Sunday, November 24, 2024
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हिंसा का अंतहीन दौर

पंकज के. सिंह

Pankaj k singhयमन में वर्चस्व और सत्ता के लिए शिया और सुन्नी समुदायों के मध्य कड़ा संघर्ष चल रहा है। इस संघर्ष में जहां अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे खतरनाक आतंकी संगठन सुन्नियों का साथ दे रहे हैं, वहीं शिया लड़ाकों की अगुवाई हूती मिलिशिया जैसे विद्रोही संगठन कर रहे हैं। मौजूदा हालात को देखते हुए यह नहीं लगता है कि यमन बहुत जल्द गृह युद्ध और हिंसा की जटिल परिस्थितियों से बाहर आ सकेगा। गृहयुद्ध के कगार पर पहुंच चुके अरब देश यमन में शिया हाउती विद्रोहियों के ठिकानों पर सऊदी अरब के नेतृत्व में हवाई हमले शुरू किए गए। राजधानी सना और उसके आसपास के इलाकों में किए गए हमलों तथा सत्ता संघर्ष में सरकार और विद्रोहियों में जारी हिंसा में हजारों नागरिकों की मौत हो चुकी है तथा कई लाख नागरिक बेघर हो गए हैं। हजारों इमारतें और मकान ध्वस्त हो गए हैं तथा चारो ओर आतंक और दहशत का हाहाकार मचा हुआ है। इन हमलों के बाद मुस्लिम राष्ट्र दो गुटों में बंट गए हैं। एक ओर सऊदी अरब के नेतृत्व में कतर, बहरीन, कुवैत, मिस्र जैसे देश हैं, जो किसी भी कीमत पर शिया हाउती विद्रोहियों से यमन के राष्ट्रपति आब्दीरब्बू मंसूर हादी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर ईरान इन देशों के विरोध में खड़ा हो गया है। हवाई हमलों पर नाराजगी जताते हुए ईरान ने कहा है कि इससे विवादों का हल तलाशने में मदद नहीं मिलेगी। सऊदी अरब के नेतृत्व में यमन सरकार को बचाने के लिए पांच अरब राजशाही सहित 10 देशों का गठबंधन बनाया गया है। अमेरिका ने भी इस सैन्य अभियान को हथियारों और गुप्तचर मदद की मंजूरी देने की घोषणा की है। कतर, बहरीन, कुवैत और यूएई ने यमन को हाउती आतंकियों से बचाने के लिए कार्रवाई का निर्णय लिया है। इस अभियान में मिस्र, मोरक्को, जॉर्डन और सूडान भी शामिल हैं। पाकिस्तान भी अभियान में शामिल होने को तैयार है। इस अभियान का मकसद यमन की सरकार को बचाना और हाउती आतंकियों को देश पर कब्जा करने से रोकना है। अभी सिर्फ हवाई हमले किए जा रहे हैं, मगर जरूरी हुआ, तो सब कुछ किया जाएगा। सऊदी वायुसेना ने राजधानी सना सहित अन्य ठिकानों पर हाउती विद्रोहियों के अनेक लड़ाकू विमान नष्ट कर दिए। इन ठिकानों में उत्तरी सना स्थित एयरबेस, मिसाइल बेस और राष्ट्रपति भवन भी शामिल है, जिस पर जनवरी में विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया था। इधर, हादी समर्थकों ने भीषण लड़ाई के बाद अदन एयरपोर्ट पर दोबारा कब्जा कर लिया है। हाउती विद्रोहियों ने इस एयरपोर्ट पर कब्जा किया था। पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका के इलाके बहुत तेजी से पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद की चपेट में आए हैं। हाल ही में अरब प्रायद्वीप के देश यमन में भी हूती विद्रोहियों द्वारा सत्ता पर कब्जा कर लिया गया है। इससे यमन में भी स्थिति बेहद संकटपूर्ण हो गई है। पिछले कुछ वर्षों से यमन में गंभीर राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति बनी हुई थी। इस प्रकार के तख्तापलट को कतिपय लोग सकारात्मक राजनैतिक परिवर्तन भी मान रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इससे कम से कम यमन को लंबे समय से चली आ रही राजनैतिक अस्थिरता और नेतृत्वविहीनता की स्थिति से मुक्ति मिलेगी। उल्लेखनीय है कि यमन में हूती विद्रोहियों ने पिछले कई महीनों से राजधानी सना पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था और यमन सरकार पूरी तरह से बंधक होकर रह गई थी। यहां तक कि यमन के राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद भी हालात में कोई बदलाव नहीं दिखाई दे रहे थे। यमन में अब विद्रोहियों द्वारा क्रांतिकारी परिषद के नेतृत्व में सरकार पर सीधा नियंत्रण स्थापित कर लिया गया है। कूटनीतिक दृष्टि से देखें, तो यह तख्तापलट यमन को निकट भविष्य में कोई बहुत दीर्घकालिक राजनैतिक स्थिरता देता हुआ दिखाई नहीं पड़ रहा है। यह भी महत्वपूर्ण है कि हूती विद्रोही मूलतरू शिया समुदाय से संबंध रखते हैं, जो स्वयं यमन में अल्पसंख्यक हैं। उल्लेखनीय है कि यमन में 60 प्रतिशत से अधिक नागरिक सुन्नी समुदाय के हैं, जबकि लगभग 35 प्रतिशत नागरिक शिया समुदाय से संबंध रखते हैं। स्पष्ट है कि अधिक समय तक बहुसंख्यक सुन्नी समुदाय के मध्य शिया विद्रोहियों के लिए इस उलटफेर के आधार पर सत्ता पर नियंत्रण बनाए रखना प्रायः बेहद कांटों भरा होगा। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुन्नी समुदाय के व्यापक समर्थन पर फल-फूल रहा ‘अलकायदा’ नेटवर्क यमन में भी अच्छा-खासा आधार रखता है।