Thursday, November 28, 2024
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विश्व विख्यात कालजयी साहित्यकार: प्रेमचंद

उपन्यास सम्राट प्रेमचंद भारतीय साहित्य संस्कृति की अस्मिता के प्रतीक थे । वे आधुनिक कहानी के पितामह थे। एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे।उनके साहित्य में साधारण जन की पीड़ा,समस्याओं का मार्मिक वर्णन अपने साहित्य सृजन के माध्यम से बड़े ही न्याय पूर्ण ढंग से किया ।उनका साहित्य जन समुदाय के समुद्र में हिलोरों से प्रभावित ही नहीं करता बल्कि साहित्य जगत में अपने अनोखे नए अंदाज में पढ़े-लिखे वर्ग को जागृत करने का नव मार्ग दिखाने का महान् कार्य किया है जो भारतीय हिंदी साहित्य की विरासत के रूप में आज भी प्रासंगिक है और आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता है।उनका साहित्य प्रकाश स्तंभ की तरह है जो मानवीय जीवन की सामाजिक, धार्मिक ,आर्थिक ,राजनीतिक ,सांस्कृतिक क्षेत्र में  रूढ़िवादी, अंधविश्वासी, शोषण ,अन्याय जैसी बुराइयों को खत्म करने का कार्य करता है तथा नव मार्ग को प्रशस्त करता है। प्रेमचंद एक आधुनिक हिंदी कहानी के पितामह,उपन्यासकार, कुशल संपादक, संवेदनशील लेखक, जागरूक नागरिक, आदर्श एवं यथार्थ के हिमायती ,कुशल वक्ता, कलम के सिपाही थे।कहा जाता है उनकी कहानियां हिंदी साहित्य में मील का पत्थर है।साहित्य के क्षेत्र में कबीर,सूर और तुलसी की तरह प्रेमचंद ने भी जनमानस में आधुनिक साहित्य के रूप में जगह बनाई थी। प्रेमचंद साहित्य के हीरो के रूप में जन-जन के दिलों में आज भी बसे हुए हैं।उन्होंने साहित्य के माध्यम से जनमानस में यथार्थ, आदर्श एवं नैतिक न्याय व सीख से बदलाव की मीठी नदी की जलधारा बहाइ जो आज भी और आने वाले समय में भी अमृत पान कराती रहेगी। जीवन में साधारण से साधारण रहकर भी उन्होंने अपनी विचारधारा को लेखनी के माध्यम से जो असाधारण कार्य किया वह आज भी साहित्य जगत में अविस्मरणीय है। प्रेमचंद का मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के लमही गांव में 31 जुलाई 1880 को हुआ था। गांव की संस्कृति उन्हें विरासत में मिली थी। ग्रामीण जीवन को उन्होंने निकटता से देखा था। 7 वर्ष की अवस्था में अपनी मां को खो दिया था। 14 वर्ष के थे तब पिता को। बचपन अभावों एवं कठिनाइयों में गुजरा था। संघर्ष ही मनुष्य को एक सच्चा इंसान बनाता है। एक साहित्यकार के संघर्ष से संवेदनाएं जन्म लेती है। प्रेमचंद की रचनाओं में मार्मिकता भी है और आम जनता की व्यथा भी है और उनके प्रति गहरी संवेदना भी। प्रेमचंद की प्रारंभिक शिक्षा उर्दू में हुई थी। उन्होंने 1919 में बीए किया था। वे अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. करना चाहते थे किंतु आर्थिक विषम हालात की वजह से ऐसा नहीं कर पाए। उनका विवाह 15 वर्ष की अवस्था में हो गया था किंतु वे पत्नी से असंतुष्ट थे।