नई दिल्लीः राजीव रंजन नाग। राजधानी के विज्ञान भवन में आयोजित 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में फिल्म दिग्गज वहीदा रहमान को प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा भारत का सर्वाेच्च फिल्म सम्मान सौंपे जाने पर प्यासा अभिनेता की आंखों में आंसू थे। इस मौके पर उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन मिला, जिसे देखकर वह थोड़ी भावुक हुई। सिनेमा के क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार उन्हें 2021 वर्ष के लिए दिया गया। सिनेमा के क्षेत्र में दिया जाने वाला यह सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है। पिछली बार जब 2020 के लिए आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार देने की घोषणा की गयी थी, तब कई फ़िल्म प्रशंसकों ने यह सवाल उठाया था कि वहीदा रहमान के रहते हुए आशा पारेख को पुरस्कार दिया जाना सही नहीं है। इसलिए इस बार वहीदा रहमान को पुरस्कार देने की घोषणा का हिंदी फ़िल्म के दर्शकों द्वारा स्वागत किया जाना लाजमी है। पुरस्कार प्राप्त करने पर, अभिनेत्री ने अपनी फिल्म यात्रा में उत्प्रेरक की भूमिका निभाने के लिए बॉलीवुड उद्योग को धन्यवाद दिया। अपने धन्यवाद भाषण में, अभिनेत्री ने कहा, मैं सम्मानित और बहुत विनम्र महसूस करती हूं। लेकिन आज मैं जहां खड़ी हूं, यह सब उस प्यारी इंडस्ट्री की वजह से है जिसका मैं हिस्सा रही हूं। सौभाग्य से, मुझे शीर्ष निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला। निर्माता, फिल्म निर्माता, तकनीशियन और संगीत निर्देशक, जिन्होंने मेरा समर्थन किया और मुझे बहुत प्यार और सम्मान दिया।
वहीदा रहमान ने आगे कहा, अंत में मेकअप कलाकार, बाल और पोशाक डिजाइनर भी विशेष उल्लेख के पात्र हैं। इसलिए मैं इस पुरस्कार को फिल्म उद्योग के सभी विभागों के साथ साझा करना चाहती हूं। एक व्यक्ति पूरी फिल्म नहीं बना सकता, यह एक सामूहिक प्रयास है। अभिनेत्री, जो स्पष्ट रूप से भावुक थी, ने एक सुंदर क्रीम साड़ी पहने हुए पुरस्कार प्राप्त किया और वह सबसे खूबसूरत लग रही थी। अभिनेत्री वहीदा रहमान को गाइड, प्यासा, कागज के फूल और चौदहवीं का चांद जैसी फिल्मों में उनकी दमदार एक्टिंग के लिए जाना जाता है। वहीदा रहमान के अलावा फिल्म इंडस्ट्री की आलिया भट्ट, कृति सेनन और अल्लू अर्जुन को भी बेस्ट एक्ट्रेस और एक्टर कैटेगरी में अवॉर्ड मिला। पुरस्कार लेते समय आलिया भट्ट, कृति सेनन और अल्लू अर्जुन क्रीम रंग के कपड़े पहने हुए थे। आलिया, जो अपने पति रणबीर कपूर के साथ थीं, को अपनी शानदार शादी की साड़ी पहने हुए पुरस्कार प्राप्त करते देखा गया। वहीदा रहमान को 1972 में पद्म श्री और 2011 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1971 में रेशमा और शेरा के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। गाइड अभिनेत्री ने 1966 में गाइड के लिए और 1968 में नील कमल के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। वह वर्ष की भारतीय फिल्म व्यक्तित्व के लिए शताब्दी पुरस्कार की पहली प्राप्तकर्ता भी थीं। दादा साहब फाल्के पुरस्कार की पिछली विजेता आशा पारेख थीं जिनके साथ वहीदा रहमान की गहरी दोस्ती है। पिछले दस-पंद्रह सालों में ऐसे कई अभिनेताओं को पुरस्कृत किया गया है जिनकी मुख्य पहचान ही व्यवसायिक सिनेमा में काम करना रहा है। वहीदा रहमान एक बड़ा नाम है और अभिनय के क्षेत्र में उनका योगदान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किये जाने के सर्वथा उपयुक्त है। वहीदा रहमान का कद इस पुरस्कार से कहीं बड़ा है और उन्हें पुरस्कार दिये जाने की घोषणा से यह पुरस्कार पिछले कुछ सालों में जो अपनी प्रतिष्ठा खोता जा रहा था, उसे दोबारा प्राप्त करने की कोशिश के रूप में भी देखा जा सकता है।
दादा साहेब फाल्के (1870-1944) जिन्हें भारतीय सिनेमा का जनक कहा जाता है और जिन्होंने 1913 में ‘राजा हरिश्चंद्र’ फ़िल्म बनायी थी जो भारत की पहली मूक फ़ीचर फ़िल्म थी। यहीं से भारत में सिनेमा का इतिहास शुरू होता है। उनके शताब्दी वर्ष (1969-70) में भारत सरकार प्रतिवर्ष ऐसे किसी व्यक्ति को पुरस्कृत और सम्मानित किया जाता है। यह पुरस्कार वैसे कलाकारों को प्रदान किया जाता है जिसने भारतीय सिनेमा की संवृद्धि और विकास में अप्रतिम योगदान दिया हो।
पहला दादा साहेब पुरस्कार 1969 में देविका रानी को दिया गया जिन्होंने न केवल एक अभिनेत्री के तौर पर बल्कि अपने पति हिमांशु राय के साथ बांबे टॉकीज की स्थापना द्वारा भी उन्होंने सिनेमा के आरंभिक दशकों में महत्त्वपूर्ण फ़िल्मों का निर्माण कर भारतीय सिनेमा में अपूर्व योगदान दिया था। अब तक 52 फ़िल्मकारों और कलाकारों को दादा साहब फाल्के एवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इस पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले फ़िल्मकारों और कलाकारों को स्वर्ण कमल पदक और दस लाख रुपये पुरस्कार राशि के रूप में प्राप्त होते हैं। वहीदा रहमान को दिया जाने वाला पुरस्कार 53वां है।