Tuesday, April 22, 2025
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लेख/विचार

बदतर होते हालातों में श्रीलंका

चीन के कर्ज में फंसे श्रीलंका के हालात दिन प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं। पूरे देश में खाद्य सामग्री का संकट इतना गहरा हो गया है कि जनता के लिए अपना पेट भरना मुश्किल हो गया है। गौरतलब यह है कि चीन सहित अनेक देशों के कर्ज तले दबा श्रीलंका अब दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार काफी अधिक घट गया है। इस कमी के कारण देश में ज्यादातर सामानों सहित दवाइयां, पेट्रोल व डीजल आदि का विदेशों से आयात नहीं हो पा रहा है। इस कारण मंहगाई की मार से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। ताजा हालातों की बात करें तो एक ब्रेड का पैकेट 0.75 डॉलर यानि कि 150 रुपये में खरीदना पड़ रहा है। इसी तरह सब्जियों के दाम भी आसमान पर पहुंच गए हैं। श्रीलंका में इन दिनों एक किलोग्राम चीनी 290 रुपये, एक किलोग्राम चावल 500 रुपये, 400 ग्राम मिल्क पाउडर 790 रुपये, एक लीटर पेट्रोल 254 रुपये, एक लीटर डीजल 176 रुपये एवं रसोई गैस का सिलेन्डर 4149 रुपये में मिल रहा है।

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सुशासन या विकल्पहीनता ने दिलायी भाजपा को जीत

उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गोवा और मणिपुर की जनता ने एक बार फिर भाजपा को सत्ता सौंपी तो पंजाब में आप की झाड़ू ने कमाल कर दिखाया| अब बुद्धिजीवियों के बीच इस बात पर बहस शुरू हो गयी है कि चार राज्यों में भाजपा की सत्ता में वापसी तथा पंजाब में पराजय के प्रमुख कारण कौन-कौन से रहे| कुछ लोग चार राज्यों में भाजपा की वापसी का प्रमुख कारण उसके सुशासन को मानते हैं तो कुछ बुद्धिजीवी इसे विकल्पहीनता का परिणाम बता रहे हैं| क्योंकि महंगाई और बेरोजगारी जैसे ज्वलन्त मुद्दे भी भाजपा को सत्ता में वापसी से नहीं रोक पाये| खासतौर से उत्तर प्रदेश में|

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“द कश्मीर फ़ाइल्स एक सत्य कथा”

‘द कश्मीर फाइल्स’ एक ऐसी फ़िल्म है, एक ऐसी सत्य कथा है जिसे हर हिन्दुस्तानी को देखनी चाहिए। देश की बहुत सारी जनता इस जघन्य कृत्य से अन्जान है। इस फ़िल्म को देखने वाले दर्शकों को फ़िल्म का कथानक सदियों तक याद रहेगा। 19 जनवरी 1990 के दिन कश्‍मीर के इतिहास का सबसे काला अध्‍याय लिखा गया। अपने ही घर से कश्‍मीरी पंडितों को बेदखल कर दिया। सड़कों पर नारे लग रहे थे, ‘कश्‍मीर में अगर रहना है, अल्‍लाहू अकबर कहना है’। और अफ़सोस की बात ये है की उस वक्त की स्‍थानीय सरकार पंगु थी। द कश्मीर फ़ाइल्स इसी कथानक पर आधारित फ़िल्म है जिसमें अनुपम खेर की एक्टिंग की तारीफ़ में शब्द ही नहीं। 90 के दशक में कश्मीर में हुए कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के नरसंहार और पलायनवाद की कहानी को दर्शाया गया है। इस फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती जैसे धुरंधर कलाकार के साथ फिल्म में पल्लवी जोशी और दर्शन कुमार जैसे मंझे हुए कलाकारों ने एक छाप छोड़ी है।

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रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत

