Thursday, May 2, 2024
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कौशल विकास एक मिशन!

ss panwar newवर्तमान की बात करें हमारे देश में दुनियां की सबसे बड़ी युवाओं की आबादी है। भारत की कुल आबादी के लगभग पैंसठ प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम के हैं। सम्भवतः अगर देश की इतनी बड़ी आबादी को अगर कौशल से सुज्जित कर दिया जाए तो भारत देश दुनिया का सबसे दक्ष कार्यबल बन जाएगा। वर्तमान में रोजगार की तलाश में बाजार में दस लाख युवक आ रहे हैं लेकिन कौशल के अभाव में उनको उचित अवसर नहीं मिल पाता।
भारत को रोजगार सम्पन्न बनाने की भावना के अनुरुप कौशल विकसित करने के मुहिम को तेज किया जाना जरूरी है। इसके लिए मंत्रालय की ओर से रोजगार के अनुकूलमाहौल बनाने को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से पीएमकेवीवाई का प्रशिक्षण केंद्र खोलकर स्थानीय स्तर पर कौशल विकास का काम हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में व्यापक स्तर पर शुरु किया जा चुका है। बीते महीनों तीनों राज्यों में प्रशिक्षण केंद्रों की बाढ़ सी आ जाने के कारण राष्ट्रीय स्कील डेवलपमेंट काॅउसिल (एनएसडीसी) को यह निर्णय लेना पड़ा कि मंत्रालय की ओर से यह तय किया गया कि इन राज्यों में पीएमकेवीवाई के किसी भी जाॅब के लिए फिलहाल कोई प्रशिक्षण केंद्र शुरु नहीं किया जाएगा। गौरतलब हो कि पीएमकेवीवाई के केंद्रों पर केंद्र सरकार की मदद से अठारह वर्ष से ज्यादा उम्र के नियमित पढ़ाई न करने वाले बेरोजगार व्यक्तियों को विभिन्न ट्रेड में मुफ्त कौशल प्रशिक्षण देने की सुविधा है। यह रोजगार प्राप्ति की दिशा में कौशल विकास परियोजनाओं की सफलता इतिहास रच सकती हैं। भारत में महज दो से तीन प्रतिशत लोगों का ही वर्क फोर्स है।
जबकि जापान में 15 प्रतिशत चीन में तीस प्रतिशत लोग वर्क फोर्स बनकर विकास के इंजन को चला रहे हैं। इस लिए ऐसे कोर्स को चलाने के लिए देश में बहुतायत आवश्यकता है क्योंकि सक्षम राष्ट्र बनने के लिए वर्क फोर्स की तादाद बढानी पड़ेगी। वर्क कोर्स के जरिए देश के कम पढे लिखे लोगों में बाजार की मांग के अनुरुप तैयार किया जा सकता है। इसके लिए देश के चार सौ संसदीय क्षेत्र में प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र की शुरुआत करने की योजना पर काम चल रहा है। खुल चुके या खोले जाने वाले कौशल विकास केंद्रों में पल्म्बर, इलेक्ट्रिशियन, मोबाइल, लेदर वर्क, कृषि कार्य, मैकेनिक से लेकर ब्यूटीशियन और सिलाई-कढ़ाई के काम में महिलाओं को दक्ष करने का प्रशिक्षण होना है। ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए आवंटनों को बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। कौशल केंद्रों में शार्ट टर्म ट्रेनिंग से निकलने वाले लोग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उनके काम से संबंधित जानकारी में प्रवीण किए जाते हैं। कौशल विकास केंद्रों से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद युवा चाहे तो भारत सरकार की “मुद्रा” आदि योजनाओं का लाभ उठाते स्वावलंबी बन सकता है। खुद का रोजगार खड़ा कर सकता है। नौकरी के लिए बाजार में ठोकरें खाने के बजाय स्वरोजगार के जरिए उन जैसे कई लोगों को नौकरी दे सकता है। इस लिए कौशल विकास केन्द्रों पर अगर वास्तव में प्रशिक्षण का लक्ष्य पूरा हो जायेगा तो काम करने का तरीका तो बदलेगा ही साथ ही देश के युवाओं का भविष्य भी बदल जायेगा। इस लिए कहा जा सकता है कि कौशल विकास का उद्देश्य किसी मिशन से कम नहीं!