Thursday, May 16, 2024
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विविधा

वेदना वृक्ष की…

(आज जब साँस लेने के लाले पड़ रहे हैं तब हमें पता लग रहा है कि, जो असली ऑक्सीजन का स्रोत हैं, वह हमारे वृक्ष ध्वनस्पति हैं। जो अनीति मनुष्य ने की है, परिणाम भी भुगतना तो पड़ेगा। क्या कहता है वृक्ष?)
रचयिता- डाॅ. कमलेश जैन ‘वसंत’, तिजारा
मैं वृक्ष हूँ ‘मनु’ मित्र तेरा, चाहता रहना चिरायु..
रे, मनुज अब भी सम्हल.. मैं हूं तेरी प्राणवायु..
प्रथम युग में कल्पतरु, इस भूमि का दाता बड़ा था..
अहर्निश सब कुछ लुटा, परमार्थ में अर्पित खड़ा था..
मैं ही तेरी औषधि,जीवन मेरा निःस्वार्थ है रे..
छाल-पल्लव, फूल-फल, कण-कण मेरा परमार्थ है रे..
मुझको अपनाकर रहे, आनंदमय ऋषि-मुनि शतायु..
रे, मनुज अब भी सम्हल..मैं हूँ तेरी प्राणवायु..
प्रकृति के सौंदर्य का, मैं ही प्रबल कारण रहा हूँ..
सब रहें नीरोग सुंदर, मैं नियति का प्रण रहा हूँ…
सृष्टिरूपी मल्लिका का, जो सुखद उपहार हूँ मैं..
पशु-पक्षियों का आसरा, वसुधैव का श्रृंगार हूँ मैं..

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शिवम सुरेश नांदवाल के लिए दुनिया उसका कैनवास है

हिसार की रहने वाली लेखिका और रेडियो एंकर उनकी माँ बिदामो देवी ने अभिभावकों से आह्वान किया कि वे अपने बच्चों में रचनात्मकता को सही माहौल प्रदान करके और उनके जुनून में शामिल होने की अनुमति दें। “हर छोटे से प्रोत्साहन से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है। हमें अपने बच्चों के लिए घर में सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए। शिवम के चित्रों से मुझे उम्मीद है कि समय बेहतर होगा, ”उन्होंने कहा।
कई छात्रों की तरह लार्ड शिवा हाई स्कूल, लुदास, हिसार के एक छात्र शिवम सुरेश नांदवाल (12) को भी अपने मित्रों और स्कूल से अलग होना पड़ा जब स्कूल लगातार दूसरी बार नहीं खुले। वह उन अनगिनत बच्चों में से एक है जिन्हें स्कूल जाने वाले छात्रों के साथ-साथ परस्पर मित्रता एवं विश्‍वास की भावना पर भी हारना पड़ा है। लेकिन उन्होंने एक अंतर बनाने के लिए चुना और लॉकडाउन की गिनती को चैलेंज कर दिया।

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‘’तितली वाले पर’’

आ जाओ एक बार मकां को ख़ुशबू वाले घर कर दो
रंग बिरंगे चटख गुलाबी तितली वाले पर कर दो.
उमड़ रहा है रंग बसंती, निखरी सपनों की गलियाँ.
डाली डाली लदी सलोनी, आम्र सुवासित मंजरियाँ.
गालों पर पुलकित रंगों ने फिर से प्यास बढाई है.
भीनी भीनी गन्ध हवा ने कलियों तक फैलाई है.
आशा उत्सव कोई मनाए आकर तुम सच गर कर दो.
रंग बिरंगे चटख गुलाबी तितली वाले पर कर दो.
हर हर बह फागुन बयार फूलों की देह झिंझोड़ गयी.

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इतिहास की दास्तानों को बयां करता ‘इंडिया फर्स्ट’

इंडिया फर्स्ट के 100 एपिसोड्स का प्रसारण आस्था चैनल पर हो चुका है और इंडिया फर्स्ट की लोकप्रियता को देखते हुए इसका प्रसारण दूसरे चैनल आस्था भजन पर भी शुरू कर दिया गया है।
बताते चलें कि अजय सूद द्वारा निर्देशित इस सीरियल में आजादी की लड़ाई में स्वाधीनता के महानायक नेता जी सुभाष चंद्र बोस एवं आजाद हिन्द फौज के योगदान को बहुत ही बारीकी से बताया गया है।
वहीं 100वें एपिसोड में मेजर जनरल जी. डी. बक्शी ने बताया कि किस तरह आजाद हिन्द फौज और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी तब कहीं देश आजाद हुआ। ऐसे ही नहीं देश आजाद हुआ है। उन्होंने बताया कि आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों के साथ तब तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने जो बर्ताव किया था उसके बारे में भी धारावाहिक में जानकारी दी गई है।

