चकिया, चन्दौलीः दीपनारायण यादव। शासन व प्रशासन की स्वच्छ भारत अभियान की हकीकत जांचनी हो तो आप स्थानीय विकास खण्ड के केन्द्रीय गृहमंत्री के गांव भभौरा आकर इस मिशन की असलियत को आसानी से देख सकते हैं, क्या है दरअसल इसकी हकीकत? सरकार के इस योजना को कैसे कागज की जहाज बना कर उड़ाया जा रहा है, कैसे इस योजना के अन्तर्गत बड़े-बड़े दावे किये जा रहे हैं। अत्यधिक पैसों की बर्बादी के बाद भी इस अभियान को कैसे पलीता लगाया जा रहा है। गांव का मुख्य मार्ग अपने आप सब कुछ बयां कर देगा, कहां है इसके जिम्मेदार जो स्वच्छता के नाम पर सफाई कर्मियों के रोस्टर लगवाते है? स्वच्छता के नाम पर हर सप्ताह बैठकें आयोजित करवाते है तथा इस अभियान के तहत मीडिया के सामने बड़े बड़े बयान देते है? यहां देखने पर सब बकवास नजर आता है। बताया गया कि ग्राम प्रधान अवधेश सिंह यादव के द्वारा साफ सफाई के लिए गांव में शौचालय बनवाने वास्ते करीब 328 शौचालय निर्माण की एक फाइल विकास खण्ड़ को सौंपी गयी है परन्तु इसे विडम्बना ही कहेंगे कि चार महीने से शौचालय की फाइल एडीओ से लेकर डीपीआरओ के टेबलों पर धूल फांक रही है। जब यह हालत खुद गृहमंत्री के गांव की है तो आप सोच सकते हैं कि अन्य जगहों पर स्थिति क्या होगी। इस सम्बन्ध में पूछने पर ग्राम प्रधान अवधेश सिंह यादव ने बताया कि गांव में शौचालय बन जाते तो लोग सड़कों पर क्यों जाते। हम भी चाहते है कि हमारा गांव भी ओडीएफ गांव घोषित हो लेकिन अधिकारियों की अपनी सोच है। हम चाह कर भी क्या करेंगे। ब्लाक मुख्यालय से करीब तीन किमी दूरी पर स्थित यह गांव देश को गृहमंत्री दिया है, जिससे यह ब्लाक ही नही पूरा जिला अपने को गौरवान्वित महसूस करता है। परन्तु अधिकारियों की लापरवाही से न केवल गांव के लोगों को शर्मसार होना पड़ रहा है अपितु स्वच्छ भारत अभियान को भी पलीता लग रहा है।