फिरोजाबाद। उ.प्र. सिंधी अकादमी भाषा विभाग द्वारा फिरोजाबाद क्लब में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में वक्ताओं ने भारतीय संस्कृति और साहित्य के विकास में सिंधी भाषा का योगदान पर अपने विचार व्यक्त किये।
मंगलवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्य अतिथि डॉ जेठानंद लालवानी ने संस्कृति और साहित्य के विकास में सिंधी भाषा का योगदान विषय पर प्रकाश डाला। वह सिंधी, हिंदी, अग्रेंजी और गुजराती भाषा के विद्वान साहित्कार है। उनको केंद्रीय साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा तीन बार सम्मानित किया जा चुका है। सिंधी लोक संस्कृति पर उनकी अनेके पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवयित्री रश्मि रामाणी, सुंदरदास गोहराणी, डॉ अनिल अहूजा, डॉ राम पंजवाजी कानपुर, हेमंत भोजवानी आगरा, डॉ रामसेनही शर्मा यायावर, अनूप चंद्र जैन एडवोकेट आदि ने अपने-अपने विचार प्रकट किये। संगोष्ठी में नानक चंद वासवानी (सहसंयोजक), अभिनव वासवानी (समन्वयक), कृतिका चावलानी, सुशील चावलानी, सुरेश कन्हैयानी, सीतल इसरानी, नमन बंसल, मोहनसोनी, खुशाल लालवानी, अनिल लालवानी, पीतांबर लालवानी, घनश्याम लालवानी, विनोद कृपलानी, सुरेश लालवानी, मदन आनन्दानी, सुरेश पंजानी, किशन चेलानी, विजय भम्भानी, सचिन नवलानी, सिद्धार्थ तोलानी, प्रांजल वासवानी, शाश्वत वासवानी, राजेश चेलानी, जय आनंदानी, किशन आनंदानी, विकास भम्भानी, किरन तोलानी, कविता इसरानी, खुशबू तोलानी, रश्मि आनंदानी, कीर्ति लालवानी, अनू लालवानी, महिमा लालवानी, नूपूर सोनी, वंदना चेलानी, प्रिया भम्भानी आदि मौजूद रहे।
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