Thursday, May 2, 2024
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राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने गुरमति साहित्य में उ.प्र के प्रमुख संत कवियों के योगदान पर डाला प्रकाश

फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। महात्मा गांधी बालिका पीजी कॉलेज के हिंदी विभाग एवं उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने गुरमति साहित्य में उत्तर प्रदेश के प्रमुख संत, कवियों का योगदान अंकित करते हुए कबीर की समकालीन समाज में प्रासंगिता पर अपने-अपने विचार प्रकट किये।
कार्यक्रम का शुभारम्भ सदर विधायक मनीष असीजा, प्रो महेश आलोक, प्रो विजय श्रीवास्तव और प्रो मंजीत सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन किया। कार्यक्रम में बीज वक्ता प्रो मंजीत सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा गुरमति साहित्य को गुरुग्रंथ साहिब की संरचना के माध्यम से समझाने प्रयास किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के संत कवियों को गुरु की बानियों में सम्मानित स्थान प्राप्त है। प्रो विजय श्रीवास्तव ने गुरमति साहित्य को प्राचीन वेदांत उपनिषद आदि से अध्यात्मिक रूप से संबंधित करते हुए गुरु शिष्य परंपरा के गूढ़ रहस्य पर प्रकाश डाला। विधायक मनीष असीजा ने महाविद्यालय को साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत रहने हेतु बधाई दी। कार्यक्रम समन्वयक अरविंद नारायण मिश्र ने भी गुरमति साहित्य के चयन विषय पर विस्तार से व्याख्यान दिया। महाविद्यालय से प्रतिनिधि के रूप में सीनियर एडवोकेट अनूप चंद्र जैन ने संगोष्ठी के आयोजन हेतु सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो महेश आलोक ने गुरमति साहित्य का सारांश प्रस्तुत किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के प्रमुख संत कवियों का योगदान अंकित करते हुए कबीर की समकालीन समाज में प्रासंगिता पर विचार हेतु सभी से आवाहन किया। कार्यक्रम का संयोजन हिंदी विभाग की डा संध्या द्विवेदी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में सभी आंगुतक अतिथियो ंका धन्यवाद ज्ञापित प्राचार्या डॉ अंजु शर्मा ने किया।
इस दौरान महाविद्यालय के सचिव सतीश चंद्र गुप्ता, पूर्व सचिव अनिल उपाध्याय, दाऊदयाल महिला पीजी कॉलेज की प्राचार्या प्रो रेनू वर्मा, एस.आर.के. पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो प्रमोद कुमार सिरोठिया, आकाशवाणी आगरा से अन्येंद्र, बीडीएम म्यु महाविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर दर्शना, प्रो प्रियदर्शिनी उपाध्याय, प्रो. फरहा तबस्सुम आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ रामसनेही लाल शर्मा यायावर व संचालन शोधार्थी कृष्ण कुमार कनक ने किया।