Saturday, April 20, 2024
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इलाज के लिए 1 दिन की बच्ची को लेकर भटकती रही महिला

कानपुर, चन्दन जायसवाल। कानपुर देहात से गम्भीर हालत में बच्ची को लेकर शहर पहुंची महिला उर्सला के डफरिन अस्पताल के बाहर घण्टों जमीन में बैठी रहीं। इस दौरान 1 दिन की बच्ची की सांस उखड़ रही थी। आनन फानन में मीडिया के दबाव में उस बच्ची को उर्सला डफरिन के एनआईसीयू में भर्ती किया गया लेकिन वहां वेंटिलेटर न होने के बाद फिर उस बच्ची को हैलट के लिए रेफर कर दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
कानपुर देहात के रसूलाबाद थाना क्षेत्र के रहने वाले प्रेम राज की पत्नी अरुणा यादव 27 की दो बेटियां हैं। सन्दीप व सविता के मुताबिक, गुरुवार को अकबरपुर अस्पताल में अरुणा ने एक बच्ची को जन्म दिया। इस दौरान बच्ची ठीक ढंग से सांस नहीं ले पा रही थी जिसके बाद देहात के अस्पताल ने कानपुर नगर के हैलट अस्पताल के लिए बच्ची को रेफर कर दिया। शुक्रवार को बच्ची की मौसी और फूफा बच्ची को लेकर हैलेट अस्पताल पहुंचे। जहां पहले से ही एक भी वेंटिलेटर खाली नहीं थे जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने उर्सला के लिए भेज दिया। वहां भी वेंटिलेटर न होने के चलते उन्हें वहां से जाने को कहा। जिसके बाद मायूस होकर तड़पती बच्ची को लिए हुई मौसी उर्सला अस्पताल के बाहर बैठ गयी। इस दौरान मीडिया के दबाव में बच्ची को एनआईसीयू में तो एडमिट कर लिया गया और ऑक्सीजन भी दिया गया लेकिन बच्ची को वेंटिलेटर की जरूरत थी जो यहां के जिला असप्तालों में नहीं है। एनआईसीयू में मौजूद डॉक्टर आशीष ने बताया कि यहां वेंटिलेटर की व्यवस्था है नहीं तो कैसे एडमिट करते हमने आलाधिकारियों के कहने पर बच्च्ची को एडमिट किया लेकिन बच्ची को वेंटिलेटर की जरूरत है जो यहाँ जिला अस्पतालों में नहीं है। ये व्यवस्था केवल मेडिकल कालेज में ही होती है जिसके बाद आलाधिकारियों के कहने पर हमने बच्ची को दोबारा एलएलआर अस्पताल के लिए 108 नंबर एम्बुलेंस से भेज दिया है। फिलहाल बच्ची की हालत नाजुक बनी हुई है। ऐसे में देखना ये है कि अस्पताल प्रशाशन द्वारा लगातार हो रही लापरवाहियों के चलते आखिर गम्भीर व्यक्ति को पहले उपचार के लिए क्यों नही भर्ती किया जाता। कम से कम कुछ तो उसे ऑक्सीजन मिल सके।