मुख्य सचिव ने न्यूरोसर्जरी विभाग में गामा नाइफ चिकित्सा उपकरण स्थापित किये जाने सम्बन्ध में प्रदान की सैद्धांतिक सहमति आमजन को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु चिकित्सा संस्थानों में आधुनिकतम एवं सर्वश्रेष्ठ तकनीकी का प्रयोग प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल: राजेन्द्र कुमार तिवारी
लखनऊ, जन सामना ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने डाॅ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के न्यूरोसर्जरी विभाग में गामा नाइफ चिकित्सा उपकरण स्थापित किये जाने सम्बन्ध में सैद्धांतिक सहमति प्रदान करते हुये अग्रेतर कार्यवाही हेतु प्रस्ताव शासन भेजने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने संस्थान में यथाशीघ्र गामा नाइफ चिकित्सा उपकरण स्थापित कराने हेतु अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित कराते हुये अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निविदा आमंत्रित की जाये। इस कार्य में एक्सटर्नल एक्सपर्ट के रूप में एम्स एवं एसजीपीजीआई के विषय विशेषज्ञों का भी सहयोग लिया जाये।
मुख्य सचिव आज लोक भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में डाॅ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ की 32वीं शासी निकाय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आमजन को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश सरकार चिकित्सा संस्थानों में आधुनिकतम एवं सर्वश्रेष्ठ तकनीकी का प्रयोग सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है।
बैठक में राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डाॅ0 ए0के0 त्रिपाठी ने बताया कि गामा नाइफ एक ऐसा चिकित्सा उपकरण है, जिससे मरीज के सिर में बिना चीरा लगाये गामा किरणों के माध्यम से ट्यूमर को जलाया जाता है एवं गामा किरणें ट्यूमर के आस-पास की सामान्य कोशिकाओं को कोई क्षति नहीं पहुंचती है, फलस्वरूप कोई साईड इफेक्ट भी नहीं होता है। गामा नाइफ से ब्रेन ट्यूमर को उपचारित करने के उपरान्त रेडियोथिरैपी की भी आवश्यकता नहीं रहती है। ब्रेन ट्यूमर के अतिरिक्त गामा नाइफ से ब्रेन ए0वी0एम0, न्यूरोलाॅजी तथा पार्किन्सन रोगों की भी सटीक चिकित्सा की जाती है। गामा नाइफ से उपचार हेतु मरीज को डे-केयर वार्ड में भर्ती कर उसी दिन उपचार के उपरान्त चिकित्सालय से छुट्टी दी जा सकती है। आईसीयू की भी कोई आवश्यकता नहीं होती है।
डाॅ0 त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान में ब्रेन ट्यूमर/ब्रेन कैंसर का उपचार न्यूरोसर्जरी विभाग द्वारा शल्य क्रिया के माध्यम से किया जाता है तथा शल्य क्रिया के उपरान्त रेडियोथिरैपी विभाग द्वारा ट्यूमर की सिकाई की जाती है, जिससे प्रायः आस-पास की भी कोशिकायें क्षतिग्रस्त होने से मरीज की चिकित्सा के उपरान्त भी साइड इफेक्ट जैसे लकवा आना, चेहरे का टेढ़ा होना तथा सुनने की क्षमता कम होना इत्यादि से ग्रसित हो जाता है।
गामा नाइफ से प्रतिवर्ष लगभग 1000 मरीजों का उपचार किया जायेगा जिससे लम्बी प्रतीक्षासूची को कम किया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि यह प्रदेश का पहला सेन्टर होगा जहां गामा नाइफ की सुविधा प्राप्त होगी। अभी तक यह सुविधा नई दिल्ली, चंडीगढ़ तथा बैंगलोर में उपलब्ध थी।
बैठक में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डाॅ0 रजनीश दुबे, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डाॅ0 के0के0गुप्ता सहित सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण तथा शासी निकाय के अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।