Sunday, November 24, 2024
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तरही शेरी नाशिस्त का हुआ आयोजन

सलोन, रायबरेलीः संवाददाता। बज़्म ए हयात-ए-अदब के तत्वाधान में किया गया। तरही शेरी नाशिस्त की अध्यक्षता डॉक्टर बच्चा बाबू वर्मा ने की और संचालन क़ासिम हुनर सलोनी ने किया । इस मौक़े पर ग़ज़ल सम्राट मुनव्वर राना को याद किया गया और उन्हें ख़िराजे अक़ीदत पेश किया। अनुज नागेंद्र शेर पढ़ते हुए कहा – हम फ़क़ीरों की आरज़ू क्या है , जो है कासे में बस वही है बहुत ।शब्बीर हैदर ने कहा ष्सच अंधेरों में गुमशुदा है कहीं , बात झूठों की अब बनी है बहुत। नफ़ीस अख़्तर सलोनी ने कहा ष्दिल तो अख़्तर का जल रहा है मगर ,लोग कहते हैं रौशनी है बहुतष् आमिर क़मर ने पढ़ा ष्चार जानिब मचा है वावेला , आप कहते हैं शांती है बहुतष् शान सलोनी ने पढ़ा ष्लौ चराग़ों की और तेज़ करो , रात तारीक हो रही है बहुतष् आफ़ताब ज़िया – तुझ पे तारी जो बेख़ुदी है बहुत, ऐसा लगता है तूने पी है बहुत। अम्मार सहर – कोई अच्छी ग़ज़ल सुनाओ सहर, अब तबीअत उलझ रही है बहुत। तय्यार ज़फ़र- जिसने मिलने की बात की थी कभी , इंतज़ार उसका आज भी है बहुत। यासिर नज़र -आप समझें नज़र को मत कमज़ोर , मेरी आंखों में रौशनी है बहुत। वहीं डॉक्टर बच्चा बाबू वर्मा ने शेर पढ़ा कि ष्ऐसे ही व्यवहार बनाए रखिएगा, मुझ पर अपना प्यार बनाए रखिएगा।ष् हाशिम उमर – इक न इक दिन उतर ही जाएगी, आज नद्दी चढ़ी हुई है बहुत। इसके अलावा आचार्य अनीस देहाती ,सत्येंद्र सिंह सौम्य ,श्याम पटेल मनमौजी , विजय अनभिज्ञ ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत करके ख़ूब तालियां बटोरीं ।
इस मौक़े पर मुस्तफ़ा, आलम , जावेद , अख़लाक़,रईस, नदीम, वक़ार ,बिलाल ,आक़िब, नौशाद, नजम असग़र ,दिलशाद , इरशाद वग़ैरह मौजूद रहे । आख़िर में कन्वीनर नफ़ीस अख़्तर सलोनी ने सब का शुक्रिया अदा किया ।