सोवियत संघ के समय मित्र रहे दो प्रान्त रूस और यूक्रेन के बीच जबर्दस्त जंग छिड़ी हुई है। जिसमें यूक्रेन को भारी क्षति उठानी पड़ रही हैद्य इस युद्ध का शिकार अब न केवल निर्दाेष और निहत्थे यूक्रेनी हो रहे हैं बल्कि वहाँ रहने वाले भारत सहित अन्य देशों के नागरिकों की भी जान जोखिम में पड़ी हुई है। रुसी हमले में एक भारतीय छात्र की हुई मृत्यु ने यूक्रेन में रह रहे अपने नागरिकों के प्रति भारत सरकार की चिन्ता बढ़ा दी है।
नवम्बर 2013 में यूक्रेन और रूस के बीच तनाव शुरू हुआ था। जिसका प्रमुख कारण रूस समर्थित यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध होना था। अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के जबर्दस्त विरोध के कारण फरवरी 2014 में यानुकोविच को देश छोड़कर भागना पड़ा था। यह बात रूस को नागवार गुजरी और उसने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया शहर पर कब्ज़ा करके वहाँ के अलगाववादियों को समर्थन देना प्रारम्भ कर दिया। इन अलगाववादियों ने बाद में पूर्वी यूक्रेन के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करने में कामयाबी हासिल की। इसके बाद अलगाववादियों तथा यूक्रेनी सेना के बीच लगातार संघर्ष चलता रहा। इससे पूर्व सन 1991 में सोवियत संघ से यूक्रेन के अलग होने के बाद क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में कई बार टकराव हुआ था। दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए 2014 के बाद पश्चिमी देश सक्रिय हुए और फ़्रांस तथा जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में रूस और यूक्रेन के बीच शान्ति एवं संघर्ष विराम का समझौता करवा दिया। अब नये विवाद की जड़ यूक्रेन का नाटो देशों से दोस्ती गांठना बताया जा रहा है। सन 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए ‘उत्तर अटलांटिक सन्धि संगठन’ अर्थात नाटो का गठन किया गया था। अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनियाँ के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। यदि कोई देश किसी अन्य देश पर हमला करता है तो नाटो के सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं। रूस प्रारम्भ से ही नाटो के विस्तार का विरोधी रहा है।

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युद्ध धर्म नहीं, शांति कामना धर्म है

आजकल देश और दुनिया में एक ही बात की चर्चा हो रही है कि क्या अब रूस दुनिया का नया शहंशाह बनने वाला है, क्या अब अमेरिका और यूरोप की बादशाहत खत्म होने वाली है? एक भविष्यवाणी के अनुसार पुतिन अब यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान बनने वाले हैं, और रूस दुनिया पर राज करेगा। पर किसीने सोचा है की इस बादशाहत उनको किस कीमत पर मिलेगी। कितने परिवारों को अनाथ करके, कितने लोगों को तबाह करके और कितने खून और आँसूओं की नदियाँ बहेगी तब युद्ध ख़त्म होगा, फिर कितने सारे मकबरों पर पुतिन अपनी बादशाहत का महल खड़ा करेंगे।
क्यूँ इतना वैमनस्य पालना है दो गज ज़मीं की जरूरत है आख़री अंजाम की ख़ातिर हर इंसान को, फिर क्यूँ अहंकार को अपना अस्तित्व समझकर पूरे देश को खतरे में ड़ालना है।
अंग्रेजी में कहावत है everything is fair in love and war अर्थात प्यार और युद्ध में सब जायज़ है। जायज़ तब होता जब राजा प्रजा के हितों को और देश की उन्नति को ध्यान में रखकर युद्ध का ब्यूगुल बजाता, युद्ध करने वाले न आगाज़ सोचते है न अंजाम। पर जब युद्ध का ऐलान होता है तब मानवता को नुकसान पहुंचता है। आम इंसान की हालत खस्ता होती है, देश दस साल पीछे चला जाता है और आर्थिक स्थिति डावाँडोल हो जाती है। युद्ध की परिस्थिति बड़ी विचलित करने वाली होती है, युद्ध में शहीद होने वाले सिपाहियों के परिवारों की आहें, सिसकियाँ, बम धमाके और गोला बारूद की गूँज से क्षत-विक्षत इंसान, वीभत्स द्रश्यों से मानसिक हालत अवसाद ग्रस्त हो जाती है। दूसरे देशों से काम या पढ़ाई के सिलसिले में आए लोगों की मनोदशा असहनीय होती है। जब युद्ध होते है तब युद्ध में अस्त्रों शस्त्रों के प्रयोग से मानवता नष्ट होकर प्रलय की स्थिति तक आ सकती है। दुनिया के बड़े देशों के पास ऐसे अस्त्रों का भण्डार पड़ा है, जिसका उपयोग हुआ तो तबाही के ऐसे मंज़र दिखेंगे की कभी किसीने सोचा नहीं होगा। अच्छा है इस मामले में सब एक-दूसरे से डरते हैं। उनके बीच समझौता ही संसार को बचा सकता है।

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गुनहगार कौन???