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‘बीटिंग द रिट्रीट’

एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और भारत में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था।
26 जनवरी 1950 को हमें भारत का संविधान और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के रूप में भारत के प्रथम राष्ट्रपति मिले थे। प्रथम गणतंत्र दिवस मनाते हुए प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इरविन स्टेडयिम में भारतीय तिरंगा फहराया था। तब से ही भारत का राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस समारोह के जश्न की शुरुआत परेड से होती है। वहीं “बीटिंग द रिट्रीट” समारोह को गणतंत्र दिवस के जश्न के समापन के रूप में मनाया जाता है। “बीटिंग द रिट्रीट” को राष्ट्रीय गर्व के रूप में आयोजित किया जाता है।

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72वें गणतंत्र दिवस पर विशेष गणतंत्र दिवस ‘26 जनवरी’ को ही क्यों?

देश की स्वतंत्रता के इतिहास में 26 जनवरी का स्थान कितना महत्वपूर्ण रहा, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में 26 जनवरी को ही सदैव स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था लेकिन 15 अगस्त 1947 को देश के स्वतंत्र होने के बाद 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाए जाने के बजाय इसका इतिहास भारतीय संविधान से जुड़ गया और यह भारतवर्ष का एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व बन गया।
26 जनवरी 1950 को भारत के नए संविधान की स्थापना के बाद प्रतिवर्ष इसी तिथि को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाए जाने की परम्परा आरंभ हुई क्योंकि देश की आजादी के बाद सही मायनों में इसी दिन से भारत प्रभुत्व सम्पन्न प्रजातंत्रात्मक गणराज्य बना था। भारत का संविधान 26 जनवरी 1949 को अंगीकृत किया गया था और कुछ उपबंध तुरंत प्रभाव से लागू कर दिए गए थे लेकिन संविधान का मुख्य भाग 26 जनवरी 1950 को ही लागू किया गया, इसीलिए इस तारीख को संविधान के ‘प्रारंभ की तारीख’ भी कहा जाता है और यही वजह थी कि 26 जनवरी को ही ‘गणतंत्र दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा।

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किसी व्यक्ति या राजनैतिक बाहुबली के पास सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण का अधिकार नहीं – हाईकोर्ट

धार्मिक या राजनैतिक मकसद के अनाधिकृत निर्माण को ध्वस्त करें – हाईकोर्ट
पूरे भारत में सार्वजनिक भूमि पर अनाधिकृत निर्माण व अतिक्रमण हटें तो भारत फिर सोने की चिड़िया – एड किशन भावनानी
आज भारत में हम कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर कस्बे, शहर, मेट्रोसिटी, में देखें तो हमें ऐसे अनेक मामले दिखेंगे कि सार्वजनिक भूमि पर तथाकथित कुछ लोग लोगों का अनाधिकृत अतिक्रमण कर निर्माण कार्य है। और हम सब यह जानते हैं कि इस प्रकार के कार्य किसकी शह पर होते हैं और फिर, मामला जनता तक, फिर जनता से अदालतों की दहलीज तक, पहुंच जाता है। पर सवाल आता है कि इस प्रकार के कार्य होते क्यों हैं’? जबकि इस संबंध में नियम व कानून सब बने हैं फिर भी यह सब होता है। अतः इस पर हम सबको चिंतन करना होगा, और स्वयं इस मुद्दे पर विचार कर निर्णय लेना होगा, तो अदालतों की दहलीज पर जाने की जरूरत ही नहीं होगी।

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कंटेनमेंट जोन के बाहर आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से खोलने का SC ने दिया आदेश

महामारी के प्रभाव को रोकने कार्यपालिका, न्यायपालिका व कोरोना वॉरियर्स का महत्वपूर्ण योगदान:भावनानी