उन्होंने 1905 ई. में पत्नी को त्याग दिया था और 1916 में बाल विधवा शिवरानी देवी से विवाह किया था जो बहुत ही व्यवहार कुशल और बुद्धिमती थी। प्रेमचंद जी का साहित्यिक सफर 1901 में प्रारंभ हो चुका था। प्रारंभिक काल में वे उर्दू में नवाब राय के नाम से लिखते थे।प्रेमचंद जी के शुरुआती दौर में राष्ट्रवाद का प्रभाव था तो बाद में आदर्श एवं यथार्थवाद का और जीवन में अंतिम पड़ाव में प्रगतिशील विचारों के साथ पूंजीपति महाजनी सभ्यता के विरोधी स्वर में उनकी लेखनी को हम पाते हैं। उन्होंने 1907 से 1915 तक उर्दू में कहानी लेखन किया।प्रेमचंद के अनुसार प्रथम कहानी 1960 में दुनिया का सबसे ‘अनमोल रतन’ प्रकाशित हुई थी जो देशभक्ति से ओतप्रोत थी। जिसमें उन्होंने लिखा-” खून का यह आखिरी कतरा जो वतन की हिफाजत में गिरे दुनिया की सबसे अनमोल चीज है।” प्रेमचंद का प्रथम कहानी संग्रह 1908 में ‘सोजे वतन'(राष्ट्र का विलाप) प्रकाशित हुआ जो राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत था। जिसे अंग्रेज सरकार ने जप्त कर लिया और प्रतियां जला दी। उनको अंग्रेज सरकार द्वारा लेखन हेतु बाध्य किया गया और मनाही  की गई। तब ‘जमाना’ पत्रिका के संपादक दयानारायण निगम ने उन्हें ‘प्रेमचंद’ नाम दिया। ‘कलम के सिपाही’ नाम उनके पुत्र प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतराय ने दिया था।प्रेमचंद्र नाम से उनकी प्रथम कहानी ‘बड़े घर की बेटी’ “जमाना” पत्रिका के दिसंबर 1910 के अंक में प्रकाशित हुई थी। उन्होंने उर्दू में लगभग 178 कहानियां लिखी थी जो 13 कहानी संग्रह के रूप में प्रकाशित हुई। उन्होंने हिंदी में लिखना 1915 में प्रारंभ किया था इससे पूर्व में वे उर्दू में लिखते थे। प्रेमचंद की हिंदी में प्रथम कहानी “परीक्षा” 1914 में ‘प्रताप’ साहित्यिक पत्र में छपी थी। उनकी “सौत” कहानी दिसंबर 1915 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।  उनकी कहानियों में घटना प्रधान थी बाद में आदर्शमूलक समाधान किया इसके बाद यथार्थ और की ओर अग्रसर हुए उनकी कहानियों में घटना प्रधान,चरित्र प्रधान एवं भाव प्रधान तीनों रूपों में देखा जाता है। कहानियां विविध शैलियों में तथा अनेक समस्याओं को लेकर लिखी गई। उन्होंने अपने जीवन काल में 300 से अधिक कहानियां लिखी थी। प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में व्यक्ति, समाज और राष्ट्र में फैली बुराइयों पर व्यंग किया तो आदर्श ,यथार्थ और नैतिक न्याय की जोरदार वकालत की। उनकी एक कहानी नमक का दारोगा में हम देख सकते हैं  जिनमें उन्होंने भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी पर कितना करारा व्यंग्य किया है और वह कहानी आज भी उतनी सार्थकता को बयान करती है। उनकी लेखनी आज भी प्रासंगिक है।जिसमें नमक का दारोगा बंशीधर के पिता की सीख के माध्यम से वे कहते हैं- “नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूंढना, जहां कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चांद है,जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय तो बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है।”

