Wednesday, September 18, 2024
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ब्रज में और भी समृद्ध हुई श्रीकृष्ण लीलाओं की चित्र श्रृंखला

मथुरा-वृंदावन। उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में गीता शोध संस्थान वृंदावन में आयोजित राष्ट्रीय चित्रांकन शिविर-2024 में तैयार कैनवास के चित्रों को निहारने की ललक बढ़ गयी है। लीलाओं के चित्र कैनवास पर बनाने आये 11 राज्यों के चित्रकारों ने अलग-अलग शैली में चित्र बनाकर सभी को मोहित कर लिया। ग्रेटर नोएडा निवासी कंचन प्रकाश ने मुजफ्फरपुर (बिहार) की बज्जिका शैली में भगवान श्री कृष्ण के प्रति समर्पण भाव का चित्रण किया है। इसमें श्री राधा, गोपियां श्री कृष्ण के लिए माखन फल-फूल वस्त्र इत्यादि तैयार कर रही हैं। ये चित्र बिहार के बज्जीकांचल क्षेत्र में मुजफ्फरपुर के भुसारा गांव में बनाई जाने वाली सुजनी कला से प्रभावित हो कर बनाया। इस गांव को यूनेस्को अवार्ड और जी आई टैग का सामान प्राप्त है। बेल्जियम म्यूजियम में इनके बनाये बज्जिका शैली के चित्र हैं।
आस्टा (सीहोर) की चित्रकार श्रीमती अल्का मनीष पाठक ने वाँस शैली (जल रंग तकनीक) में कालिया नाग पर कृष्ण का नृत्य का चित्रांकन किया जबकि उज्जैन की सुमन डोंगरे ने पारंपरिक शैली में राधा-कृष्ण का झूला झूलते हुआ चित्र, इंदौर की अल्का झा ने भगोसिरा (आदिवासी) शैली में राधा को बांसुरी बजाना सिखाते हुए कृष्ण का चित्रण किया।
लखनऊ के विनोद कुमार ने कृष्ण व बलदेव को संदीपन मुनि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण का यथार्थ शैली (सेमी वास) में चित्रण किया। कु. नेहा (लखनऊ) ने किशनगढ शैली में श्रंगार रस का और पटना की चित्रकार श्रीमती सत्या सार्थ ने समकालीन कला शैली में कृष्ण के प्रकृति प्रेम का चित्रण किया है।
चित्तौडगढ़ के मनोज जोशी ने पिछवायी कलां का, मोहाली की श्रीमती मनजीत कौर ने कांगड़ा शैली में कृष्ण द्वारा शंख से मेघ बुलाने का सुंदर चित्रण किया। नाथद्वारा की वंदना जोशी ने लीलाओं का चित्रण लोककला की पारंपरिक शैली में किया। भुज गुजरात के नवीन भाई और जिगर भाई ने भी श्रीकृष्ण की लीलाओं का रंगों से काफी सुंदर चित्रण किया।
इसी प्रकार छत्तीसगढ की चित्रकार डा भारती परमार, कोटा की श्रीमती रंजना शर्मा, ग्वालियर की डा खुशबू, हल्द्वानी की कुसुम पांडेय, कानपुर के डीएवी कालेज की आर्ट की हैड आफ द डिपार्टमेंट डा कुमुद वाला और रिचा सिंह ने समकालीन शैली में क्रमशः राधा-कृष्ण के निश्चल प्रेम और चीरहरण का चित्रण किया।
अन्य चित्रकार डा प्रिंस राज, दुर्ज के ब्रजेश कुमार, ग्रेटर नोएडा की रंजीता कुमार, पुणे के कुडलया एम हिरेमठ ने रुकमणि हरण का चित्रण व अबोहर की जतेंदर कौर ने भी लीलाओं का चित्रण किया। अब इनकी प्रदर्शनी लगायी जाएगी।
राष्ट्रीय शिविर के अंतिम दिन साहित्यकार कपिल उपाध्याय, दूरदर्शन के प्रभारी सत्यव्रत सिंह, गीता शोध संस्थान के निदेशक दिनेश खन्ना, पूर्व शिक्षाधिकारी एस पी गोस्वामी व चित्रकार द्वारिका प्रसाद ने संयुक्त रूप से सभी चित्रकारों को प्रशस्ति, पुस्तकें आदि भेंट कर ससम्मान विदा किया। सभी चित्रकारों के चित्रों का विवरण गीता शोध संस्थान वृंदावन के समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने दिया।