याद आ रही हैं वो कहानी जो छुटपन में मां सुनाया करती थी। एक चोर था ,पूरे राज्य में चोरी करके आतंक मचाया हुआ था।गरीब हो या अमीर सब की संपतियों पर उसके नजर रहती थी और मौका मिलते ही हाथ साफ कर लेते उसे देर नहीं लगती थी। एक सिफत की बात थी कि पकड़ा नहीं जाता था। पहले तो सिपाहियों ने बहुत कोशिश की किंतु उसे पकड़ने में सफल नहीं हो पाए। दिन-ब-दिन उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी। और अब राजा को भी लगा कि उसे पकड़ना बहुत जरूरी था वरना राजमहल भी सलामत नहीं होगा।और अब सिपाही की जगह सिपासलार को ये काम सुपुर्द हो गया। बहुत सारे लोग घात लगा जगह जगह बैठ कर उसकी प्रतीक्षा करते रह जाते और शहर दूसरे हिस्से में घरफोड चोरी हो जाती थी। अब सभी मंत्रियों ने मिल राजा से सलाह मशवरा करके एक जल बिछाया जिसमे प्रजा को भी शामिल किया गया और पूरे शहर में सब जगह जगह छुप कर बैठ गए। कोई पेड़ पर बैठा तो कोई किसके घर की छत या दीवार पर बैठा ऐसे सब फेल गए और सोचा कि अब जायेगा कहां। लेकिन रानी भवन में चोरी हो गई ,रानी के सारे गहने गायब थे और पूरे राज्य में कोहराम मच गया। प्रजा ने भी बोलना शुरू कर दिया कि राजभवन ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम नागरिकों का क्या? और अफरातफरी का माहोल बन गया । अब राजा ने खुद भेस बदलकर रात्रि भ्रमण कर जगह जगह जा हालातों का जायजा लिया और एक बहुरूपिए के बारे में पता चला,अब बहुरूपिए के पर नजर रखी गई और उसका असली रूप सामने आया।अब पहचान तो हो ही गई थी उसकी अब पकड़ने भी देर नहीं लगी। हथकड़ी लगा कर उसे कारागार में डाल दिया गया।राजा तो नाराज था ही,और प्रजा से जनमत लिया गया।

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कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने बजट 2022 के प्रभावोत्पादक प्रस्तावों को 1 अप्रैल से लागू 

कृषि क्षेत्र को आधुनिक, डिजिटल और स्मार्ट कृषि बनाने बजट 2022 में सुझाए गए सात रास्ते सराहनीय कदम- एड किशन भावनानी

गोंदिया। भारत में कृषि क्षेत्र में पुराने साधनों, संसाधनों, लकड़ी का हल, बैल द्वारा जुताई, खार रोपाई, धान कटाई, भराई इत्यादि अनेक प्रक्रियाएं आदिकाल से ही पौराणिक प्रथाओं के रूप में होती थी। परंतु बड़े बुजुर्गों का कहना है कि समय का चक्र घूमते रहता है और पलों का घेरा, सुख-दुख, पुराना नया, ऊंचा नीचा सभी को घेरे में लेते हुए चलता है!!! ठीक उसी प्रकार यह चक्र आज कृषि क्षेत्र में भी पुरानी आदिलोक से चली आ रही कृषि प्रक्रियाओ को बदलकर आज के नए भारत डिजिटल भारत में स्मार्ट कृषि, डिजिटल कृषि के रूप में लाकर खड़ा कर दिया है!!!

