⇒जीतना ही आवश्यक नहीं उत्साह पूर्वक शामिल होना बहुत जरूरीः शैलजा कान्त मिश्र
मथुरा। राजकीय संग्रहालय मथुरा एवं उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद मथुरा द्वारा ब्रजरज उत्सव के अवसर पर आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार राशि का वितरण किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने दीप प्रज्ज्वल किया। तदुपरान्त मां सरस्वती जी के चित्रपट पर मार्ल्यापण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजा कान्त मिश्र ने कहा कि जिन्दगी अच्छी सच्ची व ईमानदारी से और दूसरों की सहायता करते हुए जीना चाहिए। तभी यह रंग सही मायने में देश और समाज के हर व्यक्ति के मन में भर पाएंगे। उन्होंने कहा कि जिन्हें कोई पुरस्कार नहीं मिला उन्हें निराश नहीं होना चाहिए, अगर वह शामिल ही नहीं होंगे तो जीतने वाला कैसे जीतेगा, जीतना आवश्यक नहीं है उत्साह पूर्वक शामिल होना बहुत जरूरी है। सभी प्रतिभागियों को पुरस्कार राशि के चैकों व प्रशस्ति पत्र का वितरण किया गया। राजकीय संग्रहालय, मथुरा के उप निदेशक यशवन्त सिंह राठौर ने मुख्य अतिथियों का पटुका औढ़ा कर स्वागत किया। नवम्बर 2022 में आयोजित ब्रजरज उत्सव 2022 के अवसर पर नौ प्रतियोगिताओं में चित्रकला प्रतियोगिता, रंगोली प्रतियोगिता, कहानी लेखन प्रतियोगिता, नारा लेखन प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता, अपशिष्ट सामग्री प्रतियोगिता एवं मॉडल क्रियेशन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था। विशेष आकर्षण सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता जिसका विषय ब्रज एवं हमारा उत्तर प्रदेश था। यह सभी प्रतियोगिताओं का आयोजन रेलवे ग्राउंड, मथुरा में आयोजित की गई थीं। सभी प्रतिभागियों को प्रथम पुरस्कार पांच हजार रुपये, द्वितीय पुरस्कार तीन हजार रुपये, तृतीय पुरस्कार 2500 रुपये सांत्वना पुरस्कार 1500 का रखा गया था। सभी 50 प्रतिभागियों को धनराशि के चेक वितरित किये गये। इस अवसर पर संग्रहालय, मथुरा के डॉ. यशवन्त सिंह राठौर ने अवगत कराया कि कुल नौ प्रतिभागियों के कुल 50 प्रतिभागियों को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया। संग्रहालय में आयोजित राष्ट्रीय चित्रांकन शिविर की कलाकृतियों को छात्र-छात्राओं ने सात प्रांतों के चित्रकारों की विभिन्न शैली पहाड़ी शैली, किशनगढ शैली, मुगल शैली, नाथद्वारा शैली, सांझीकला, कांगड़ा शैली, वर्ली शैली, मांडना कला, मधुबनी शैली, स्टैंसिल आर्ट, गौंडी पेंटिंग, पिछवाई शैली, राजस्थानी शैली, बुन्देली स्टाइल, फड़ कला, शेखावाटी कला, पट्ट चित्र शैली एवं गोदना पेंटिंग आदि का अवलोकन किया तथा इन छात्रों ने भी चित्रकला में अपनी रुचि दिखाई।