Wednesday, November 13, 2024
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डॉक्टरों की उदासीनता के चलते दम तोड रही है प्रधानमंत्री जन औषधि योजना

ऊंचाहार, रायबरेली। मरीजों को सस्ती कीमत पर दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित प्रधानमंत्री जन औषधि योजना सरकारी डॉक्टरों की उदासीनता के चलते दम तोड़ रही है। केंद्र सरकार की इस योजना के अंतर्गत मरीजों को 1800 प्रकार से अधिक गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाएं एवं अन्य मेडिकल आइटम 90 फीसदी तक सस्ती दामों में उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन इसका फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि सरकारी डॉक्टरों की उदासीनता इसमें बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही है। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर मरीजों को जेनरिक दवाओं की बजाय ब्रांड नेम की मंहगी दवाएं बाहर से खरीदने को विवश कर रहे हैं। जबकि नेशनल मेडिकल कमीशन के नियमों के मुताबिक डॉक्टर को प्रिस्क्रिप्शन में दवा का फार्मूला लिखना चाहिए, न कि ब्रांड की दवा का नाम। लेकिन डॉक्टर इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। कमोबेश यही हाल एनटीपीसी अस्पताल के डॉक्टरों का है। वह भी मरीजों को बाहर से ब्राण्ड नाम की महंगी दवाएं लिख रहे हैं। जबकि सरकार की मंशा लोगों को सस्ते दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाओं को उपलब्ध कराना है। इसके लिए जगह जगह पर प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। जहां मरीजों को उच्च गुणवत्ता की दवाएं बहुत ही कम दामों पर उपलब्ध हैं। यानी यह दवाएं ब्रांडेड दवाओं से 90 फीसदी तक कम दाम में मिल रही हैं। लेकिन डॉक्टरों की उदासीनता व लोगों में जानकारी का अभाव उन्हें महंगी दवाओं के लिए मजबूर कर रहा है। कई जागरूक लोगों का कहना है कि डॉक्टर ब्रांडेड कंपनियों के कमीशन के लालच में मरीजों को ब्रांड नाम की दवाएं लिख रहे हैं। जिससे लोगों को काफी आर्थिक क्षति हो रही है। जबकि सस्ती दवाएं उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें डॉक्टरों के मुताबिक दवाएं खरीदना उनकी मजबूरी है। हालांकि हर जगह सस्ते दामों की जेनरिक दवाओं की उपलब्धता है। प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों पर विभिन्न प्रकार की जीवन रक्षक दवाओं के साथ अन्य मेडिकल उपकरण जैसे सिनेटरी पैड, डायपर, बैंडेज, कॉटन आदि नाममात्र दामों पर उपलब्ध है। लेकिन प्रधानमंत्री की अति महत्वाकांक्षी योजना का उनके मातहत ही पलीता लगा रहे हैं। जिससे आम जन मानस को दवाओं के नाम पर भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
डॉक्टरों के मरीज को प्रिस्क्रिप्शन के नियम –
नेशनल मेडिकल कमीशन के नए नियमों के अनुसार, डॉक्टर को प्रिस्क्रिप्शन में सिर्फ यह लिखना होगा कि मरीज को क्या फार्मूला लेना है, न कि किसी ब्रांड की दवा का नाम। ऐसा न करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उसका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।