Friday, November 1, 2024
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आम जन अप्रशिक्षित चिकित्सकों से क्यों कराते हैं इलाज, सस्ते इलाज या अन्य कारण से ?

कानपुर। नगर के घनी बस्ती वाले क्षेत्रों में अप्रशिक्षित चिकित्सकों की भरमार है। अक्सर मीडिया व सोशल मीडिया की सुर्खियों में इन अप्रशिक्षित चिकित्सकों के कारनामे चर्चा का सबब बनते रहते हैं। हालांकि भारत के सर्वाेच्च न्यायालय व इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐसे अप्रशिक्षित चिकित्सकों की चिकित्सीय प्रेक्टिस पर दिशानिर्देश पहले ही जारी कर रखें हैं। सरकार द्वारा नगर में उर्सला, डफरिन, कांशीराम, हैलट, डफरिन ह्रदय रोग संस्थान जे.के. कैंसर मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल सहित अनेकों सीएचसी पीएचसी आदि में योग्य व अनुभवी चिकित्सकों की टीम के साथ फ्री दवाओं की उपलब्धता के बाद भी आम जन इन अप्रशिक्षित चिकत्सकों के पास कैसे और किन परिस्थितियों में जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार द्वारा स्वास्थ्य सम्बन्धी इंतजाम क्या पर्याप्त नहीं साबित हो रहें हैं या कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सक मरीजों को बाहर की महंगी जांच और महंगी दवाएं लिख रहें हैं। जिसके कारण आर्थिक रूप से कमज़ोर मरीजों का ऐसे अस्पतालों से मोह भंग हो गया हो और वे बड़ी संख्या में नगर व ग्रामीण क्षेत्रों के अप्रशिक्षित चिकित्सकों की ओर रुख कर रहें हों।
जानकारों का मानना है कि खांसी जुकाम जैसी छोटी मोटी बीमारी में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाला बड़ा वर्ग ऐसा है जो इंटरनेट द्वारा अपनी बीमारी संबंधी लक्षण के मिलान के बाद संतुष्ट होकर मेडिकल स्टोर से दवा लेकर स्वयं अपना इलाज कर लेते हैं। वहीं नगर के अधिकतर मेडिकल स्टोर ऐसे हैं जो चिकित्सकों के छोटी बीमारियों से लेकर गंभीर बीमारियों तक के मरीजों को बिना चिकित्सकों के प्रिस्क्रिप्शन के दवाएं दें रहें हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति कितने जागरूक हैं?
यदि समाज के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमने अपने सामाजिक कर्तव्य और दायित्वों का प्रयोग करते हुए स्वयं के विवेक से सोचें कि जब सरकार ने आम जन के लिए पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं तो उनका उपयोग हम न कर मेडिकल स्टोर इंटरनेट पर सर्च कर या अप्रशिक्षित चिकत्सक से इलाज कराने के लिए तो हम स्वयं उत्तदायी हैं। यदि किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं की गलती के बाद दवा खाने के उपरांत कोई अनहोनी घटना घटित हो जाती है तो जिम्मेदारी का सारा ठीकरा स्वास्थ्य विभाग व अन्य संबंधित विभागीय जिम्मेदारों के सर फोड़ा जाता है। जो कभी भी न्यायोचित नहीं है। हमे सदैव अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए। बीमार पड़ने पर सरकार द्वारा उपलब्ध योग्य चिकत्सक से प्रमार्श कर अपना इलाज करना चाहिए। जीवन अमूल्य है इसे अपनी छोटी सी नासमझी से व्यर्थ में बर्बाद न करें। – J.A. Khan.