदेय से ही संतोष करना चाहिए। दूसरा मामला प्राथमिक विद्यालय अमावां के सहायक शिक्षक पीयूष प्रताप सिंह का है, जो अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के तहत यहां नियुक्त हुए हैं। अप्रैल 2025 से उनका वेतन शुरू होना था, परन्तु अब तक भुगतान नहीं किया गया। पीयूष प्रताप के समस्त अभिलेख पूर्ण होने के बावजूद उनकी पत्रावली लेखा कार्यालय रायबरेली नहीं भेजी गई। खंड शिक्षा अधिकारी ने केवल मौखिक रूप से उन्हें वेतन भुगतान का आश्वासन दिया, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। इस कारण पीयूष प्रताप को मई माह में भी वेतन नहीं मिल पाया और वह आर्थिक रूप से गंभीर संकट में हैं।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष आशुतोष शुक्ल ने बताया कि शिक्षकों को वेतन, चयन वेतनमान आदि के लिए वर्षों से परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी प्रमाणित शिकायतों और वित्तीय अनियमितताओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे अधिकारियों का मनोबल बढ़ा हुआ है। महासंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष अभिनव चौहान ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में व्यवस्था चरमरा चुकी है। शिक्षकों का वेतन रोका जाना या समय पर भुगतान न होना पूरी तरह से कार्यालय की जवाबदेही है, लेकिन यहां कर्मचारियों द्वारा मनमाने ढंग से कार्य किए जा रहे हैं। महासंघ के संरक्षक राजेन्द्र प्रसाद शर्मा और महामंत्री लोकतंत्र शुक्ल ने कहा कि बीईओ कार्यालय में किसी भी कर्मचारी की कोई स्पष्ट जवाबदेही तय नहीं है, और यह सब खंड शिक्षा अधिकारी के खुले संरक्षण में हो रहा है। संगठन के सभी पदाधिकारियों ने उच्चाधिकारियों से मांग की है कि खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बछरावां में हो रही अनियमितताओं की जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए।