कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। परिषदीय स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की किस जिले में, कितने व्हाट्सएप ग्रुपों द्वारा कक्षाएं संचालित हो रही हैं तथा किस जिले के कितने शिक्षकों को विभागीय योजनाओं का कितना ज्ञान है यह अब सीधे मुख्यालय जांच रहा है। मिड-डे मील में बच्चों की उपस्थिति जांचने के लिए बनी आईवीआरएस प्रणाली के जरिए इसका पता लगाया जा रहा है।
फोन पर देना होता है हां या ना में जवाब-
मुख्यालय से सीधे शिक्षकों को फोन जा रहे हैं और शिक्षकों को हां या नहीं में उत्तर बताना होता है। इसमें आधे दर्जन से ज्यादा सवाल पूछे जाते हैं और शिक्षकों को इसका जवाब देना होता है। हर महीने इसकी समीक्षा होती है और नतीजा यह कि जिलों में भी शिक्षकों तक सूचनाएं पहुंचाने में अधिकारी तेजी दिखाने लगे हैं। मसलन इसमें जब पूछा गया कि विभाग द्वारा जारी ध्यानाकर्षण माड्यूल पुस्तिका पढ़ ली तो ज्यादातर शिक्षकों ने इससे अनभिज्ञता जताई। लिहाजा चार्टवार इसकी रिपोर्ट बनाकर जिलों को भेजी गई और बीएसए को चेतावनी दी गई कि जानकारियों से शिक्षक अनभिज्ञ कैसे हैं। चूंकि अब जिलों व स्कूलों की रेटिंग शैक्षिक गुणवत्ता व भौतिक निर्माण पर होनी है लिहाजा बीएसए भी जानकारियों को अंतिम सिरे तक पहुंचाने में लगे हैं। यहां से सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या आपने स्कूल में रिमेडियल क्लासेस चलाने की कार्य योजना बना ली है?आपके व्हाट्सएप ग्रुप में इंचार्ज हैं या नहीं, प्रतिदिन ग्रुप पर शैक्षणिक सामग्री प्राप्त हो रही है या नहीं, मिशन प्रेरणा के यूट्यूब चैलन को सब्सक्राइब कर लिया है या नहीं, अभिभावक इस ग्रुप में है या नहीं, वहीं ग्राम प्रधानों से भी फीडबैक लिया जा रहा है कि उनके स्कूलों में व्हाट्सएप कक्षाएं हो रही हैं, शिक्षकों की ट्रेनिंग आदि पर भी राय ली जा रही है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त ने बताया कि उपर्युक्त के सम्बंध में शिक्षकों को अवगत करा दिया गया है। सभी शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को 19 मई तक मिशन प्रेरणा प्रश्नोत्तरी को भरना अनिवार्य है। उन्होंने यह भी बताया कि लिंक पर उपलब्ध पुस्तिकाओं का सभी अध्ययन कर लें क्योंकि लखनऊ से आप लोगों के पास एक फोन आ रहा है उसमें आप लोगों से पुस्तक के बारे में पूछा जा रहा है।