Monday, November 25, 2024
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इटावा की सांस्कृतिक विरासत पर भी फिल्मकारों की नजर

इटावा ब्यूरोः राहुल तिवारी। दुर्दांत डाकुओं की शरणस्थली रहा चंबल घाटी हमेशा से फिल्मकारों की पसंद रही है। डकैतों की जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं को रूपहले पर्दे पर दिखाया जा चुका है। अब जिले की सांस्कृतिक विरासत पर फिल्मकारों की नजर है और तो और जिले की धार्मिक पृष्ठभूमि भी उन्हें भा रही है। इसे दर्शकों तक पहुंचाने के लिए फिल्म निर्देशक इटावा का रुख कर रहे हैं। इसी रुख को देखते हुए गोवा में चल रहे फिल्म फेस्टिवल में उत्तर प्रदेश की पवेलियन में इटावा की फिल्मी पृष्ठ भूमि को भी दर्शाया गया है। प्रदेश सरकार की योजना है कि निर्माता-निर्देशकों को आकर्षित करने के लिए प्रदेश भर के पर्यटन स्थलों को फिल्मों के लिए उपयुक्त बनाया जाए।
पूर्व सपा सरकार में इटावा को फिल्मी मानचित्र के जरिए कॉर्पोरेट बाजार बनाने की कवायद की गई, जो काफी हद तक सफल भी रही। इस बीच बुलेट राजा, थोड़ा लुत्फ थोड़ा इश्क, सल्लू की शादी, नेहले पे दहला जैसी फिल्में यहां शूट हुईं। इसके अलावा कई क्षेत्रीय फिल्मों का भी सफल निर्देशन व फिल्मांकन यहां कराया गया। इन फिल्मों ने इटावा को डाकुओं की शरण स्थली से अलग हटाकर बड़े पर्दे पर प्रस्तुत किया।
यही कारण है कि इन फिल्मों के बाद लगातार फिल्मकार इटावा की ओर अपना ध्यान गड़ाए बैठे हैं। अब वर्तमान सरकार भी नई फिल्म नीति के जरिए निर्माता निर्देशकों को एक बार फिर से इटावा की ओर आकर्षित करना चाह रही है। यही कारण है कि अयोध्या, बनारस, इलाहाबाद, मिर्जापुर, आगरा, कानपुर, लखनऊ जैसे शहरों के साथ इटावा को भी फिल्म शूटिंग के लिए चुना गया है।
बीहड़ पर रही निर्देशकों की नजर
चंबल के बीहड़ डाकुओं की शरण स्थली रहे हैं। 1975 में बनी फिल्म शोले के बाद से डकैतों व उनके जीवन पर बनी फिल्म की शूटिंग के लिए इटावा के बीहड़ों को चुना गया। फूलन देवी पर बनी फिल्म निर्देशक शेखर कपूर की बैंडिट क्वीन, कृष्णा मिश्रा की सीमा परिहार पर बनी वुंडेड, तिगमांशु धूलिया की बुलेट राजा जैसी फिल्मों में इटावा के बीहड़ों को बखूबी दिखाया गया। इसके अलावा कॉमेडी फिल्म थोड़ा लुत्फ थोड़ा इश्क में भी यमुना किनारे व कई अन्य जगहों पर भी फिल्म की शूटिंग की गई। आठ दिसम्बर को रिलीज होने वाली फिल्म सल्लू की शादी में इटावा की संस्कृति बड़े पर्दे पर दर्शकों के सामने होगी।
ऐतिहासिक विरासतों को है संरक्षण की आस
हाल के समय में इटावा में बने सफारी पार्क, सुमेर सिंह का किला, कालीबांह मंदिर, पक्का तालाब, भरेह के भारेश्वर महादेव मंदिर, पुराना किला, पिलुआ महावीर मंदिर, प्रतापनेर किला, सैफई पर भी फिल्मों की शूटिंग पर जोर दिया गया। हालांकि जिले की कई ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासतें इन दिनों संरक्षण की आस में बदहाल हो चली हैं। यमुना किनारे के घाट की भी यही कहानी कहती है। इसके चलते इटावा के फिल्मी सफर को गति नहीं मिल पा रही है।