Monday, April 29, 2024
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आलू भंडारण में सीआईपीसी स्प्रे का उपयोग

किसान आलू भंडारण देसी तरीके करते रहे हैं। इसमें एक समस्या यह है की आलू में होने वाला नुकसान 10 से 40 फ़ीसदी तक बढ़ जाता है। इससे किसानों को मिलने वाले लाभ लगभग नगन्य हो जाते हैं।
संस्थान के वैज्ञानिकों ने इन पारंपरिक प्रक्रिया में कुछ बदलाव किया जिससे आलू के नुकसान को 10 प्रतिशत से भी कम किया जा सकता है।
इन सुधारों में छप्पर लगाना, आलू को ढेरों और गड्ढो में पुआल से ढककर रखना, छिद्र युक्त पीवीसी पाइप लगाना, क्लोरोफॉर्म जैसे अंकुरण रोधी रसायन से उनका उपचार करना आदि प्रयोग शामिल हैं।
इन सुधारों को अपनाते हुए कृषक तीन से चार माह तक आलू का भंडारण कर सकते हैं।
बीज के लिए आलू का भंडारण एक फसल से दूसरी फसल तक बीज को बचाकर रख पाना बहुत जरूरी है। यह अवधि 7 से 8 महीने की होती है। बीज को शीतग्रह में रखना सबसे अच्छा माना जाता है। यह शीत भंडार 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान और 80 प्रतिशत सापेक्ष आर्द्रता पर काम करते हैं। इसका लाभ यह है कि शीत भंडार आलू में अंकुरण का जमाव लगभग न के बराबर होता है और भार में कमी नहीं होती है। यही कारण है कि भंडार के आलू ठोस दिखते हैं और बीज के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं तो उनकी शारीरिक स्थिति भी अच्छी होती है। भारत में उत्पादित आलू का 70- 80 प्रतिशत सेट भंडार में सुरक्षित रखा जा सकता है।
लम्बे समय तक आलू का भंडारण कैसे करें?
आलू साल में प्रतिदिन खाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। ऐसे में आलू को लंबे समय तक सुरक्षित रखना बहुत मुश्किल होता है। अगर आलू को लंबे समय तक सुरक्षित रखना है तो इसे 3 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रख सकते हैं। कम तापमान पर भंडारण करने से आलू का स्टार्च ग्लूकोज में बदल जाता है जिसकी वजह से आलू मीठा हो जाता है और यदि आलू को हम 12 से 13 डिग्री पर रखते हैं तो वह अंकुरित हो जाता है। इसलिए हम अंकुर रोधी रसायन जैसे क्लोरोफॉर्म अथवा सीआईपीसी द्वारा इसे उपचारित कर सकते हैं। जिससे आलू अंकुरित और मीठा होने से बचाया जा सकता है। सीआईपीसी अथवा क्लोरोफॉर्म एक कार्बनेट है जो आलू को अंकुरित होने से बचाता है। लगभग 1 टन आलू पर 40 मिली लीटर सीआईपीसी की जरूरत पड़ती है।
सीआईपीसी का स्प्रे किस तरह से किया जाए?
सबसे पहले आलू का भंडारण 18.5 डिग्री तापमान पर करते हैं। फिर उसके बाद भंडारण कक्ष का तापमान धीरे-धीरे काम करके 10 डिग्री तापमान पर लाया जाता है। उसके बाद कक्ष में फागिंग मशीन का प्रयोग करके सीआईपीसी का स्प्रे आलू पर कर दिया जाता है। इस छिड़काव के 40 घंटे के पहले आधे घंटे तक भंडार गृह के दरवाजों और खिड़कियों को खोल देना चाहिए जिससे कि आलू में सिकुड़न पैदा न हो। इसके लिए भंडार गृह में 90 से 95 प्रतिशत नमी बनाना अति आवश्यक है।

-अभिषेक राज रंजन
शोध छात्र बीयूएटी बांदा
-सौरभ राज पांडे
शोध छात्र बीएचयू वाराणसी
-डॉ अभिषेक तिवारी
सहायक आचार्य सीएसजेएमयू कानपुर