गोंदिया, महाराष्ट्र| वैश्विक महामारी कोविड.19 को नियंत्रण में लाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास जारी हैं। भारत में दो वैक्सीन आ गई है। 16 जनवरी 2021 से पूरे देश में प्रथम चरण में 3 लाख कोरोना वॉरियर्स को वैक्सीन लगाने का लगाने काम शुरू हो चुका है। पहले दिन ही करीब 2 लाख के क़रीब लोगों को वैक्सीन सफलतापूर्वक लगाया गया है। जो कि पहले चरण का कार्य अभी जारी है। परंतु फिर भी अत्यंत सावधानी बरतने व सुरक्षात्मक प्रक्रिया को जारी रखना जरूरी है। खास करके छोटे बच्चों के लिए क्योंकि उनको वैक्सीन लगाने की फिलहाल कोई जानकारी या प्रक्रिया की घोषणा नहीं हुई है। अतः केंद्र, राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में कार्यनीति बनाना, तथा बच्चों को सुरक्षा, खाद्यपान इत्यादि उपलब्ध कराना उनतक पहुंचाना अनिवार्य है। जिनका उल्लेख राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षाअधिनियम 2013 में भी किया गया है। खासकर वर्तमान स्थिति में तो बहुत ही जरूरी हो गया है। इसी विषय से संबंधित माननीय सुप्रीम कोर्ट में बुधवार दिनांक 13 जनवरी 2021 को माननीय 3 सदस्यों की एक बेंच जिसमें माननीय न्यायमूर्ति अशोक भूषण, माननीय न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी व माननीय न्यायमूर्ति एम आर शाह की बेंच के सम्मुख रिट पिटिशन क्रमांक सिविल 1039/ 2020 याचिकाकर्ता बनाम भारत सरकार व अन्य के रूप में आया। माननीय बेंच ने अपने 31 पृष्ठोंऔर 35 पॉइंटों में अपने आदेश में कहा भारत सरकार के मंत्रालय महिला व बाल कल्याण विभाग द्वारा बुधवार दिनांक 11 नवंबर 2020 को जारी गाइड्स नोट के अनुसार सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में जहां पर अभी आंगनवाड़ी शुरू नहीं की है।

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चमत्कारी या अलौकिक शक्तियों का दावा करने वाले आइटम की बिक्री पर रोक – हाईकोर्ट

केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा कुप्रथाओं के खिलाफ जन जागरण अभियान चलाए जाने की जरूरत- एड किशन भावनानी
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनेक चैनलों पर एक लंबे अरसे से हम देख रहे हैं कि रात करीब क़रीब 12:00 बजे से एक टीवी प्रोग्राम वार्ता के रूप में दिखाया जाता है, जिसमें दवाइयां, कोई अलौकिक चमत्कारी तावीज,कोई भगवान का स्वरूप, या इस प्रकार की अनेक वस्तुओं का जो उनके द्वारा निर्मित होती है, प्रचार प्रसार करके उनका बखान सुनाते हैं और जनता या दर्शकों को वह चमत्कारी व तथाकथित शक्तियों से भरपूर वस्तुएं खरीदने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हालांकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों द्वारा कार्यक्रम शुरू होने के पहले ही, एक डिस्क्लेमर दिखा दिया जाता है।फिर भी अनेक दर्शक इनकी बातों में विश्वास कर उपरोक्त, तथाकथित अलौकिक शक्तियों से भरपूर वस्तुएं ले लेते हैं हालांकि इस प्रकार के कार्यक्रमों और विज्ञापन पर कानूनी दांवपेच जो अपने अपने कानूनी सलाहकारों के सहयोग से कानूनी धाराओं में नहीं आने की गुंजाइश को मजबूत करके रखते हैं, और इस तरह की वाणी का उपयोग करते हैं कि काम भी बने और आंच भी ना आए इत्यादि अनेक बड़े बुजुर्गों की कहावतों में इस प्रकार की व्यवस्था फिट बैठती है।…

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गुणवत्ता एवं पारदर्शिता के साथ निर्मित हो रही हैं PWD की सड़कें

उत्तर प्रदेश सरकार आवागमन हेतु गांव से लेकर हाईवे तक का निर्माण कराते हुए यातायात की अच्छी सुविधा दे रही है। सरकार 250 की जनसंख्या वाले सभी ग्रामों के मुख्य मार्गों से जोड़ रही है, वहीं ब्लाक व तहसील मुख्यालयों की सड़कों को 2 लेन व चैड़ीकरण कर बड़ी सड़क बना रही है। प्रदेश सरकार का लोक निर्माण विभाग अब तक प्रदेश के 4684 राजस्व ग्रामों बसावटों में 11941 किमी0 सड़कों का निर्माण किया है। उसी तरह प्रदेश के 113 विकास खण्डों व 26 तहसीलों में 1217 किमी0 सड़क को 2 लेन/चौड़ीकरण करते हुए किसानों, आम जनता को आवागमन की अच्छी सुविधा प्रदान की जा रही है।

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