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जलमग्न हुई हाउसिंग कॉलोनी,लोग पलायन को मजबूर

कानपुर। दिल्ली पब्लिक स्कूल बर्रा के सामने बसी नई कोलोनी आर के पुरम में बाढ़ का पानी घुस गया। मुख्य मार्ग पर लगभग दो फीट पानी भर चुका है। आवागमन लगभग बंद हो चुका है। कोलोनी में अधिकांशतः रेलवे के लोको पायलट, अन्य सर्विस वाले के साथ साथ आसपास फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों के सौ परिवार से ज्यादा लोग निवास करते हैं। बच्चें और महिलाओं में डर का माहौल है। धीरे जल स्तर बढ़ता ही जा रहा है। 2018 में आई बाढ़ से प्रत्येक घरों में दो तीन फीट पानी भर गया था जिसके कारण सबका लाखों का फर्निचर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आदि बर्बाद हो गय थे। कई बार प्रशासन की टीम मुआयना कर के गई पर 2018 से आजतक कोई कदम नहीं उठाया गया ना ही किसी प्रकार का कोई मुआवजा दिया गया। इस बार भी पांडु नदी के बढ़ते जल स्तर से लोग परेशान हैं। इस संबंध में जिलाधिकारी महोदय एवं सांसद महोदय को ट्वीट के माध्यम से विडियो भेज कर समस्या से अवगत करवाया, पर प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है।

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पांडु नदी में फिर बाढ़ का खतरा

कानपुर। मेहरबान सिंह का पुरवा गांव के पास से गुजरने वाली पांडु नदी के बढ़ते जल स्तर से ग्रामीणों में भय का माहौल है। दिल्ली पब्लिक स्कूल बर्रा के सामने अभी हाल ही में बसी नई कोलोनी में सौ से अधिक परिवार रहते हैं। 2018 में पांडू नदी में भयंकर बाढ आई थी जिसके कारण सभी घर में दो से तीन फिट पानी भर गया था। दिल्ली पब्लिक स्कूल भी करीब महीने भर बंद करना पड़ा था और सभी कोलोनी निवासी पलायन को मजबूर हुए थे एवं सभी का लाखों का नुक़सान हुआ था। आज पुनः वहीं स्थिति दोहराने के कगार पे है। इस साल भी पानी सड़क के लेवल में आ चुका है। यदि एक दो दिन बारिश हुई. तो मेन सड़क पर पानी आ जायेगा और सभी परिवार फंस जायेंगे और यदि बारिश की स्थिति ऐसी ही बनी रही तो सभी घरों बाढ़ की चपेट में आ जायेंगे। कोलोनी में रहने वाले कुन्दन सिंह ने बताया कोलोनी के पास करीब 500 मीटर पांडु नदी में बिल्कुल भी गहराई नहीं है।

