Tuesday, May 14, 2024
Breaking News
Home » लेख/विचार (page 29)

लेख/विचार

रावण गली गली घूम रहे है

हकीकत में आज के दौर में गली-गली रावण से भी खतरनाक मानसिकता वाले राक्षस भ्रमण कर रहे है, और हम सालों पहले जिस रावण ने सीता माता को छुआ तक नहीं उसका पुतला जलाकर रावण का दहन कर रहे है।
दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान श्री राम ने इसी दिन रावण का वध किया था और देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के बाद महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इस त्यौहार को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरे के दिन रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है।

Read More »

पहले खुद को बदलो फिर सरकार को कोसों

आजकल सोशल मीडिया पर सरकार को कोसने का रिवाज़ चल रहा है, जो लोग खुद का घर तक ठीक से नहीं चला पाते वो भी इतनी बड़ी आबादी को जो सरकार बखूबी चलाकर उपर उठाने की कोशिश कर रही है उनको गालियां देने से नहीं चूकते। सबको बहुत चिंता हो रही है देश की, सबको लगता है बहुत विकट स्थिति से गुज़र रहा है देश। पर ज़रा देश वालों के गिरहबान में झांक कर देखते है की हम सब देश को उपर उठाने में और आर्थिक स्थिति को सुधारने में अपना योगदान कितना देते है।

Read More »

चिड़ियाघरों से स्थानीय पक्षियों और जानवरों के संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर विज़न प्लान जारी

स्थानीय पक्षियों, वन्यजीवों की विलुप्तता वाली प्रजातियों के संरक्षण पर प्राथमिकता से ध्यान केंद्रित करना ज़रूरी – एड किशन भावनानी
भारत को वैश्विक रूप से सोने की चिड़िया का दर्ज़ा और रुतबा यूंही नहीं मिला था, उसके कई सकारात्मक कारण थे जिनमें प्राकृतिक खनिजों का अभूतपूर्व भंडार, जैविक विविधता की अपार शक्ति, दुर्लभ किस्म के स्थानीय पशु-पक्षियों सहित वन्यजीवी विविधता प्राणी, सकारात्मक आर्थिक संपन्नता, संस्कृति, आध्यात्मिकता, सभ्यता का अभूतपूर्व प्रचलन, नैतिकता, कुछल व्यापार, कार्यबल संपन्नता, इमानदारी सहित अनेक ऐसी खूबियां समाहित थी जो पूरे विश्व को आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी।…

Read More »

बोलो दुर्गा माई की “जय”

प्राचीन काल से ही भारत में शिव-शक्ति रूप की आराधना चली आ रही है। संक्षिप्त तौर पर समझा जाए तो शिव का अर्थ निर्गुण, सच्चिदानंद एवं निराकार ब्रह्म है तथा शक्ति का अर्थ उसी ब्रह्म की अभिव्यक्ति है। दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं। शाक्त सम्प्रदाय की मुख्य देवी दुर्गा हैं। दुर्गा तमस एवं अज्ञानता रूपी असुरों से रक्षा करने वाली और कल्याणकारी हैं। नवरात्रि या दुर्गोत्सव शक्ति पूजा का उत्सव है। शरदोत्सव या दुर्गोत्सव को मनाये जाने के लिए तिथियाँ हिन्दू पंचांग के अनुसार ही तय होती हैं एवं इस त्योहार से सम्बंधित पखवाड़े को देवी पक्ष के नाम से जाना जाता है। शारदीय नवरात्र कहें या दुर्गा पूजा, यह पर्व प्रत्येक वर्ष भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इनमें सबसे ज़्यादा आकर्षक एवं सुंदर प्रथा पश्चिम बंगाल के दुर्गा पूजा में दिखाई पड़ती है।

Read More »

“ऑनलाइन शॉपिंग सही या गलत”

आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का चलन बढ़ गया है, क्रेज़ कहे या पागलपन? एक तरफ़ लोग आर्थिक मंदी को लेकर हाय तौबा मचा रहे है और एक तरफ खरीदारी में लाईन लगी हुई है। उसमें भी ऑनलाइन शॉपिंग सहुलियत के हिसाब से नौकरी पेशा लोगों का काम बहुत आसान कर देती है। घर बैठे जो चीज़ चाहो मिल जाती है।
उपर से पसंद न आने पर वापस की जाती है, या चीज़ टूटी फूटी निकलने पर कैश बैक की सुविधा अलग से, तो कौन मार्केट तक जाने की तस्दी लेगा। पर ऑनलाइन शॉपिंग में सतर्कता बहुत जरूरी है। कई बार ब्रांडेड चीज़ के बदले नकली माल भी मिल जाता है, तो पूरी छानबीन के बाद ऑनलाइन शॉपिंग करनी चाहिए।

Read More »

बरकरार है डाक विभाग की प्रासंगिकता

1874 में बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की वर्षगांठ के रूप में प्रतिवर्ष 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है और इसी के साथ हर साल भारतीय डाक विभाग द्वारा ‘राष्ट्रीय डाक सप्ताह’ की शुरुआत होती है, जो 9 से 15 अक्तूबर तक मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों और व्यवसायों के रोजमर्रा के जीवन में डाक क्षेत्र की भूमिका और देशों के सामाजिक व आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

Read More »

शाकाहार क्यों?

