प्रयागराज, जन सामना ब्यूरो। जिला उद्यान अधिकारी प्रयागराज प्रतिभा पाण्डेय ने किसान भाईयों को सूचित करते हुए बताया है कि पिछले कुछ दिनों में पश्चिमी और मध्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों में टिड्डी दल को दृष्टिगत रखते हुए जनपद में इस कीट के नियंत्रण के सम्बन्ध में निर्देश गये है। यह गण हेमिप्टेरा के सिकेडा वंश का कीट है। यह कीट भारत, पाकिस्तान तथा मध्य एशिया के कई देशों में रेगिस्तानी भूमि में अंडे देते है तथा भोजन अनुकूल मौसम की तलाश में कई मील तक उड़ान भर सकते है। ये फसलों को नष्ट कर देते है, ये बहुत ही डरपोक होने के कारण समूह में रहते है। 15 से 30 मिनटों में आपकी फसल की पत्तियों को पूर्ण रूप से खाकर नष्ट कर सकते है। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर झड़ियों एवं फसलों पर बसेरा करते है और वहीं पर रात गुजारते है। इसलिए उन्हें रात में आराम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि ये रात भर फसलों को नुकसान पहुंचाते है और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उडान भरते है। एक टिड्डी दल झांसी के समीप ओरछा आजादपुर होते हुए बलुआ सागर के आस-पास देखा गया है तथा उसके कानपुर की ओर बढ़ने की सम्भावना है। इस दल के जनपद में प्रवेश की सम्भावना के दृष्टिगत सर्तकता के साथ ही अन्य संसाधनों को व्यवस्थित करना आवश्यक है।
टिड्डीयों के झुण्ड को फसलों से दूर रखने के प्रमुख उपायों में टिड्डी दल के समूह को खेतों में उतरने से रोकने के लिए तुरंत अपने खेतों के आस-पास मौजूद घास-फूस का उपयोग करके आग जलाना चाहिए अथवा धुआ उत्पन्न करना चाहिए, जिससे टिड्डी दल आपके खेत में न बैठकर आगे निकल जाए। टिड्डी के प्रकोप की दशा में एक साथ इकट्ठा होकर टीन के डब्बो, थालियों आदि बजाते हुए शोर मचाये। पटाखे फोड़कर/ट्रेक्टर के साइलेंसर को निकालकर भी तेज ध्वनि करें। शोर से टिड्डी दल आस पास के खेत में आक्रमण नही कर पायेंगे। इसके लिए सुबह का समय उपयुक्त होता है। बसन्त का मौसम एवं बलूई मिट्टी टिड्डे के प्रजनन एवं अण्डे देने हेतु सर्वाधिक अनुकूल होता है। अतः टिड्डी दल के आक्रमण से सम्मलित ऐसी खेती वाले क्षेत्रों में जुताई करवा दें एवं जल का भराव कर दें।
रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करके भी टिड्ड़ी दल के आक्रमण से फसलों को बचाया जा सकता है। इसके लिए मेलाथियान 50 प्रतिशत ई०सी० मेलाथियान 25 प्रतिशत डब्ल्यू०पी० क्लारोपयरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 और क्लारोपयरीफास 50 प्रतिशत ई०सी० को टिड्डीयों के हमलों को रोकने के लिए शाम को पानी में पतला घोल कर फसलों पर कीटनाशक के रूप में छिडकाव करना चाहिए। मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल अथवा फेनवेलरेट धूल की 25 किग्रा0 मात्रा प्रति हे0 की दर से डस्टर द्वारा छिडकाव के लिए प्रातः काल का समय अधिक उपयुक्त है।