⇒कोरोनाकालः कर्मभूमि को त्यागकर जन्मभूमि पहुंचने में समझ रहे भलाई
⇒26 मजदूरों का जत्था पैदल ही निकल पड़ा सिरसागंज से दरभंगा के लिये
⇒गुजैनी बाईपास पर बिना सोशल डिस्टेंसिंग के बितायी रात
अर्पण कश्यपः कानपुर नगर। कोरोना के कहर से बचने के लिये जहां लोग अपने अपने घरों में रहने में अपनी भलाई समझ रहे हैं तो वहीं ऐसे समय यानि कि लाॅकडाउन के दौरान 26 मजदूरों का जत्था सिरसागंज से पैदल ही दरभंगा बिहार के लिये निकला पाया गया। इस जत्थे ने आज की रात गुजैनी बाईपास पर गोविन्दनगर थानान्र्तगत व्यतीत की। मजदूरों ने बताया कि वो 3 अप्रैल की सुबह सिरसागंज से पैदल निकले थे और 7/8 अप्रैल की रात्रि को यहां आ पाये हैं। इन बेबस मजदूरों ने बताया कि राहगीरों की मदद से उन्हें कहीं पर कुछ खाने को खाना तो कहीं पर सोने की जगह दी गयी।ज्यादातर मजदूरों ने बताया कि वो सिरजागंज में कोल्ड स्टोरों में लेबरी का काम करते थे! काम बंद होने के चलते न पैसा पास बचा और ना खाने का सामान। उन्होंने बताया कि जब ठेकेदार से मदद की आस की तो ठेकेदार खुद सबकुछ छोड़कर भाग गया। ऐसे में खाली पेट सोने की नौबत आ गई। जब कुछ समझ में नहीं आया तो पैदल ही अपने अपने घरों की ओर चल पड़ा हूं। जब यह जानकारी की कि रास्ते में किसी जगह पर आप लोगों को रोका नहीं गया तो वो बोले कि जहां पर लाॅक डाउन के चलते सीमायें सील हैं उन स्थानों पर ड्यूटी करने वालों के पास ठीक से पानी तक तो है नहीं, ऐसे में वो खुद सबकुछ देखते हुए कुछ नहीं कह पा रहे हैं। जब मजदूरों से पूंछा कि आप लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन क्यों नहीं कर रहे ? और अगर सबको कोरोना संक्रमण हो गया तो ?
यह सुन उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि साहब कोरोना से डर नहीं लगता। डर तो भूख से मरने का सता रहा है। इसलिये अब किसी भी कीमत पर अपना घर ही नजर आ रहा है।