कुछ लोग के मन में हमेशा एक द्वंद होता रहता हैं कि क्या खाया जाए, शाकाहार या मांसाहर इनका हल ये पढ़ने के बाद अपने आप समझ आ जायेगा। ग्लोबल शाकाहार दिन के उपलक्ष में ये तथ्य समझना जरूरी हैं।
मांसाहारी कभी कभी शाकाहारी लोगो को घासफूस खाने वाला कहते हैं, उसके विपरीत शाकाहारी लोग मांसाहारी लोगो को प्राणियों के प्रति क्रूर कहते हैं। लेकिन सब को अपने आहार का चयन करने का हक हैं लेकिन शाकाहार के फायदों को जानना भी आवश्यक हैं। दुनिया की 740 करोड़ की जनसंख्या में 50 करोड़ लोग ही पूरी तरह से शाकाहारी हैं ऐसा फ्रेंड्स ऑफ अर्थ संस्था का कहना हैं।संस्था के मुताबिक शाकाहारियों को अल्प संख्यक कह सकते हैं। इसी संस्था के मुताबिक 2014 में किए गए मीट एटलस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा शाकाहारी बसते हैं। भारत में 31% लोग शाकाहारी हैं। अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के नए रिसर्च के मुताबिक अगर शाकाहार को बढ़ावा मिले तो धरती को ज्यादा स्वस्थ, ज्यादा ठंडा और ज्यादा दौलतमंद बनाया जा सकता हैं।

Read More »

कच्चे तेल के आयात पर बढ़ती निर्भरता भविष्य की तीव्र विकास गति क्षमता को बाधित कर सकती हैं

एथेनॉल, बायोडीजल, कंप्रेस्ड बायोगैस जैसे घरेलू इंधन के विकास में उर्जा क्षेत्र में बदलाव लाने की क्षमता कर तीव्रता से दोहन ज़रूरी – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से गहराते जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से चिंतित विश्वके हर देश ने अपने – अपने देशों में इस संबंध में सकारात्मक कदम उठाते हुए अपनी नीतियों और योज़नाओं के माध्यम से उपायों पर कार्य करना शुरू कर दिया है, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा और पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव डालने वाले मानवीय सुविधाओं की आदत बन चुके संसाधनों का पर्यायवाची साधन जुटाने पर अनेक देश काम कर रहे हैं। जैसे पेट्रोल डीजल इत्यादि उत्सर्जन कार्बन के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है और उस देश की आर्थिक स्थिति व्यवस्था भी गड़बड़ा जाती है क्योंकि इसके लिए कच्चे तेल, गैस पर बाहरी देशों पर निर्भरता विकास की क्षमता को बाधित करती है।…

Read More »

चरित्र-निर्माण का आधार है संस्कार

विचार मानव चरित्र के प्रकाशक हैं, पर तब जबकि वे आचरण से घुल-मिल गए हों। मनुष्य का चरित्र विचार और आचार दोनों से मिलकर बनता है। संसार में बहुत से ऐसे लोग पाए जा सकते हैं जिनके विचार बड़े ही उदात्त, महान एवं आदर्षपूर्ण होते हैं। लेकिन उनकी क्रियाएं तदनुरुप नहीं होती। विचार पवित्र हों और कर्म अपावन तो यह सच्चरित्रता नहीं हुई। इसी प्रकार बहुत से लोग ऊपर से बड़े ही सत्यवादी, आदर्शवादी और धर्म कर्म वाले दिखते हैं, किंतु उनके भीतर कलुशपूर्ण विचारधारा बहती रहती है। इन्हें भी सच्चे चरित्रवाला नहीं माना जा सकता। सच्चा चरित्रवान वही माना जाएगा और वास्तव में वही होता भी है, जो विचार और आचार दोनों को समान रुप से उच्च और पुनीत रखकर चलता हो।

Read More »

“आधुनिकता का मापदंड नशा”

आज हर न्यूज़ चैनल पर चर्चा का विषय है शाहरुख खान का बेटा आर्यन खान, जो कथित रूप से ड्रग्स लेते पकड़ गया, और कहते है उसने कुबूल भी किया की वो ड्रग्स लेता है। ये सब देखकर हर किसीके मन में सवाल उठता होगा की, इतने बड़े बाप के बेटे को नशा करने की क्या जरूरत पड़ गई होगी? कौनसा गम भूलाने के लिए नशा करता होगा? नशा इंसान को क्या देता होगा? मजा, कुछ देर के लिए सारे गमों से निजात या व्यसन के तौर पर दिमाग की खुराक होगा नशा। या शायद आजकल आधुनिकता का मापदंड बन गया है नशा।

Read More »