Thursday, November 7, 2024
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कायाकल्प योजना नहीं बदल पा रही परिषदीय विद्यालयों की काया

कानपुर देहात । परिषदीय विद्यालयों के कायकल्प के लिए चलाई जा रही कायाकल्प योजना अपने मकसद से भटक कर रह गई है। कहने को तो ये योजना कागजों पर खूब दौड़ रही है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कहना गलत न होगा कि बदहाल विद्यालयों की मरम्मत सिर्फ दावों व कागजों में की जा रही है। योजना के प्रति अफसर पूरी तरह से लापरवाही ही बरत रहे हैं। बता दे कि सरवनखेड़ा विकासखण्ड में कुल 216 परिषदीय विद्यालय संचालित है। इन स्कूलों की व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए शासन द्वारा ऑपरेशन कायाकल्प योजना शुरू की गई थी। इस योजना का हाल जानने जब पूर्व माध्यमिक विद्यालय सूरजपुर जाया गया तो वहाँ बाउंड्रीवाल टूटी पड़ी है, शौचालय का गड्डा खुदा पड़ा है चैम्बर में ढक्कन तक नहीं है, जानवर सीधे स्कूल में प्रवेश कर जाते हैं और गन्दगी फैलाते हैं। इसी तरह पूर्व माध्यमिक विद्यालय जिठरौली में कायाकल्प का कार्य आधा-अधूरा हुआ है,आधे बरामदे में टाइल्स लगाई ही नहीं गई है, हैण्डपम्प खराब पड़ा हुआ है बच्चे स्कूल के बाहर सड़क पार करके दूसरी जगह पानी पीने जाते हैं इसके अलावा विद्यालय का जर्जर गेट कभी खुलता ही नहीं है, मैदान ऊबड़-खाबड़ है। इसीप्रकार पूर्व माध्यमिक विद्यालय अहिरनपुरवा में आज भी बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं, यहाँ फर्नीचर जैसी मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।
शिक्षा विभाग से मिले आंकड़ो पर गौर करें तो कायाकल्प योजना जमीन पर दिखाई नहीं दे रही है। कहीं भवन जर्जर है तो कही शौचालय खराब तो कई जगह ब्लैकबोर्ड भी नहीं, हाँ इतना अवश्य है कि कहीं-कहीं कुछ कार्य जरूर कराया गया है।
बदहाली पर आंसू बहा रहे विद्यालय-
जिले में 1604 प्राथमिक व 676 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। तकरीबन 1400 से अधिक विद्यालय आज भी अपनी बदहाली का रोना रो रहे हैं। इन विद्यालयों में से अधिकांश स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं, कई स्कूलों में बाउंड्रीवाल तक नहीं है। इनमें से कुछ विद्यालयों की हालत इतनी खराब है कि यहां पर बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर है, लेकिन सरकार द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारियों के पास इतनी फुर्सत नहीं कि वह विद्यालयों की उचित जांच करवाकर श्कायाकल्प योजनाश् के तहत उन्हें रिनोवेट करने का काम करें।