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डिजिटल प्रौद्योगिकियों के विकास ने हमें अपनी भाषाओं और संस्कृति विरासत को संरक्षण और विकास के नए अवसर प्रदान किए

भारत सॉफ्टवेयर की एक महाशक्ति के रूप में जाना जाता है। अगर हम वैश्विक विकसित देशों की सॉफ्टवेयर कंपनियों के कर्मचारियों पर अनुमान लगाएं तो मेरा मानना है कि हमें कई भारतीय मूल के डेवलपर, प्रोग्रामर सॉफ्टवेयर, विशेषज्ञ मिलेंगे जो बड़े-बड़े पैकेजों से अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। परंतु अगर हम कृषि और गांव प्रधान देश में जीरो ग्राउंड पर जाकर विश्लेषण करेंगे तो अभी भी डिजिटल विकास का जनसैलाब हमारे ग्रामीण व कृषि भाइयों तक अपेक्षाकृत कम पहुंचा है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें भरपूर प्रयत्न कर रहे हैं कि कृषि और ग्रामीण इलाकों में डिजिटलाइजेशन की क्रांति तेजी से पहुंचे हालांकि अनेक शासकीय कार्य आसानी से शीघ्र हो सके तथा उनको मिलने वाली सहायता राशि, पैकेज, उनके मेहनत और कृषि वस्तुओं का पैसा, उनके अकाउंट में सीधे ट्रांसफर हो सके ताकि बिचौलिए, रिश्वतखोरी और अवैध वसूली करने वालों का आंकड़ा जीरो हो जाए और ग्रामीण किसानों के जीवन समृद्धि में वृद्धि हो सके।
साथियों बात अगर हम विभिन्न डिजिटल प्रौद्योगिकियों से हमारे जीवन, जीवनस्तर, हमारी विरासत के संरक्षण, विकास के अवसर की करें तो हमारी डिजिटल प्रौद्योगिकी ने हमारी जीवनशैली ही बदल कर रख दी है। अधिकतम सकारात्मक दिशा में तो कुछ हद तक नकारात्मक दिशा में भी हुई है जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह हर आयाम के भी कुछ नकारात्मक पहलू होते हैं। पर हमें कोशिश करके नकारात्मक पहलू छोड़कर सकारात्मकता की ओर बढ़ कर डिजिटल प्रौद्योगिकी के विभिन्न सुविधाओं का लाभ उठाने की ज़रूरत है।
साथियों बात अगर हम अपनी भाषा और संस्कृति विरासत हजारों वर्ष पूर्व इतिहास के उन संदर्भित पन्नों की बात करें तो उन्हें संजोकर रखने का महत्वपूर्ण और काम इस डिजिटल प्रौद्योगिकी की तकनीकी के कारण हो सकता है। आज हजारों लाखों पृष्ठों की हमारी विरासत, संस्कृति, भाषाओं नीतियों का संरक्षण हम डिजिटल प्रौद्योगिकी की विभिन्न तकनीकों से करने में सफल हुए हैं। नहीं तो आगे चलकर हमारी अगली पीढ़ियों तक यह स्वर्ण पन्नों की लिखित विरासत पहुंचती या नहीं इसका जवाब समय के गर्भ में छिपा था। परंतु अभी हम डिजिटल प्रौद्योगिकी के ऐप के भरोसे कह सकते हैं कि यह विरासत मानव प्रजाति होने तक सुरक्षित रहेगी, यह उसका सकारात्मक उपयोग और संरक्षण योग्य और सुरक्षित हाथों में रहने पर निर्भर है।

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लड़कियों को तंदुरुस्त बनाईये

