सासनी/हाथरस, जन सामना ब्यूरो। रुबेला रोग जीनस रुबिवायरस के वायरस द्वारा होता है। रुबेला संक्रामक है लेकिन प्रायरू हल्का वायरल संक्रमण होता है। हालांकि रुबेला को कभी-कभी “जर्मन खसरा” भी कहते हैं, रुबेला वायरस का खसरा वायरस से कोई संबंधित नहीं है। दुनिया भर में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों में वर्ष 2012 में लगभग 100,000 रुबेला मामले सामने आए, हालांकि संभावित रूप से वास्तविक मामले इससे कहीं अधिक हैं। 2012 में सबसे अधिक मामलों वाले देश थे टिमोर-लेस्ट, मेसिडोनिया, थाइलैंड, ताजिकिस्तान, और सीरिया। बुधवार को यह बातें सीएचसी में रूबेला प्रशिक्षण शिविर के दौरान डा. प्रदीप शर्मा ने बताई उन्होंने बताया कि रुबेला के लक्षणों में शामिल हैं कम बुखार, मिचली और प्रमुख रूप से गुलाबी या लाल चकत्तों के निशान प्रायः चेहरे पर निकलकर नीचे की ओर फैलते जाते हैं। उन्होंने बताया कि रुबेला विशिष्ट रूप से विकसित हो रहे भ्रूण के लिए खतरनाक होता है। अधिक जानकारी के लिए नीचे दिया गया खंड जटिलताएं देखें। यह वायरस वायुजनित श्वसन के छींटों द्वारा फैलता है। किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान रुबेला संक्रमण होने पर, यह संक्रमण विकसित हो रहे भ्रूण तक पहुंच सकता है। ऐसी गर्भावस्थाओं को सहज गर्भपात या अपरिपक्व जन्म का जोखिम होता है। यदि भू्रण बच जाता है, तो बच्चे को भारी रूप से जन्म संबंधी विकृतियां हो सकती है, जिसमें बहरापन, आंखों की खराबी, हृदय संबंधी समस्याएं, मानसिक मंदन, हड्डी में जख्म और अन्य असामान्यताएं हो सकती हैं। रुबेला का टीका एक सक्रिय दुर्बलीकृत रुबेला वायरस पर आधारित है जिसका प्रयोग 40 वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है। टीके की एक खुराक जीवन भर प्रतिरक्षण प्रदा कर सकती है। उन्होंनें बताया कि प्रथम दो सप्ताह में विद्यालयों में जाकर बच्चों को टीकाकरण किया जाएगा उसके बाद जो बच्चे विद्यालय नहीं आते हैं या किसी कारण टीकाकरण से रह गये हैं उनके घर-घर जाकर बस स्टैंड आदि जगहों पर शिविर लगाकर टीकाकरण किया जाएगा। अंत में एक सप्ता में सर्वे कर बच्चों को चिन्हित कर टीकाकरण किया जाएगा। इस दौरान एमओआईसी डा. प्रदीप रावत, सीडीपीओ राहुल कुमार, शिक्षा विभाग से जितेन्द्र सेंगर, एडीओ पंचायत, सुनहरी लाल, आईओ, साधना शर्मा, एएनएम, ऊषा शर्मा, द्रोपदी देवी, शीला देवी, शारदा देंवी, मोनिका, रेखा, मनु शर्मा, प्रभा, आदि मौजूद थे।