पवन कुमार गुप्ताः रायबरेली। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है किन्तु 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी कई गांवों में पक्की सड़क भी नहीं पहुंची है। आक्रोशित ग्रामीणों बीते कई दिनों से पक्की सड़क निर्माण की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन अनशन जारी कर रखा है।
विकासखंड क्षेत्र स्थित हुसैनगंज मजरे पाराखुर्द से पुरासी वाया मोहनगंज व सुखलिया को जोड़ने वाले मार्ग का निर्माण आजादी से अब तक नहीं किया गया। करीब तीन किलोमीटर इस कच्चे रास्ते की नपाई तो पीडब्लूडी विभाग द्वारा कई बार कराई गई किन्तु नतीजा कागजों तक ही सीमित रहा।
मामले में उपजिलाधिकारी राजित राम गुप्ता के निर्देशन में धरना स्थल पर पहुंचे तहसीलदार ज्ञान प्रताप ने अनशन पर बैठे ग्रामीणों से एक सप्ताह का समय मांगा है। वहीं अनशन पर बैठे ग्रामीण ज़िम्मेदार विभाग और उसके अधिकारियों के आने तक अनशन जारी रखने पर अड़े रहे। धरने के दूसरे दिन मंगलवार को भी हुसैनगंज चौराहे पर जनसमस्या को लेकर शुरू किए गए अनशन में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण व क्षेत्रीय जन मौजूद रहे। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि तहसीलदार के द्वारा एक सप्ताह का समय मांगा गया है, उनके द्वारा आश्वासन मिलने पर जारी अनशन को रोक दिया गया, परंतु तय समय पर विभागीय अधिकारियों द्वारा सड़क निर्माण का कार्य नहीं शुरू कराया गया तो ग्रामीण पुनः अनशन करने पर विवश होंगे।
गौरतलब यह है कि राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह द्वारा रायबरेली जिले के विभिन्न क्षेत्रों में‘सेवा ही संकल्प’ पर आधारित पदयात्रा लगातार की जा रही है। इस दरमियान मंत्री ग्रामीणों से बात करते हैं, उनकी समस्याओं को सुनते हैं और प्रार्थना पत्र भी लेते हैं, जिस पर वह अधिकारियों के साथ बैठक करके समस्याओं का निस्तारण करने का आश्वासन भी देते हैं लेकिन क्या यह सब राजनीतिक फायदे के लिए हो रहा है या फिर जमीनी स्तर पर आम जनमानस की समस्याओं को जानने और हल करने का एक सही रास्ता है। यह तो तभी साफ होगा जब कुछ स्थितियां बदलेंगी, नए निर्माण होंगे और कुछ सुधार होगा। ग्रामीणों द्वारा मंत्री को दिए गए पत्रों का सही तरीके से निस्तारण होगा।
उल्लेखनीय है कि राज्यमंत्री जिलेभर में एक तरफ पदयात्रा कर रहे हैं और दूसरी तरफ महाराजगंज क्षेत्र के ग्रामीण कई दिनों से पक्की सड़क निर्माण के लिए अनशन पर बैठे रहे। हालांकि महराजगंज तहसीलदार ज्ञान प्रताप ग्रामीणों से एक हफ्ते का समय मांग कर ग्रामीणों को राजी तो कर लिया है,ग्रामीण अनशन छोड़ भी चुके हैं, लेकिन क्या हकीकत में ग्रामीणों की समस्या अब दूर हो जाएगी या फिर जैसा पिछले 75 वर्षों से चलता आया है, वैसा आगे भी चलता रहेगा और ग्रामीण पक्की सड़क के लिए भटकते रहेंगे। फिलहाल मंत्री की पदयात्रा की सफलता तो तब है कि जब वह इस तरह के अनशन में पहुंचकर ग्रामीणों की समस्या को सुने। उन्हें दिलाशा दें और उनका निस्तारण कराएं। जिससे कि उन्हें अपनी समस्या के लिए अनशन करने की बजाय सिर्फ अधिकारियों और मंत्री से गुहार लगाते ही समस्याओं का हल मिल जाए।