माँ जो जगदाधार है, माँ जो परिवार की नींव है उसे खुद को स्वस्थ और तंदुरुस्त रहने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्त्री को ममता की मूरत माना जाता है, माँ बनना हर औरत का सपना होता है। लड़की की शादी के बाद कुछ ही समय में परिवार और रिश्तेदार वाले पूछते रहते है, खुश ख़बर कब सुना रही हो? लेकिन आजकल देखा जा रहा है की कई महिलाएं मां नहीं बन पा रही है। या तो गर्भ ठहरता भी है तो दो ढ़ाई महीने बाद बच्चे का विकास अटक जाता है, और अबोर्शन करके अविकसित गर्भ निकलवाना पड़ता है। हर माता-पिता का फ़र्ज़ है की अपनी बच्ची को बचपन से ही हैल्दी खानपान से तंदुरुस्त बनाईये, क्यूँकि बेटी को अपने अंदर एक जीव को पालना है, जिसके लिए उसका खुद का शरीर स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। आजकल हर पाँचवी लड़की को माँ बनने में कोई न कोई दिक्कत आती है। महिलाओं के मां न बन पाने के कई कारण हो सकते है। जिसमें काफ़ी हद तक उनकी लाइफस्टाइल ज़िम्मेदार होती है। खासकर खान-पान बाहर का खाना जिसमें प्रिज़र्वेटिव और फूड़ कलर की मात्रा अधिक होती है। मैदे से बने जंक फूड का अधिक सेवन, ओवर ईटिंग, मोटापा, ज़रूरत से ज़्यादा डायटिंग, अचानक वज़न बढ़ना या बहुत ज़्यादा वज़न घटना, एक्सरसाइज़ बिल्कुल न करना या ज़रूरत से ज्यादा एक्सरसाइज़ करना भी मां बनने में बाधक होता है। चरबी युक्त खाना खाकर जब मोटापा बढ़ जाता है, तो क्रैश डायटिंग करना शुरू कर देती है। इन सबके चलते शरीर में इतनी तेज़ी से हार्माेनल बदलाव होता है कि शरीर का हार्माेनल बैलेंस ही बिगड़ जाता है, जो माँ नहीं बन पाने का कारण बन जाता है।
आजकल लड़कियों में बहुत कम उम्र में ही पीसीओएस की समस्या भी देखी जा रही है। इसका कारण उनका ग़लत खानपान और स्ट्रेस है। पीसीओएस/पीसीओडी के कारण महिलाओं में ओवेल्यूशन नहीं होता, महिलाओं के शरीर में सामान्य की तुलना में बहुत अधिक हार्माेन्स बनते है। हार्माेन में इस असंतुलन की वजह से पीरियड्स नियमित नहीं रहते है ,आगे चलकर इससे प्रेग्नेंसी में समस्या आ जाती है।

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दुनिया के बेहतरीन फाइटर जेट्स में से एक है ‘तेजस’

पिछले दिनों सिंगापुर में आयोजित सिंगापुर एयर शो के दौरान स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान एलसीए तेजस ने लो-लेवल एयरोबैटिक्स डिस्प्ले में हिस्सा लेकर सिंगापुर के आसमान में गर्जना करते हुए अपनी कलाबाजियों से न सिर्फ तमाम लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया बल्कि अपने पराक्रम और मारक क्षमता की पूरी दुनिया के समक्ष अद्भुत मिसाल भी पेश की। सिंगापुर के आसमान में कलाबाजियां करते तेजस की तस्वीरें भारतीय वायुसेना द्वारा ‘लाइक ए डायमंड इन द स्काई’ लिखकर ट्वीट की गई। गौरतलब है कि सिंगापुर एयरशो हर दो साल में एक बार आयोजित होता है, जिसमें दुनियाभर के फाइटर जेट्स हिस्सा लेते हैं। यह एयर शो एविएशन इंडस्ट्री के लिए पूरी दुनिया को अपने एयरक्राफ्ट दिखाने का बेहतरीन अवसर होता है और विश्वभर की विमानन कम्पनियां इसके जरिये अपने उत्पादों की मार्केटिंग करती हैं। एयर शो में भारत द्वारा भी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित स्वदेशी ‘तेजस’ की मार्केटिंग पर जोर दिया गया। इस एयर शो में भारतीय वायुसेना के तेजस के अलावा यूनाइटेड स्टेट्स एयरफोर्स, यूनाइटेड स्टेट्स मरीन कॉर्प्स, इंडोनेशियाई वायुसेना की जुपिटर एयरोबैटिक टीम, रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर एयरफोर्स इत्यादि की विशेष भागीदारी रही। सिंगापुर एयरशो 2022 में शामिल होने के लिए वायुसेना का 44 सदस्यों का एक दल 12 फरवरी को ही स्वदेशी फाइटर जेट, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, एलसीए तेजस मार्क-वन के साथ सिंगापुर पहुंच गया था। एयरोबैटिक्स में हिस्सा लेकर एलसीए तेजस ने अपनी संचालन से जुड़ी विशेषताओं तथा गतिशीलता को प्रदर्शित किया और पूरी दुनिया को दिखाया कि आखिर तेजस कितना ताकतवर लड़ाकू विमान है। सिंगापुर एयर शो से पहले भारतीय वायुसेना 2021 में दुबई एयर शो और 2019 में मलेशिया में लिमा एयर शो में भी हिस्सा ले चुकी है।

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