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नारी जासूस को नमन

२६ जुलाई को जिनकी पुण्य तिथि है ,उन नीरा आर्य को शत शत नमन।५ मार्च १९०२ को उत्तर प्रदेश के मेरठ के खेकड़ा गांव में कुलीन जाट परिवार में जन्मी थी माता– पिता की बीमारी के कारण बहुत कर्ज होने की वजह से  सारी मिल्कियत साहूकारी द्वारा कुर्क कर ली गई और अपने छोटे भाई बसंत कुमार साथ दर दर भटक ने की नौबत आ गई।इसी भटकन के दौरान  हरियाणा के सेठ छज्जूमल मिले जो बड़े व्यापारी थे और वैश्य समाज में उनका बहुत बड़ा नाम था।वैसे वह खुद हरियाणवी जाट समाज से थे।छज्जूराम दानवीर और देशभक्त थे।उन्हों ने दोनों भाई–बहन को गोद ले लिया और अच्छे से लालन पालन करने लगे।कलकत्ता में उनका बहुत बड़ा कारोबार था और वे पक्के आर्यसमाजी भी थे।वीर भगतसिंह भी एकबार पुलिस से छिपते हुए उनके वहां महीना भर रहे थे।सेठजी ने नीरा का ब्याह श्रीकांत जयरंजन दास जो शिक्षित और धनवान भी थे।किंतु वह ब्रिटिश खुफिया विभाग में अफसर थे ये उनकी जानकारी में नहीं आया था।बाद में जब नीरा को पता लगा उनका पति देशद्रोही हैं और अंग्रेजो के तलवे चाट ने वाला गुलाम हैं तो वह बहुत दुखी हुई।पहले उसे  राजा महेंद्र प्रताप और बाद में सुभाष चंद्र बोस की जासूसी में अंग्रेजो ने लगा रखा था।जब नीरा ने आवाज उठाई कि देशद्रोह का काम छोड़ ने के लिए कहा तो उसे कहा गया कि उनको वहां से जितना पैसा मिलता हैं उससे उनकी आने वाली कई पीढ़ियां बिना कमाए ही ऐश करेगी।तब देश भक्ति में रंगी नीरा ने पति का साथ छोड़ चले जाने की बात कही तो जवाब मिला कि पैसे हैं तो पत्नियां बहुत मिल जायेगी।और नीरा छज्जूरामजी के घर लौट आई।
 उनके कई रिश्तेदार आजाद हिंद फौज में शामिल थे उनसे सुना की नेताजी ने झांसी रेजिमेंट बनाई हैं तो वह खुश हो गई और मुंहबोले भाई रामसिंह को बताया कि वह भी नेताजी के सैन्य में भर्ती होने  इच्छा रखती है ,तो उनके साथ वह भी आजाद हिंद सेना में भर्ती हो गई।झांसी रेजिमेंट में उसे नेताजी ने अंग्रजों की जासूसी का काम दिया।अपने साथियों के साथ भेष बदल अंग्रेजो की छावनियों में  जासूसी करने जाती थी।उन्हे आदेश था कि जासूसी करते पकड़े जाने पर अपने आप को गोली मार मर जाना किंतु जिंदा अंग्रेजों के हाथ नही लगना।एक बार उनकी एक साथी जिंदा अंग्रेजों के हाथ लग गई,उसे छुड़ाने अपने साथियों के साथ छावनी पर हमला कर दिया राजमणि को बचा तो लिया लेकिन पांव में गोली लगने से सदा के लिए लंगड़ी हो गई।  एकबार नेताजी अपने साथियों के साथ टेंट में सो रहे थे  और नीरा को वहा का पहरा देने का कार्य मिला था।वह बंदूक लिए निडर खड़ी थी कि एक साया नजर आया एक आहट के साथ ,देखा तो उनका पति श्रीकांत ,जो नेताजी को मार लाख रूपिए का इनाम लेने की फिराक में था,वह दिखा।तो उसे वहां  से चले जाने के लिए बोला लेकिन वह नेताजी की ओर बढ़ रहा था,उसने सोचा भारतीय नारी अपने पति को नहीं मार सकती,नीरा ने अपनी बादुक में लगा छुर्रा उसके पेट में दे मारा तो श्रीकांत ने उन पर गोली चलादी।एक गोली कान के पास से और दूसरी गर्दन को छू कर  गुजर गई। बेहोश रखी बहन नीरा को स्वयं नेतेजी ने उठा जीप में डाला और डॉक्टर के पास ले गए और उसे कुछ नहीं होना चाहिए ऐसा बोल इलाज करवाया।  अपने देश भक्ति के कई जलवे आजाद हिंद फौज में दिखा चुकी नीरा अंग्रेजो के हाथ लग ही गई जब जापानी सैनिकों ने धोखा दिया और जापान का साथ अमेरिकन हमले से की वजह से कम हो गया।कालापानी भेज बहुत यातनाएं दी गई।बहुत ही दुर्व्यवहार कर नेताजी का अता पता पूछा गया।नीरा का आंचल फ़ाड़ लुहार के प्लास से स्तनों को नोंचा गया,अंधेरी तंग कोठरी में रखा गया,मल और पेशाब से सनी कोठरी दुर्गंध से सड़ रही थी।एक हाथ से बांध कर बेहोश होने तक लटकाया गया।अन्न पानी भी कम और दूषित दिया जाता था।आर्यसमाजी शाकाहारी नीरा को मांस खिलाया जाता था।एक बड़े गोल चक्कर में खूब घुमा कर अधमरी नीरा को एक खतरनाक टापू पर फेंक दिया गया।

