नई दिल्लीः राजीव रंजन नाग। ससद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले एनडीए के पास बहुमत से सिर्फ तीन सीटें कम हैं। इस महीने 56 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव के साथ, भाजपा अकेले 100 के करीब पहुंच गई है। कुल मिलाकर, पार्टी इस दौर के चुनाव में 56 में से 30 सीटें जीतने में सफल रही, जिससे उच्च सदन में उसका स्कोर 97 हो गया और एनडीए से 118। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष के लिए, राज्यसभा में अल्पमत की स्थिति उन्हें एक कोने में धकेल देगी। 240 सदस्यीय सदन (राज्य सभा) में एनडीए बहुमत के आंकड़े 121 से केवल चार कदम दूर रह जाएगा। फिलहाल बीजेपी राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई है। उसके पास राज्यसभा में 97 सदस्य हैं। इनमें 6 नामांकित सांसद भी शामिल हैं। हालाँकि एनडीए अभी भी बहुमत में नहीं है और वो राज्यसभा में बहुमत के लिए 121 सदस्यों से 4 कम यानी 117 सीटों पर है।
इस महीने की शुरुआत में 56 में से 41 सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे। मंगलवार को तीन राज्यों की 15 सीटों पर मतदान हुआ। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के विधायकों द्वारा क्रॉस-वोटिंग के कारण भाजपा ने दो अतिरिक्त सीटें हासिल कीं। एक कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश में और एक उत्तर प्रदेश में ।
245 सदस्यीय उच्च सदन में बहुमत का आंकड़ा 123 है। हालांकि, वर्तमान में पांच सीटें खाली हैं, उनमें से चार जम्मू-कश्मीर में हैं, जो राष्ट्रपति शासन के अधीन है, और एक मनोनीत सदस्य श्रेणी में है। इससे सदन की सदस्य संख्या भी घटकर 240 रह गई है और बहुमत का आंकड़ा 121 रह गया है। लोकसभा में बीजेपी के दबदबे के साथ, बिलों को पारित कराने के लिहाज से राज्यसभा में संख्याबल महत्वपूर्ण हो गया है।
2019 तक, कई विधेयक- जिनमें भूमि सुधार और 2017 और 2018 के तीन तलाक विधेयक शामिल हैं। हालाँकि भूमि सुधार विधेयक दोबारा पेश नहीं किया गया, लेकिन सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में तीन तलाक के खिलाफ विधेयक पारित करने के लिए आगे बढ़ी। 2019 के बाद, बहुमत नहीं होने के बावजूद, एनडीए सरकार महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में कामयाब रही। जिसमें अनुच्छेद 370 को निरस्त करना, तीन तलाक का उन्मूलन, दिल्ली सेवा विधेयक आदि शामिल हैं। यह इसलिए भी संभव हुआ क्योंकि नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस कानून पारित होने के दौरान तटस्थ की भुमिका में थी। .
देश भर में राज्यसभा की 56 सीटों के लिए मंगलवार को चुनाव हुए। इसमें से बहुत सारे सीटों (41) पर उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना गया, लेकिन तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में 15 सीटों के लिए चुनाव कराने पड़े। इन 56 सीटों में से बीजेपी को 30 सीटों पर जीत मिली, जिसमें 20 निर्विरोध चुने गए, तो 10 को चुनाव के जरिए जीत मिली। उत्तर प्रदेश में बीजोपी को 8 सीटों पर, तो हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में एक-एक सीटों पर जीत मिली।
राज्यसभा की जिन 56 सीटों के लिए चुनाव हुए, उनमें से उत्तर प्रदेश से 10 सीटें, महाराष्ट्र और बिहार से 6-6 सीटें, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश से 5-5 सीटें, गुजरात और कर्नाटक से 4-4 सीटें और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और ओडिशा से तीन-तीन सीटें और 1-1 सीट उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से थी। इसमें उत्तर प्रदेश की 10 में से 8 सीटों पर बीजेपी, 2 सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को जीत मिली।
महाराष्ट्र में बीजेपी को तीन, कॉन्ग्रेस को एक, एनसीपी (अजीत पवार गुट) को एक और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) को एक सीट पर जीत मिली। बिहार की 6 सीटों में से बीजेपी के 2, जेडीयू के एक, कांग्रेस के एक और आरजेडी के 2 सांसद जीते। पश्चिम बंगाल में 4 पर टीएमसी तो एक पर बीजेपी को जीत मिली। मध्य प्रदेश में बीजेपी को 4 तो कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली। गुजरात में बीजेपी ने चारों सीटें जीती, तो कर्नाटक में बीजेपी को एक और कांग्रेस को तीन सीटों पर जीत मिली।
जबकि आंध्र प्रदेश में तीनों सीटें वाईएसआरसीपी को मिली, तो तेलंगाना में कांग्रेस को दो और एक सीट बीआरएस को मिली। राजस्थान में कांग्रेस को एक सीट तो बीजेपी को 2 सीटों पर निर्विरोध जीत मिली। ओडिशा से बीजेपी को 1 तो बीजेडी को 2 सीटें मिली। उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ से बीजेपी को सभी एक-एक सीट पर जीत मिली।
राज्य सभा के 240 सांसदों में 30 सांसद किसी भी खेमे में नहीं हैं। ये 30 सांसद सबसे ज्यादा वाईएसआरसीपी और बीजेडी के 9-9, बीआरएस के 7, एआईएडीएमके के तीन, टीडीपी के एक और बीएसपी के 1 सांसद हैं। इनमें से बीजेडी-वाईएसआरसीपी के सांसद मुद्दों पर अधिकतर समय सरकार के साथ दिखते हैं। यही वजह है कि राज्यसभा में बहुमत से चार सीटों के कम आँकड़ों के बावजूद सरकार का कोई काम नहीं रुकता है।