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महापौर ने निगम अधिकारियों संग निर्माण कार्यो की देखी प्रगति

फिरोजाबाद। नगर निगम के वार्ड नं. 20 के मौहल्ला कृष्णा नगर व सुदामा नगर में 14 वें वित्त आयोग के अंतर्गत सम्पन्न कराए गये निर्माण कार्यों का महापौर नूतन राठौर ने निगम अधिकारियों संग निरीक्षण किया। मौके पर उपस्थित स्थानीय निवासियों की समस्याओं का अनुश्रवण कर संबंधित अधिकारियों को समस्याओं के त्वरित निस्तारण करने हेतु निर्देशित किया। साथ ही पेयजल के संबंध में समस्याएं प्राप्त होने पर मौके पर उपस्थित रामबाबू राजपूत (महाप्रबंधक-जल) को समस्याओं के त्वरित निस्तारण करने हेतु निर्देशित किया गया। इस दौरान क्षेत्रीय पार्षद सुबोध दिवाकर, पार्षद गेंदालाल राठौर, राजेश कुमार (सहायक अभियंता) आदि मौजूद रहे।

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 पुलिस ने अलग-अलग जगहों से पकड़े पांच बाइक चोर,नौ बाइक और तमंचे बरामद

फिरोजाबाद। शिकोहाबाद और मक्खनपुर पुलिस ने बाइक चोरी करने वाले गैंग का भंडाफोड़ कर दिया। पुलिस ने पांच बाइक चोरों से चोरी की 9 बाइक बरामद की हैं। इनके पास से तमंचे और कारतूस भी बरामद हुए हैं। शातिर चोरी की बाइकों को कबाड़िया को बेच देते थे और उसके बाद पल भर में बाइक पार्ट्स में बदल जाती थी।

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खारजा नहर के कटान से कई गांव पानी-पानी, जलभराव से गिरा मकान

फिरोजाबाद। जिले के एका क्षेत्र में इन दिनों खारजा नहर जो कभी सूखी रहती थी, वह आज तबाही मचाने को तैयार है। नहर में आए अचानक पानी के बाद कटान हो गया और करीब दर्जन भर गांव इसकी चपेट में आ गए। खेतों से होता हुआ नहर का पानी अब गांव की ओर बढ़ने लगा है।

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सपा छात्र सभा ने सीएमएस को सौंपा ज्ञापन

फिरोजाबाद। सपा छात्र सभा जिलाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह वर्मा व प्रदेश सचिव छात्रसभा जगमोहन यादव के नेतृत्व में जिला अस्पताल के सीएमएस को एक ज्ञापन सौंपा है। जिसमें कहा है कि कोरोना काल में वर्तमान में महाविद्यालय में परीक्षाएं चल रही है।

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प्रधान संघ की बैठक 30 को

फिरोजाबाद। जिला प्रधान संघ के पूर्व जिला महासचिव रामनिवास यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि जनपद के समस्त सम्मानित प्रधानों की एक आवश्यक बैठक 30 जुलाई को प्रातः 10 बजे एम.जे.डी. मैरिज होम (पुलिस लाइन के पास) राष्ट्रीय राजमार्ग पर आहूत की गई है।

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विधिक साक्षरता एवं जागरूक शिविर में ग्रामीणों को दी जानकारी

फिरोजाबाद। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जनपद न्यायालय जिला जज संजीव फौजदार के आदेशानुसार पीएलवी मनोज गोस्वामी, पंकज चतुर्वेदी और राजकुमार के द्वारा राजा के ताल पर विधिक साक्षरता एवं जागरूक शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें पर्चे बांटकर विधिक सहायता एवं सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। शिविर में प्रमोद कुमार, विपिन कुमार, गोपी चौहान, संजीव, राजू, गुड्डी देवी, राखी, रानू, गोलू, राकेश आदि ग्रामवासी मौजूद रहे।

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